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Lockdown में याद आया बरसों पुराना गोट्टी का खेल, गांवों में समय बिताने का तरीका

तीन दशक पहले तक घर-घर खेला जाना वाला गोट्टी का खेल फिर से प्रचलन में आ गया है और महिलाओं में खासा लोकप्रिय हो रहा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 03 Apr 2020 05:35 PM (IST)Updated: Fri, 03 Apr 2020 05:35 PM (IST)
Lockdown में याद आया बरसों पुराना गोट्टी का खेल, गांवों में समय बिताने का तरीका
Lockdown में याद आया बरसों पुराना गोट्टी का खेल, गांवों में समय बिताने का तरीका

मीरजापुर, जेएनएन। घर से निकलना बंद है और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर ताले लगे हैं। सड़क पर भी कोई नहीं दिख रहा और गांव की गलियां भी सूनी-सूनी हैं। ऐसे में कुछ घरों के आंगन से गूंज रही हंसी यह बताती है लोग अपना समय हंसी-खुशी काट रहे हैं। इस दौरान कुछ पुरानी यादें, पुराने खेल भी लोगों को याद आ रहे हैं। तीन दशक पहले तक घर-घर खेला जाना वाला गोट्टी का खेल फिर से प्रचलन में आ गया है और महिलाओं में खासा लोकप्रिय हो रहा है।

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लॉकडाउन में कामकाजी महिलाओं का पूरा दिन घर में ही बीत रहा है। राजगीर, मजदूरी का काम हो या बीड़ी मजदूरी का कार्य हो सभी घरों में कैद हैं। स्कूलों में रसोइया का कार्य भी बंद चल रहा है। ऐसे में कुछ महिलाओं ने पुराने गोट्टी के खेल को याद किया और गोट्टी खेलकर बच्चों के साथ घर में समय बिता रही हैं। अहरौरा नगर के सहुआइन का पोखरा निवासिनी रामरती व पार्वती जो कि रसोइयां का कार्य करती हैं, बताया कि घर के बच्चों के साथ बचपन का खेल खेलने में बहुत अच्छा लग रहा है। ऐसा महसूस हो रहा मानों बचपन फिर से लौट आया है। मंदिर और सत्संग के कार्यक्रम भी बंद होने से इन महिलाओं का भजन-पूजन भी घर पर ही हो रहा है। इसके साथ ही कोरोना वायरस के असर को समझते हुए घर के बच्चों और बड़ों को घर से बाहर न निकलने की सलाह दे रही हैं। इनका कहना है कि घर में ही रहने इस वायरस से बचा जा सकता है। इसलिए परिवार के सदस्यों को भी अनावश्यक रूप से घर से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है। यह खेल टाइमपास का अच्छा जरिया बन गया है।

यह खेल भी हैं रोचक

पुराने खेलों में गोट्टी के अलावा अतिया-पतिया जो पेड़ की डालियों पर चढ़कर खेला जाता है, काफी लोकप्रिय हो रहा है। वहीं घर-घर खेल के माध्यम से बच्चों की एकाग्रता बढ़ाने का उपक्रम भी किया जा सकता है। सदाबहार लूडो व कैरम लॉकडान का अच्छा साथी है और मोबाइल पर लूडो खेलने वालों को कहीं भी देखा जा सकता है।

खेलों से मिलती ताजगी

मंडलीय चिकित्सालय के चाइल्ड केयर स्पेशलिस्ट तरुण ङ्क्षसह ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान बच्चे भी बाहर नहीं निकल पा रहे जिससे उनमें चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है। इसके लिए इंडोर गेम्स सबसे बेहतर उपाय हैं। इससे बच्चों का मन भी लगा रहेगा और उनका शारीरिक श्रम भी होगा। यह समय नए-नए खेलों के अन्वेषण का है।

बच्चों के साथ शतरंज खेल बिता रहे दिन

लॉकडाउन के दौरान लोगों की दिनचर्या में काफी बदलाव आ गया है। ङ्क्षजदगी जैसे लोगों की थम सी गई है लेकिन कोरोना वायरस एहतियात के तौर पर दिन भर अपने कामों में व्यस्त रहने वाले लोग जैसे तैसे घर के अंदर अपने आपकों एक कैदी की तरह रहने को विवश हो गए है। ऐसा अनजाना भय दिलों दिमाग पर सवार हो चुका है कि अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर लोग ङ्क्षचतित है। ऐसे में जो लोग परिवार को कभी भी समय नहीं दे पाते थे वे आज अपने परिवार व बच्चों को फूल टाइम देकर उनके साथ समय व्यतीत कर रहे है। इसी क्रम में कछवां निवासी व्यापारी अमित रस्तोगी ने बताया कि हम लोगों को लॉकडाउन के बाद एक सप्ताह एक साल की सजा जैसी हो गई है दिन व्यतीत करने के लिए घर के कामों में हाथ बंटाया जा रहा। कही समोसा बनाने के साथ अन्य पकवान बनवाने में मन लगाया जा रहा। वही खाली समय में परिवार के साथ शतरंज, लूडो, कैरम आदि गेम घर के अंदर रहकर खेल कर दिन बिताया जा रहा है। ऐसे में परिवार व बच्चों का मन भी खुश है और उन्हें लॉकडाउन के दौरान बंदी का समय खल नहीं रहा है।


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