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वाराणसी रोडवेज पहुंची भीड़, बस चलाने का बनाया दबाव, भीड़ देख परिवहन निगम के फूलने लगे हाथ-पांव

लॉकडाउन में फंसे 500 से अधिक लोग शनिवार सुबह 11 बजे कैंट रोडवेज बस स्टेशन पहुंचे। भीड़ देख परिवहन अफसरों के हाथ-पांव फूलने लगे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 28 Mar 2020 11:01 PM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2020 11:01 PM (IST)
वाराणसी रोडवेज पहुंची भीड़, बस चलाने का बनाया दबाव, भीड़ देख परिवहन निगम के फूलने लगे हाथ-पांव
वाराणसी रोडवेज पहुंची भीड़, बस चलाने का बनाया दबाव, भीड़ देख परिवहन निगम के फूलने लगे हाथ-पांव

वाराणसी, जेएनएन। लॉकडाउन में फंसे 500 से अधिक लोग शनिवार सुबह 11 बजे कैंट रोडवेज बस स्टेशन पहुंचे। भीड़ देख परिवहन अफसरों के हाथ-पांव फूलने लगे। परिवहन कर्मियों ने वापस जाने या एक-दूसरे से दूरी बनाकर रहने की सलाह दी लेकिन वे कोई बात सुनने को तैयार नहीं थे। वे सिर्फ बस चलाने का दबाव बना रहे थे। परिवहन निगम जिला प्रशासन से आदेश नहीं होने का हवाला देता रहा। शाम तक परिवहन निगम ने कोई बस नहीं भेजी। वहीं, जिला प्रशासन की ओर से कोई वैकल्पिक व्यवस्था न किए जाने से लोगों में आक्रोश रहा। इसे लेकर लोगों ने हो-हल्ला भी किया। इस पर पुलिस कर्मियों ने धारा-144 लागू होने का हवाला देते हुए कार्रवाई करने की बात कही।

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लॉकडाउन में फंसे लोग अपने घर जाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। वे 10-20 किलोमीटर पैदल चलकर कैंट रेलवे स्टेशन, रोडवेज बस स्टैंड के साथ प्राइवेट बस स्टैंड पर साधन पकडऩे के लिए जा रहे हैं। शाम को बस नहीं चलने से नाराज कुछ लोग पैदल ही अपने मंजिल को निकल गए। परिवहन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक एसके राय ने बताया कि बसों के संचालित करने पर रोक है। विषम परिस्थितियों में जिला प्रशासन के निर्देश पर बसें संचालित की जा रही है लेकिन शाम तक जिला प्रशासन ने कोई आदेश नहीं दिया। ऐसे में यात्रियों को लौटने को कहा गया।

घरे पहुंचा दा गंगा मइया

रोजी रोटी की चिंता में घर से निकले लोगों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि वापसी में मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा। कोरोना संकट के कारण लाकडाउन से वे चाहकर भी घर नहीं जा पा रहे। घरों में कैद, खाने के लिए दो वक्त की रोटी तो मिल रही लेकिन परिवार की चिंता में गले से नहीं उतर रही। घर से आ रहे फोन भी उनकी चिंता बढ़ा रही है। ऐसे में जुबान से सिर्फ 'घर पहुंचा दा गंगा मइया...Ó की आवाज ही आ रही है। इस तरह के लगभग पांच हजार लोग बनारस में फंसे हैैं। इनमें शहर के कई अपार्टमेंट और मकानों में मजदूरी करने वाले या निर्माण कार्य में लगे श्रमिक हैैं।  

शुरूआती दौर में इन्हें बात एक दो दिन की लगी लेकिन 14 अप्रैल तक लॉकडाउन होने के साथ ही घर जाने का रास्ता तलाशने लगे। रेल-बस समेत अन्य साधन बंद हाने से तमाम ने पैदल घर जाने का मन बना लिया लेकिन सड़क पर पाबंदी के कारण पुलिस उन्हें वापस भेज दे रही है। ऐसे में कई चोरी-छिपे घर निकलने की जुगत लगाने लगे। इसमें किसी ने रेलवे लाइन की पटरी से पैदल तो कोई ट्रक, ट्रेलर समेत अन्य साधनों से निकल रहा।


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