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फर्जी एनओसी पर होटल और गेस्ट हाउस को लाइसेंस ; वीडीए के अभियंताओं ने दिखाई खूब बाजीगरी

जिले के ज्यादातर होटल और गेस्टहाउस के लाइसेंस जिला प्रशासन ने फर्जी एनओसी पर जारी कर दिए हैं।

By Edited By: Published: Fri, 27 Sep 2019 01:38 AM (IST)Updated: Fri, 27 Sep 2019 09:46 AM (IST)
फर्जी एनओसी पर होटल और गेस्ट हाउस को लाइसेंस ; वीडीए के अभियंताओं ने दिखाई खूब बाजीगरी
फर्जी एनओसी पर होटल और गेस्ट हाउस को लाइसेंस ; वीडीए के अभियंताओं ने दिखाई खूब बाजीगरी

वाराणसी, जेएनएन। जिले के ज्यादातर होटल और गेस्टहाउस के लाइसेंस जिला प्रशासन ने फर्जी एनओसी पर जारी कर दिए हैं। सबसे ज्यादा फर्जी एनओसी विकास प्राधिकरण के नाम से जारी हुई है। इतना ही नहीं, वीडीए अभियंताओं ने भी फर्जी एनओसी देने में खूब बाजीगरी दिखाई है। आवासीय भवन पर व्यावसायिक भवन को एनओसी दे दिया है। इसके एवज में वीडीए के जोनल अधिकारियों व अवर अभियंताओं ने होटल और गेस्टहाउस मालिक से मोटी रकम वसूले हैं। जिला प्रशासन के पूछने पर उन्होंने लिखा कि भवन का मानचित्र स्वीकृत है लेकिन यह नहीं लिखा कि आवासीय है या व्यावसायिक।

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इसी खेल पर वीडीए में बोली लगती है। अपर जिलाधिकारी (प्रोटोकाल) के यहां होटल और गेस्टहाउस का सराय एक्ट में पंजीयन होता है। सरायएक्ट में पंजीयन करने से पहले अपर जिलाधिकारी के यहां से विभिन्न विभागों से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) मांगा जाता है। जिले में 400 से अधिक होटल और गेस्टहाउस सराय एक्ट में पंजीकृत हैं लेकिन ज्यादातर की एनओसी फर्जी या पूरी नहीं है। लाइसेंस होने के बाद कुछ फाइलों से फर्जी एनओसी को लिपिक ने निकाल लिया है ताकि बाद में जांच में पकड़ा नहीं जा सके। यहां संचालित है होटल और गेस्ट हाउस गंगा घाट किनारे, कैंट रेलवे स्टेशन परेड कोठी, लहुराबीर, छावनी क्षेत्र, सारनाथ। पिछले दिनों कैंट रेलवे स्टेशन के सामने 27 गेस्ट हाउस मिले थे बिना लाइसेंस के संचालित। 

सराय एक्ट लिपिक के लिए मंत्री से पैरवी कलेक्ट्रेट में कई ऐसे पद हैं जो लिपिकों के लिए कमाई का जरिया हैं। उन पदों को पाने के लिए लखनऊ से लेकर सूबे के मंत्री तक से पैरवी कराते हैं। कुछ तो मोटी रकम तक उपलब्ध कराते हैं। उसी में एक है सराय एक्ट लिपिक का पद।

प्रशासन ने नहीं कराई जांच होटल और गेस्ट हाउस के लाइसेंस जारी होने तथा दी गई एनओसी की शिकायत करने के बाद भी एडीएम की ओर से कोई जांच नहीं कराई जाती है। इस तरह की एक-दो शिकायतें नहीं, बल्कि कई शिकायतें धूल फांक रही हैं। इनसे लेनी होती है एनओसी तहसील, नगर निगम, जलकल, पर्यटन, लोक निर्माण, एलआइयू, पुलिस, बिजली सुरक्षा और विकास प्राधिकरण। 

दो से ढाई लाख में लेते हैं ठेका लिपिक और कलेक्ट्रेट परिसर में टहल रहे कई लोग एडीएम प्रोटोकाल के यहां से होटल और गेस्टहाउस का लाइसेंस जारी कराने का ठेका लेते हैं। वे संचालक को भरोसा दिलाते हैं कि सभी विभागों से एनओसी लेने के साथ आपको लाइसेंस दे दिया जाएगा। कैसे हो रहा है यह आप से मतलब नहीं है। आप सिर्फ पैसा दीजिए। इसके लिए उनके बीच काम कराने के लिए दो से ढाई लाख के बीच ठेका होता है। वीडीए भी नहीं करती कार्रवाई आपसी विवाद ही सही लेकिन वीडीए में फर्जी एनओसी की आए दिन शिकायतें आती रहती हैं। जोनल और अवर अभियंता कुछ भी लिखने को तैयार नहीं होते हैं। शिकायतकर्ता द्वारा ज्यादा दबाव बनाने पर उसके मकान का ब्यौरा लेने के साथ उसे नोटिस जारी देते हैं जिससे वे विरोध नहीं कर सके। व्यावसायिक और आवासीय मानचित्र अलग-अलग स्वीकृत होते हैं। होटल और गेस्ट हाउस के लिए व्यावसायिक मानचित्र स्वीकृत होता है। व्यावसायिक कार्य के लिए आवासीय भवन पर एनओसी नहीं दे सकते हैं। यदि किसी ने किया है तो वह गलत है। ऐसे लोगों को चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल जो है उसी की एनओसी दी जा रही है।


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