बलिया में बिहार से सटे गांवों में खुलेआम चल रहा शराब का अवैध कारोबार, गांव-गांव बिक रही अंग्रेजी शराब
बागी धरतीवासी आजादी की जंग देशभर में पहले जीत कर राष्ट्र को एक अलग संदेश दिए थे किंतु उसी जिले के लोग विभिन्न गांवों में शराब की जंग हर जगह हार गए हैं।
बलिया [डॉ.रवींद्र मिश्र]। जिले के लोग आजादी की जंग भले ही देशभर में पहले जीत लिए थे लेकिन वे अवैध शराब बिक्री की जंग हर जगह हार गए हैं। वह लड़ें भी तो कितने दिन, इसलिए सबकुछ पुलिस पर छोड़ दिया। वहीं पुलिस की स्थिति यह है कि प्रदेश में जब कभी शराब से मौत की घटना होती है तो वह ताबड़तोड़ छापेमारी शुरू कर देती है। पुलिस एक तरफ से छापेमारी करती है और दूसरी ओर से पुन: यह कारोबार खड़ा हो जाता है। राजनीतिक लोगों में दो या तीन फीसद राजनीतिक चेहरे ऐसे हैं जो इस मुद्दे पर जनता की ओर से खड़े होने का साहस करते हैं, बाकी के लोग शराब मामले में चुप रहने में ही अपनी भलाई समझते हैं।
यह सही है कि बागी धरतीवासी आजादी की जंग देशभर में पहले जीत कर राष्ट्र को एक अलग संदेश दिए थे किंतु उसी जिले के लोग विभिन्न गांवों में शराब की जंग हर जगह हार गए हैं। पुलिस प्रशासन और सरकार से आस लगाए लोग इस उम्मीद में रहते हैं कि फलां सरकार में उन्हें शराब के शोरगुल से मुक्ति मिल जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हो पाता। सरकारें आती-जाती रहीं लेकिन शराब का वर्षाें पुराना वह खेल आज भी उसी अंदाज में बदस्तूर चल रहा है।
जनपद के कई सीमा क्षेत्र बिहार से सटे होने के कारण शराब की तस्करी मामले में अब अलग पहचान स्थापित कर चुके हैं। गांव के लोगों तक को पता है कि शराब का अवैध कारोबार कहां और किसके द्वारा किया जा रहा है। इसके बावजूद पुलिस के हाथ संबंधित कारोबारियों तक नहीं पहुंच पाते। महिलाएं रात में डरे हाल में रहती हैं, गांव के लोग यह धंधा बंद कराने के लिए परेशान हैं, पुलिस से शिकायत भी करते हैं, फिर भी यह अवैध कारोबार पूर्ण रुप से बंद होता नहीं दिख रहा है।
शनिवार को मुख्य समाधान दिवस पर नगरा में डीएम और एसपी के सामने भी अवैध शराब के कारोबार का मुद्दा बहुत से लोगों ने उठाया था। बड़ी बात यह है कि जब भी शराब को लेकर शोर मचता है तो पुलिस छोटे तस्करों को गिरफ्तार कर अपना पीठ थपथपाने में जुट जाती है जबकि शराब के बड़े तस्करों तक पुलिस प्रशासन के हाथ भी नहीं पहुंच पाते। रविवार को जनपद के खेजुरी थाना क्षेत्र के एक ईंट भटठे से पुलिस ने 80 पेटी अवैध शराब के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार किया। वहीं बैरिया क्षेत्र में कोटवां गांव में अपमिश्रित 25 लीटर शराब कच्ची देशी शराब के साथ एक महिला समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया।
पकड़े गए शराब से भरे हैं थानों के बैरक
जिले के आखिरी छोर पर बसे बैरिया विधानसभा की बात करें तो यहां एनएच से सटे दया छपरा कच्ची शराब निर्माण के मामले में सदन तक अपना नाम दर्ज करा चुका है। जनपद में आने वाले सभी पुलिस कप्तानों के लिए यह स्थान एक चुनौती के रुप में रहा है। दर्जनों पुलिस कप्तान यहां शराब को बंद कराने का प्रयास करते रहे लेकिन शराब पूरी तरह बंद नहीं हुआ। इसके अलावा कई चरण में पकड़े गए दूसरे राज्य के अंग्रेजी शराब से इस विधानसभा के लगभग थाने भरे पड़े हैं।
लगभग सभी गांवों में दो या तीन स्थान ऐसे हैं, जहां शराब की अवैध बिक्री खुले रुप से होती है। इसके चलते हर दिन झगड़ा-बवाल भी होते रहते हैं। गांव के बुजुर्ग याद करते हैं खुद के जमाने के दिन, जब गांव में बेहतर माहौल हुआ करता था। कोई व्यक्ति भूल से भी ताड़ी या शराब लेकर गांव में आ जाता था तो गांव के लोग उसे सामूहिक रुप से दंडित करते थे। अब कोई भी इस पर कुछ बोलने वाला नहीं है। जो आवाज उठाता है उसे शराब के कारोबारी कई तरह से प्रताडि़त भी करते हैं। यही कारण है कि शराब के विरुद्ध कोई खुल कर शिकायत नहीं करना चाहता।
लाइसेंसी दुकानों पर भी ताख पर नियम
जिले में शराब की लाइसेंसी दुकानों पर भी सरकारी नियम ताख पर रहता है। इस जनपद से बिहार में भी भारी मात्रा में यूपी की शराब पहुंचाई जा रही है। ये काम लाईसेंसी दुकानों से ही ज्यादा हो रहे हैं। बिहार में शराब बंद होने से उन्हें वहां मुनाफा डबल हो जाता है। बिहार पुलिस हर दिन अपनी सीमा में भारी मात्रा में यूपी की शराब पकड़ रही है। इसलिए तस्कर अब नदी मार्ग से भी शराब की खेप बिहार पहुंचा रहे हैं। जिले में लाईसेंसी दुकानों को खोलने या बंद करने का भी कोई समय नहीं है। शराब की दुकानें तस्करों के लिए भोर में पांच बजे ही खुल जा रही हैं।
तस्करों के खिलाफ अभियान : एसपी
पुलिस अधीक्षक देवेंद्र नाथ ने बताया कि जनपद में शराब के तस्करों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। इस बाबत टीमें गठित की गई हैं। इसके सकारात्मक परिणाम भी आए हैं। हर दिन टीम अलग-अलग स्थानों से शराब की खेप बरामद कर रही है। तस्करों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेजा जा रहा है।