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यहां गिरती हैं देश में लोगों पर सर्वाधिक बिजलियां, आंकड़े दे रहे काफी चिंताजनक गवाही

सोनभद्र जिले में छह साल में 36 लोगों की मौत हुई, यह सुनने में जितना भयावह लगता है, उससे कहीं अधिक वज्रपात उस परिवार पर होता है जिसके यहां यह घटना होती है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 01 Oct 2018 05:14 PM (IST)Updated: Tue, 02 Oct 2018 10:56 AM (IST)
यहां गिरती हैं देश में लोगों पर सर्वाधिक बिजलियां, आंकड़े दे रहे काफी चिंताजनक गवाही
यहां गिरती हैं देश में लोगों पर सर्वाधिक बिजलियां, आंकड़े दे रहे काफी चिंताजनक गवाही

सोनभद्र (जेएनएन)। छह साल में 36 की मौत, यह सुनने में जितना भयावह लगता है, उससे कहीं अधिक वज्रपात उस परिवार पर होता है जिसके यहां यह घटना होती है। बभनी ब्लाक क्षेत्र के ऐसे दर्जनों गांव हैं जहां जुलाई से लेकर सितंबर तक के महीनों में आकाशीय बिजली से कई लोग अपनी जान गवां देते हैं। ऐसे में इस प्राकृतिक आपदा पर सहायता देकर सरकार तो अपना कोरम पूरा कर लेती है, लेकिन आसमान से अचानक गिरने वाली मौत से कई परिवार आज भी दर-दर की ठोंकरें खा रहे हैं और सदमे रहते हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो यह क्षेत्र देश में सर्वाधिक बिजली गिरने वाले क्षेत्र में शुमार है।

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आकाशीय बिजली की कहर से किसी ने अपना पिता खो दिया तो किसी ने पति। कोई मां को गंवाया तो कोई अपना बच्चा, बावजूद इसके शासन-प्रशासन इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया। जबकि शासन से अब तक आकाशीय बिजली से मौतों पर जितना मुआवजा दिया गया उससे कहीं कम धनराशि खर्च करके क्षेत्र के दर्जनों गांवों में तडि़त चालक लगाया जा सकता था, और न जाने कितने लोगों के जीवन को सुरक्षित कर लिया गया होता। सरकारी आंकड़ों के अनुसार गत छह वर्ष के दौरान सिर्फ बभनी ब्लाक के 36 लोग आकाशीय बिजली की चपेट में आकर जान गंवा दिये, यानि हर वर्ष आकाशीय बिजली से छह लोगों की मौत ब्लाक क्षेत्र में हुई। जबकि घायलों की संख्‍या इससे कहीं अधिक है। 

 

मौतों के बाद भी जिम्मेदार मौन 

वर्ष 2012 से लेकर 2018 तक 36 लोग इस प्राकृतिक आपदा से अपनी जान गवां चुके हैं। बभनी ब्लाक का पोखरा, घघरी, बिछीयारी, चैनपुर, नधीरा, कोगा, चपकी, बड़होर, असनहर आदि गांवों में प्रत्येक वर्ष वज्रपात से मौत होती है। वर्ष 2012 में छह लोग, 2013 में आठ लोग, 2014 में चार लोग, 2015 में तीन, 2016 में छह लोग, 2017 में चार लोग व 2018 में अब तक पांच लोग वज्रपात से अपनी जान गवां चुके हैं तथा सैकड़ों इसकी चपेट में आने से अपंगता का जीवन जी रहे हैं। सरकारें आती हैं चली जाती हैं लेकिन किसी ने भी इस आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की इस समस्या का निदान नहीं किया। परिणाम स्वरूप वज्रपात से मौतों का सिलसिला जारी है। आंकड़े बढ़ रहे हैं। 

बोले डीएम

जहां पर आकाशीय बिजली सबसे अधिक गिरती है वहां पर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। उन्हें बताया जाता है कि बारिश के समय वह खुले स्थान पर न निकलें, इसके अलावा कुछ चिन्हित स्थानों पर तडि़त चालक यंत्र लगाने के लिए सभी संबंधित तहसीलों को कहा गया है। -अमित कुमार सिंह, जिलाधिकारी।


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