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फर्जी एनओसी पर होटल और गेस्ट हाउस के लाइसेंस, विभागों की मिलीभगत से चल रहा खेल

जिले के ज्यादातर होटल और गेस्ट हाउस के लाइसेंस प्रशासन ने फर्जी एनओसी पर जारी कर दिया है। सबसे ज्यादा फर्जी एनओसी विकास प्राधिकरण के नाम से जारी हुआ है।

By Edited By: Published: Wed, 31 Jul 2019 01:19 AM (IST)Updated: Wed, 31 Jul 2019 10:01 AM (IST)
फर्जी एनओसी पर होटल और गेस्ट हाउस के लाइसेंस, विभागों की मिलीभगत से चल रहा खेल
फर्जी एनओसी पर होटल और गेस्ट हाउस के लाइसेंस, विभागों की मिलीभगत से चल रहा खेल

वाराणसी, जेएनएन। जिले के ज्यादातर होटल और गेस्ट हाउस के लाइसेंस प्रशासन ने फर्जी एनओसी पर जारी कर दिया है। सबसे ज्यादा फर्जी एनओसी विकास प्राधिकरण के नाम से जारी हुआ है। इसमें विभागीय अभियंताओं ने खूब बाजीगरी दिखाई है। आवासीय पर व्यावसायिक भवन के लिए एनओसी दे दिया। इसके एवज में वीडीए के जोनल अधिकारियों और अवर अभियंताओं ने होटल और गेस्ट हाउस मालिकों से मोटी रकम वसूली है। जिला प्रशासन के पूछने पर उन्होंने लिखा कि भवन का मानचित्र स्वीकृत है लेकिन यह नहीं बताया कि आवासीय है या व्यावसायिक। इसी खेल पर वीडीए में बोली लगती है।

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अपर जिलाधिकारी (प्रोटोकाल) के यहां होटल और गेस्टहाउस का सराय एक्ट में पंजीयन होता है। पंजीयन पहले अपर जिलाधिकारी विभिन्न विभागों से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) मांगते हैं। जिले में 400 से अधिक होटल और गेस्ट हाउस सराय एक्ट में पंजीकृत है लेकिन ज्यादातर की एनओसी फर्जी या पूरी नहीं है। लाइसेंस जारी होने के बाद कुछ फाइलों से फर्जी एनओसी को लिपिक ने निकाल लिया ताकि पकड़ा नहीं जा सके।

सराय एक्ट लिपिक के लिए मंत्री से पैरवी : कलेक्ट्रेट में कई पद लिपिकों के लिए कमाई का जरिया है। उस पद को पाने के लिए उच्चाधिकारियों से लगायत सूबे के मंत्री तक से पैरवी करवाई जाती है। कुछ तो मोटी रकम तक उपलब्ध कराते हैं। उसी में एक है सराय एक्ट लिपिक का पद।

ऐसे होता है खेल : होटल और गेस्ट हाउस के लिए विकास प्राधिकरण से व्यावसायिक भवन का नक्शा पास होना चाहिए लेकिन ऐसा होता नहीं है। ज्यादातर होटल और गेस्ट हाउस आवासीय स्वीकृत मानचित्र में संचालित हो रहे हैं। एडीएम के यहां से एनओसी मांगी जाती है तो वीडीए के जोनल और अवर अभियंता यह नहीं लिखते कि मानचित्र आवासीय या व्यावसायिक स्वीकृत है। वे सिर्फ यह लिखते हैं कि वीडीए से मानचित्र स्वीकृत है। एडीएम के यहां से जारी पत्र में लिखा होता है कि 30 दिन में जवाब नहीं मिलने पर मान लिया जाएगा इस संबंध में आपको कोई आपत्ति नहीं है।

प्रशासन ने नहीं कराई जांच  : होटल और गेस्ट हाउस से लाइसेंस जारी होने तथा दिए गए एनओसी की शिकायत के बाद भी एडीएम की ओर से कोई जांच नहीं कराई जाती है। इस तरह की एक-दो शिकायतें नहीं, बल्कि कई धूल फांक रहीं हैं।

इनसे लेनी होती है एनओसी : तहसील, नगर निगम, जलकल, पर्यटन, लोक निर्माण, एलआइयू, पुलिस, बिजली सुरक्षा और विकास प्राधिकरण।

दो से ढाई लाख में लेते हैं ठेका :  लिपिक और कलेक्ट्रेट परिसर में टहल रहे कई लोग एडीएम प्रोटोकाल के यहां से होटल और गेस्ट हाउस का लाइसेंस जारी कराने का ठेका लेते हैं। वे संचालक को भरोसा दिलाते हैं कि सभी विभागों से एनओसी लेने के साथ आपको लाइसेंस दे दिया जाएगा। कैसे हो रहा है यह आप से मतलब नहीं है। आप सिर्फ पैसा दीजिए।

वीडीए भी नहीं करती कार्रवाई : आपसी विवाद ही सही लेकिन वीडीए के फर्जी एनओसी की आए दिन शिकायतें आती रहती है। जोनल अधिकारी और अवर अभियंता कुछ भी लिखने को तैयार नहीं होते हैं। शिकायतकर्ता के ज्यादा दबाव बनाने पर संबंधित मकान का ब्योरा लेने के साथ उसे नोटिस जारी कर देते हैं जिससे कोई विरोध नहीं कर सके।

बोले अधिकारी : होटल और गेस्ट हाउस के लिए व्यावसायिक मानचित्र स्वीकृत होता है। व्यावसायिक कार्य के लिए आवासीय भवन पर एनओसी नहीं दी जा सकती है। यदि किसी ने किया है तो वह गलत है। ऐसे लोगों को चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी। -राहुल पांडेय, उपाध्यक्ष वीडीए

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