वाराणसी में वकीलों ने विशेष सचिव के पत्र की प्रति जलाकर डीएम पोर्टिको पर किया प्रदर्शन, ज्ञानवापी मामले में टल सकती सुनवाई
Lawyers protest in Varanasi बनारस बार एसोसिएशन के निर्णय पर वकीलों की हड़ताल के चलते कचहरी में काम प्रभावित है। वकील शासन के विशेष सचिव के पत्र में वकीलों के लिए इस्तेमाल शब्द पर आपत्ति जताते हुए हड़ताल पर हैं। विरोध में वकीलों ने डीएम पोर्टिको पर प्रदर्शन किया।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। Lawyers protest in Varanasi ज्ञानवापी शृंगार गौरी मामले में आज होने वाले दो प्रमुख प्रार्थना पत्रों की सुनवाई में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। वादी पक्ष और जिला शासकीय अधिवक्ता की ओर से दिए गए अलग-अलग प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई के लिए आज की तिथि तय थी। बनारस बार एसोसिएशन के निर्णय पर वकीलों की हड़ताल के चलते कचहरी में काम प्रभावित है। वकील शासन के विशेष सचिव के पत्र में वकीलों के लिए इस्तेमाल शब्द पर आपत्ति जताते हुए हड़ताल पर हैं। विरोध में वकीलों ने डीएम पोर्टिको पर प्रदर्शन किया। विशेष सचिव के पत्र की प्रति को जलाया। इस मामले में वकील कार्यवाही की मांग शासन से कर रहे हैं।
हड़ताल का प्रभाव इन प्रार्थना पत्रों की सुनवाई पर कितना पड़ता है यह सवाल सभी के सामने है। हड़ताल का हवाला देते हुए वादी व प्रतिवादी में से कोई भी पक्ष सुनवाई के दौरान उपस्थित नहीं होता है तो इसके लिए अगली तिथि तय की जा सकती है। दोनों पक्ष बार से अनुमति लेकर सुनवाई में शामिल भी हो सकते हैं। वादी और प्रतिवादी पक्ष कचहरी पहुंच चुका है। सब अपनी-अपनी तैयारी कर रहे हैं। अदालत में सुनवाई लंच के बाद होगी । हालांकि बेहद चर्चित मामले पर पूरे देश की निगाह है।
हर कोई देखना चाहता है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में एक बार एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही होती है या प्रार्थना पत्र में की गयी मांग अस्वीकार कर दिया जाता है। वादी पक्ष ने अदालत को प्रार्थना पत्र देकर तहखाने के कुछ हिस्सों में जिसमें मलबा व एक पक्की दीवार है उसे हटाकर सर्वे करने की मांग किया है। वहीं दूसरे प्रार्थना पत्र में परिसर स्थित मानव निर्मित तालाब में मछलियों को अन्य जगह स्थानांतरित करने की मांग की गयी है। वजूखाने वाले क्षेत्र को सील करने की वजह से वहां मौजूद का प्रयोग भी मुश्किल होगा। वहीं पानी के लिए बिछायी गयी पाइप लाइन को भी सील क्षेत्र से हटाने की मांग इसमें की गयी है। इन दोनों प्रार्थना पत्र के साथ ही एडवोकेट कमिश्नर ने भी एक प्रार्थना पत्र अदालत में दाखिल किया था। इसमें रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो दिन का वक्त मांगा था। अदालत ने इसे स्वीकार कर लिया था।