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चलो गांव के बाजार : लाल इमरती की मिठास खींच लाती है नई बाजार, दोपहर दो बजे हो जाती है लोगों की जुटान

सारनाथ संग्रहालय से तीन किलोमीटर दूर नई बाजार चौराहा पर ऐसा बाजार है जहां लोगों की जरूरत का सभी सामान मिलता है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 12:33 PM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 04:55 PM (IST)
चलो गांव के बाजार : लाल इमरती की मिठास खींच लाती है नई बाजार, दोपहर दो बजे हो जाती है लोगों की जुटान
चलो गांव के बाजार : लाल इमरती की मिठास खींच लाती है नई बाजार, दोपहर दो बजे हो जाती है लोगों की जुटान

वाराणसी, जेएनएन। सारनाथ संग्रहालय से तीन किलोमीटर दूर नई बाजार चौराहा पर ऐसा बाजार है जहां लोगों की जरूरत का सभी सामान मिलता है। किराना, कपड़े, जूता-चप्पल को छोटी बात है यहां पर फ्रीज, एलइडी टीवी आदि की दुकानें भी यहां पर मौजूद हैं लेकिन सबसे खास यहां की इमरती भी है। लाल रंग इस मिठाई की सोंधी खुश्बू पूरे बाजार में फैली रहती है। दूर-दूर से लोग इस मिठाई को लेने आते हैं। बाजार में एक ऐसी मिठाई की दुकान है जिस पर दो बजे से भीड़ जुट जाती है। इस दुकान के समोसे व गुलाब जामुन की लूट मची रहती है। वहीं शुद्ध शाकाहारी मंच्यूरियन की दुकान के क्या कहने हैं। इसको पसंद करने वाले एक बार खाने के बाद दोबारा जरूर आते हैं। 

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ग्रामीणों की प्रतिक्रिया

बाजार में ग्राहकों का आना-जाना रहता है। यहां पर सुविधाएं बढ़े तो कारोबार में विस्तार हो। यही उम्मीद सरकार से रहती है। सुविधाओं का विकास होना चाहिए।- शनि

इस बाजार में क्या नहीं मिलता है। ग्रामीणों को कहीं जाने की जरूरत नहीं है। मिठाई, सोमेसे की दुकानें तो प्रसिद्ध हो चुकी हैं। दूर-दूर से लोग यहां पर आते हैं। -किशन

बात कुछ वर्ष पहले की है जब कुछ भी लेने के लिए सारनाथ या फिर आशापुर के लिए जाना होता था। अब इसी बाजार में सब कुछ मिलता है। कहीं जाने की जरूरत नहीं है। -रामचंद्र चौरसिया

बाजार के आसपास कालोनियां बसाई जा रही हैं। लोगों की भीड़ बाजार में खूब होती है। बस, यहां की सड़क व नाली बन जाए तो बारिश के मौसम में भी कारोबार हो। - ऊषा देवी

अब बाहरी लोग भी इलाके में बस रही कालोनियों में रहने के लिए आने लगे हैं। ऐसे में बाजार गुलजार होता जा रहा है। युवाओं के लिए रोजगार के अवसर खुल गए हैं। - आनंद कुमार 

हम लोगों को पहले कारोबार के लिए शहर के बाजारों में जाना होता था। नई बाजार ने जब आकार लिया तो यहां के लोगों ने दुकानें खोल कर व्यापार में जुट गए। -संतोष कुमार 

अब घर के बच्चों को महानगरों में काम के लिए जाने की जरूरत नहीं है। बाजार में दुकानें खोलकर घर पर रहते हुए आय कर रहे हैं। एक दुकान पर घर के कई सदस्य काम पर लगे हैं। -बीरबल शेख

बाजार की सड़क का हाल बेहद खराब है। नाली जाम है। जल निकासी का कोई इंतजाम नहीं है। बिजली के तार नीचे लटक रहे हैं। समस्याओं को दूर करना होगा। - प्रदीप 


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