शहरों से उठा दाना-पानी, गौरैया बनी कहानी
वाराणसी : शहरों से गायब होती हरियाली, कंक्रीट में बदलते शहर में गायब होते आंगन ने गौर
वाराणसी : शहरों से गायब होती हरियाली, कंक्रीट में बदलते शहर में गायब होते आंगन ने गौरैया को लगभग ओझल कर दिया है। जब आंगन ही नहीं बचे तो गौरैया फुदकने कहां से आएगी। शहरों से इसकी चहचहाहट ऐसी गायब हुई कि अब वह किस्सों-कहानियों में ही जिंदा है। सरकार से लेकर विशेषज्ञ तक चिंता में हैं कि आखिर 'हाउस स्पैरो' घर, आंगन और शहर से गायब क्यों हो रही है। बीएचयू के पक्षी विशेषज्ञ कहते हैं कि गौरैया के संरक्षण में कई फैक्टर होते हैं। इंसानों के बीच रहने वाली यह पक्षी बढ़ते शहरीकरण में खुद को ढाल नहीं पाई। साथ ही शहर में गौरैया को मोटा अनाज न मिलना भी इसके गायब होने का एक कारण है। वहीं चरखी चिड़िया भी इसके लिए खतरा है। वह गौरैया को मार देती है। बीएचयू की जंतु विज्ञानी प्रो. चंदना हालदार कहती हैं कि बाजरा, ककुनी, जोन्हरी (ज्वार), बाजरा आदि अनाज गौरैया को प्रिय हैं। इनकी खेती अब सीमित क्षेत्रों में होती है। इस कारण उसे प्रिय भोजन नहीं मिल पा रहा है।