मधुमेह, गुर्दा व मूत्राशय में लाभकारी है कोदो, मोटे अनाज में शामिल कोदो में पौष्टिकता का भंडार Sonbhadra news
कोदो की पौष्टिकता के बारे में जब आपको जानकारी मिलेगी तो स्वत इसके प्रति झुकाव होगा।
सोनभद्र, जेएनएन। मोटे अनाज में गिना जाने वाला कोदो आज उपेक्षित अनाज में शामिल हो गया है। कम लागत में अधिक उपज पाने की लालसा में भले ही किसान धान, गेहूं व अन्य अनाज की खेती करने में पसंद दिखा रहे लेकिन, कोदो की पौष्टिकता के बारे में जब आपको जानकारी मिलेगी तो स्वत: इसके प्रति झुकाव होगा।
जी हां, कोदो का चावल, इसकी रोटी या इसका दाना काफी लाभदायक है। पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन की उपलब्धता वाले इस अन्न में पौष्टिकता की खान होती है। यानि यह सुपोषण के लिए सबसे बढिय़ा अन्न है। चिकित्सकों की मानें तो मधुमेह, गुर्दों व मूत्राशय के लिए कोदो की रोटी, इसके दाने का भात काफी लाभकारी माना जाता है। उच्च रक्तचाप के मरीजों के लिए भी फायदेमंद है। इसमें पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम मिलता है। इससे हड्डियां मजबूत होती हैं।
इतना पौष्टिक तत्व
कोदो पुराने समय से देश के विभिन्न हिस्सों में उपजाया जाता है। इसे ऋषि अन्न भी माना गया है। इसके दाने में 8.3 फीसद प्रोटीन, 1.4 फीसद वसा तथा 65.9 फीसद कार्बोहाइड्रेट मिलता है। कोदो-कुटकी मधुमेह नियंत्रण, गुर्दो और मूत्राशय के लिए लाभकारी है। यह रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक के प्रभावों से भी मुक्त है। कोदो-कुटकी उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए रामबाण है। इसमें चावल के मुकाबले कैल्शियम भी 12 गुना अधिक होता है। शरीर में आयरन की कमी को भी यह पूरा करता है। इसके उपयोग से कई पौष्टिक तत्वों की पूर्ति होती है।
जिले में होती है खेती
पौष्टिकता से भरपूर कोदो की खेती वैसे तो कम किसान करते हैं लेकिन, दक्षिणांचल के कई किसान ऐसे हैं जो कोदो की खेती करते हैं। गत वर्ष तो इसे बढ़ावा देने के लिए कई किसानों को राजकीय कृषि गोदाम से बीज भी वितरित किया गया था। जिला कृषि अधिकारी पीयूष राय बताते हैं कि कोदो की खेती में खर्च भी ज्यादा नहीं है। कम बारिश में भी इसकी खेती अच्छी होती है।