चंदौली में केएन गोविंदाचार्य ने पं. दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर किया माल्यार्पण
विचारक केएन गोविंदाचार्य मंगलवार की दोपहर नगर के परमार कटरा स्थित पं. दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने पहुंचे। इससे पूर्व वह अपने तीन दिनी वाराणसी प्रवास पर थे और वाराणसी में गंगा और देश की संस्कृति को लेकर उन्होंने लोगों से जन संवाद भी किया।
चंदौली, जेएनएन। विचारक केएन गोविंदाचार्य मंगलवार की दोपहर नगर के परमार कटरा स्थित पं. दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने पहुंचे। इससे पूर्व वह अपने तीन दिनी वाराणसी प्रवास पर थे और वाराणसी में गंगा और देश की संस्कृति को लेकर उन्होंने लोगों से जन संवाद भी किया।
चंदौली जिले में अध्ययन संवाद प्रवास पर निकले प्रख्यात चिंतक व विचारक केएन गोविंदाचार्य मंगलवार को पड़ाव स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 63 फीट ऊंची प्रतिमा पर पाल्यार्पण की सिर झुकाया। इसके बाद वो पीडीडीयू जंक्शन के यार्ड स्थित खंभा 1267 पर जहां पंडित दीनदयाल का शव मिला था वहां गए और उन्हें याद किया। गोविंदाचार्य नगर के परमार कटरा में पत्रकारों से रूबरू भी हुए थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि सेवा के लिए संवेदनशीलता चाहिये नहीं तो सेवा सौदा हो जाएगा। व्यक्ति से बड़ा दल और दल से बड़ा समाज व समाज से बड़ा देश भारत संस्कारों का देश है। वोट समाज को देना है और उसी से देश का निर्माण होगा।
इससे पूर्व नगर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर उन्होंने माल्यार्पण भी किया। इसके बाद वो सड़क मार्ग से बिहार होते हुए पश्चिम बंगाल के गंगा सागर तक की यात्रा पर निकले गए। उनका यह भी कहना था कि देश में ग्रामीण गरीबी अभी भी कम नहीं हुई है। जबकि शहरी गरीबी में कुछ परिवर्तन देखने को मिल रहा है। उन्होंने अपने को किसी भी राजनीतिक दल का सदस्य होने से इनकार किया। रोजगार पर पूछे गए सवाल के दौरान उन्होंने कहा कि इसके लिए बहुत बड़े प्लानिंग की जरूरत है। अप्रवासी मजदूरों को बेरोजगारी से उभरना प्रथम कार्य है। प्रख्यात चिंतक व विचारक केएन गोविंदाचार्य एक सितंबर से 20 अक्टूबर तक देव प्रयाग से गंगा सागर तक की यात्रा पर निकले हैं। इससे पूर्व वह प्रयागराज के बाद मीरजापुर और वहां से वाराणसी की भी यात्रा कर चुके हैं।