राजा तो राम की तरह ही होना चाहिए, रामायण विश्व महाकोष की तैयारी बैठक में बोले मंत्री नीलकंठ
राम राज्य की परिकल्पना जनमानस में थी इसलिए राजा तो हमारा राम जैसा ही होना चाहिए। डा. नीलकंठ रामायण विश्व महाकोष की तैयारी की 21वीं बैठक में बोले।
वाराणसी, जेएनएन। धर्मार्थ मंत्री डा. नीलकंठ तिवारी ने कहा कि सातवीं शताब्दी से भारत पर अनेकानेक कारणों से लगातार हमले होते रहे। इससे आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक क्षेत्रों में अपूरणीय क्षति पहुंचाई गई। यहां तक कि अनुचित व असंगत इतिहास लेखन किया गया। वर्तमान काल सांस्कृतिक पुनर्जागरण का है जिसके सबसे बड़े प्रतीक राम हैं। कहा कि जब रामलीला खेलते समय प्रारंभ, मध्य व अंत में राजा राम जी का जयकारा लगाया जाता है। उसका भी विशेष अर्थ व संकेत है। चाहे बाबा तुलसी का समय हो या पराधीनता का काल, उस समय राजा ही आतातायी था। इसी से मुक्ति के लिए राम राज्य की परिकल्पना जनमानस में थी इसलिए राजा तो हमारा राम जैसा ही होना चाहिए।
डा. नीलकंठ रामायण विश्व महाकोष की तैयारी की सोमवार को 21वीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। वेब कास्ट से आयोजित बैठक में बीज वक्तव्य में प्रो. राना पीवी सिंह ने स्पष्ट कर दिया कि महा महाकोष का लेखन विशेष है। इसमें श्रद्धा, आस्था विश्वास बहुत जरूरी है। रामायण संस्कृति के बारे में भौगोलिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक व वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखना होगा। प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने बताया कि सभी भाषाओं व बोलियों के लिखित अलिखित साहित्य के साथ मूर्त व अमूर्त विरासत के राम तत्वों का विशद अन्वेषण समय की आवश्यकता है। छत्तीसगढ़ के समन्वयक डा. ललित शर्मा ने वहां की तैयारी की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की। निदेशक रामायण विश्व महाकोष डा. राजेश श्रीवास्तव ने रामायण केंद्र भोपाल की तैयारी से अवगत कराया। रामायण केंद्र भोपाल द्वारा शोध मित्रों का चयन भी किया जा रहा है। बंगाल की तैयारियों के विषय में डा. अनीता बोस ने प्रस्तुतिकरण दिखाया। आइआइटी खडगपुर इस योजना में सहभागिता पर सहमत है। प्रो. नीतू सिंह ने मैदानी रामलीला पर कार्य के लिए योजना पर चर्चा की। मनीष ने वाराणसी की अनेक परंपराओं में राम के संदर्भों पर कार्य करने की संभावना से अवगत कराया। धन्यवाद ज्ञापन व संचालन प्रो. प्रभाकर सिंह ने किया।