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श्रीकाशी विश्वनाथ धाम को केंद्र में रखते हुए धर्म नगरी में प्रचलित यात्रा पथों को जोड़ने की तैयारी

समग्र पर्यटन विकास योजना के तहत श्रीकाशी विश्वनाथ धाम को केंद्र में रखते हुए धर्म नगरी में प्रचलित यात्रा पथों को जोड़ने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए प्रस्तावित परियोजना पावन पथ के चार सर्किट के लिए 24.34 करोड़ रुपये स्वीकृत हो चुके हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 07:20 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 07:20 AM (IST)
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम को केंद्र में रखते हुए धर्म नगरी में प्रचलित यात्रा पथों को जोड़ने की तैयारी
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम को केंद्र में रखते हुए धर्म नगरी में प्रचलित यात्रा पथों को जोड़ने की तैयारी

जागरण संवाददाता, वाराणसी : समग्र पर्यटन विकास योजना के तहत श्रीकाशी विश्वनाथ धाम को केंद्र में रखते हुए धर्म नगरी में प्रचलित यात्रा पथों को जोड़ने की तैयारी की जा रही है। इसमें शामिल द्वादश ज्योतिर्लिंग, काशी भैरव, नौ गौरी, नौ दुर्गा, अष्ट विनायक, अष्ट प्रधान विनायक, अष्ट भैरव, काशी विष्णु, द्वादश आदित्य, काशी चार धाम, एकादश विनायक मंदिरों को जोड़ा जाएगा। इसके लिए प्रस्तावित परियोजना पावन पथ के चार सर्किट के लिए 24.34 करोड़ रुपये स्वीकृत हो चुके हैं। सात जनवरी को शासन की ओर से जारी पत्र के साथ ही 40 लाख रुपये कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कारपोरेशन लिमिटेड को दिए गए हैं। संस्था ने कार्य का पूरा खाका तैयार कर लिया है। जल्द ही इस पर कार्य भी शुरू कर दिया जाएगा। इन चार सर्किटों में अष्ट भैरव और नौ गौरी यात्रा के लिए 532.31 लाख, नव दुर्गा यात्रा के लिए 504.42 लाख, काशी चार धाम यात्रा, काशी विष्णु यात्रा, द्वादश आदित्य यात्रा के लिए 676.72 लाख, अष्ट विनायक, विनायक एवं द्वादश ज्योतिर्लिंग के लिए 720.63 लाख रुपये की स्वीकृति मिली है।

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पावन पथ से श्रद्धालु 120 मंदिरों में टेक सकेंगे मत्था

प्रस्तावित पावन पथ यात्रा से श्रद्धालु 120 मंदिरों में मत्था टेकेंगे। शासन द्वारा स्वीकृत धनराशि से इस पथ में पड़ने वाले धार्मिक कुंड, तालाब, कूप, घाट, प्राचीन वृक्ष का जीर्णोद्धा कराया जाएगा। काशी की सीमा में जल-थल कहीं से भी प्रवेश करते ही श्रद्धालुओं को पावन पथ सर्किट की संपूर्ण जानकारी मिल जाएगी। इस सर्किट का मुख्य उद्देश्य काशी के प्राचीन मंदिरों एवं इनके पौराणिक महत्व पर प्रकाश डालना है। इसके साथ ही देश के समृद्ध भारतीय संस्कृति को एक बार फिर दुनिया से रू-ब-रू करना है। योजना के तहत पावन पथ यात्रा के प्रत्येक मार्ग के शुरुआत और अंतिम पड़ाव पर भव्य द्वार बनाया जाएगा। श्रद्धालु रात में आसानी से आवागमन कर सकें इसके लिए अच्छी सड़कें, प्रकाश की व्यवस्था, विश्राम स्थल की व्यवस्था होगी। वहीं जो मंदिर मुख्य सड़क से दूर हैं उनको मुख्य सड़क से जोड़ा जाएगा।


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