काशी सुनेगी पंडित हरिप्रसाद चौरसिया का बांसुरी वादन, दो दिनी कार्यक्रम का शुभारंभ 14 से
भारतीय संगीत की विभिन्न शैलियों को पूरे देश मे लोकप्रिय बनाने के अभियान में लगी बनयान ट्री स्वरा के माध्यम से इस वर्ष फिर से वाराणसी के अस्सी घाट पर आ रही है।
वाराणसी, जेएनएन। भारतीय संगीत की विभिन्न शैलियों को पूरे देश मे लोकप्रिय बनाने के अभियान में लगी बनयान ट्री स्वरा के माध्यम से इस वर्ष फिर से अस्सी घाट पर आ रही है। स्वरा का पांचवें संस्करण का आगाज 14 मार्च को असि घाट पर शाम साढ़े छह बजे होगा।
इस आशय की जानकारी बनियान ट्री के प्रबंध निदेशक महेश बाबू ने शुक्रवार को दी। उन्होंने बताया कि दैनिक जागरण सुबह-ए-बनारस व प्रदेश संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में काशी में स्वरा का कार्यक्रम लगातार पांचवें वर्ष हो रहा है। उन्होंने बताया कि स्वरा का उद्देश्य नामचीन कलाकारों के साथ स्थानीय कलाकारों को भी मौका देना है। इस क्रम में दो दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन यानी 14 मार्च को पंडित अनिंदो चटर्जी व अनुब्रत चटर्जी का तबला वादन और उनके साथ फारूख लतीफ खां सारंगी पर संगत करेंगे। दूसरा कार्यक्रम पंडित तेजेंद्र मजूमदार का सरोद वादन होगा। उनके साथ तबले पर रामकुमार मिश्र भी होंगे। प्रथम दिन स्थानीय कलाकार रागिनी सरना के शास्त्रीय गायन से कार्यक्रम की शुरुआत होगी।
महेश बाबू ने बताया कि दूसरे दिन स्वरा का मुख्य आकर्षण प्रख्यात बांसुरी वादक पद्मविभूषण पंडित हरि प्रसाद चौरसिया होंगे। काशीवासियों को उनकी स्वतंत्र बांसुरी वादन सुनने का मौका मिलेगा। इसी क्रम में शारदा प्रसान दास के वायलिन व हरि पौडवाल के बांसुरी वादन की युगलबंदी होगी। अगले कलाकार के रुप में आनंद भाटे का गायन होगा। प्रबंध निदेशक ने बताया कि बनयान ट्री के लिए काशी आकर्षण का केंद्र रहा है। इस बार दिसंबर में यहां स्कूली बच्चों के लिए बड़ा कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा।