Move to Jagran APP

Kashi Vishwanath Temple : बाबा विश्‍वनाथ के झुलनोत्सव में भी छाएगा आजादी के अमृत महोत्सव का रंग

Kashi Vishwanath Temple बाबा विश्‍वनाथ को प्रिय मास सावन और दूसरी ओर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। पूर्णिमा पर बाबा झूले पर विराजेंगे और सावन को विदाई देंगे। साथ में माता गौरा होंगी तो पुत्र गणेश भी इस उत्सव का आनंद लेते नजर आएंगे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 09 Aug 2022 11:03 AM (IST)Updated: Tue, 09 Aug 2022 11:03 AM (IST)
Kashi Vishwanath Temple : बाबा विश्‍वनाथ के झुलनोत्सव में भी छाएगा आजादी के अमृत महोत्सव का रंग
Kashi Vishwanath Temple : पूर्णिमा पर बाबा झूले पर विराजेंगे और सावन को विदाई देंगे।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। बाबा को प्रिय मास सावन और दूसरी ओर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। पूर्णिमा पर बाबा झूले पर विराजेंगे और सावन को विदाई देंगे। साथ में माता गौरा होंगी तो पुत्र गणेश भी इस उत्सव का आनंद लेते नजर आएंगे। स्वर्णिम गर्भगृह में सजी दिव्य भव्य झांकी पर श्रद्धालु बरबस ही रीझ जाएंगे। इस खास मौके को मंदिर प्रशासन राष्ट्र भक्ति के रंगों से भी सराबोर करेगा।

prime article banner

फूलों के चयन में तीन रंगों का समावेश किया जाएगा और तिरंगी छटा निखर कर सामने आएगी। महंत परिवार पहले ही राष्ट्र धर्म को सर्वोपरि बताते हुए पालकी यात्रा को तिरंगी छटा से सराबोर करने का निर्णय ले चुका है। टेढ़ी नीम स्थित महंत आवास में तीन रंगों में शृंगार किया जाएगा और पहली बार बाबा दर्शन देते हुए मंदिर तक आएंगे। यह पहला मौका होगा जब बाबा दरबार का नव्य भव्य परिसर, स्वर्णिम गर्भगृह और छटा भी तिरंगी होगी। अब तक स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस पर ही फूल-पत्तियों, विद्युत झालरों व पताकाओं से यह रंगत बिखेरी जाती रही है।

मास विशेष की परंपरा अनुसार हर सोमवार बाबा का अलग-अलग रूप शृंगार किया जाता है। इस मान विधान के तहत बाबा की पहले सोमवार को मानवाकृत झांकी सजाई गई थी। दूसरे सोमवार को बाबा का स्वर्णिम गर्भगृह में शिव-शक्ति शृंगार किया गया था। तीसरे सोमवार को अर्द्धनारीश्वर झांकी से काशीपुराधिपति ने विभोर किया था, संदेश भी दिया था तो चौथे सोमवार को रुद्राक्ष के दानों से उनका शृंगार किया गया था।

वास्तव में काशी सदा से पर्व-उत्सवों में श्रद्धा भक्ति के रंग घोलती रही है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण कार्तिक पूर्णिमा पर मनाया जाने वाला काशी का अनूठा जल उत्सव देव दीपावली है। चार दशक पहले शुरू हुआ शुरू हुए उत्सव में कारगिल युद्ध के दौरान राष्ट्रभक्ति का रंग घुला।

दशाश्वमेध पर आज भी हर साल कार्तिक के पहले दिन से मास पर्यंत अमर शहीदों के नाम आकाशदीप जलाए जाते हैं। सैन्य बैंड से शहीदों को सलामी दी जाती है। इसका समापन देव दीपावली पर इंडिया गेट और अमर ज्योति की प्रतिकृति पर पुष्प चक्र अर्पित कर किया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.