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    एक भारत-श्रेष्ठ भारत के संकल्प को सुदृढ़ और जीवंत कर रहा है काशी तमिल संगमम् : CM योगी

    Updated: Wed, 03 Dec 2025 02:50 AM (IST)

    काशी में कार्तिक मास के अवसर पर आयोजित काशी तमिल संगमम् के शुभारंभ समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे “एक भारत-श्रेष्ठ भारत” के संकल्प ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, वाराणसी। तीनों लोकों में विशिष्ट, मोक्षदायिनी, भगवान शिव की पावन नगरी, आनंद कानन और सर्वविद्या की राजधानी अविमुक्त क्षेत्र काशी में कार्तिक मास की पावन बेला में आयोजित हो रहे काशी तमिल संगमम् को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक भारत-श्रेष्ठ भारत के संकल्प को सुदृढ़ और जीवंत बनाने वाला कदम बताया। मंगलवार को वाराणसी में आयोजित शुभारंभ समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा से अपने वोकेशनल एजुकेशन में तमिल, कन्नड़, मलयालम, तेलुगू, मराठी और बंगाली जैसी भाषाओं को सम्मिलित किया है।

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    छात्र अपनी रुचि के अनुसार इनमें से किसी एक भाषा का चयन करेंगे और सरकार उसका पूरा व्यय वहन करेगी। तमिल भाषा इस संदर्भ में एक नया मंच प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रतिवर्ष रामेश्वरम, मदुरै और कन्याकुमारी धाम के दर्शन के लिए जाते हैं। पर्यटन विभाग विशेष यात्रा कार्यक्रमों का आयोजन करेगा, जिनके माध्यम से श्रद्धालुओं को रियायती दरों पर इन पवित्र स्थलों का दर्शन कराया जाएगा।

    यह कार्यक्रम भारत के भविष्य में निवेश के समान है। प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में काशी तमिल संगमम् भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक बन चुका है। भगवान विश्वनाथ, माता विशालाक्षी, माता अन्नपूर्णा, माता मीनाक्षी, रामनाथस्वामी, गंगा और कावेरी का आशीर्वाद सभी पर बना रहे।

    वणक्कम काशी और हर-हर महादेव के उद्घोष से अभिवादन

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वणक्कम काशी और हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ सभी अतिथियों का तमिल भाषा में स्वागत किया। उन्होंने कहा कि रामेश्वरम की पवित्र भूमि से पधारे सभी आगंतुकों का उत्तर प्रदेश सरकार और प्रदेशवासियों की ओर से अभिनंदन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में काशी तमिल संगमम् का यह चौथा संस्करण एक भारत-श्रेष्ठ भारत के संकल्प को सुदृढ़ और जीवंत कर रहा है। उन्होंने कहा कि काशी और तमिल परंपरा के प्राचीन संबंधों के केंद्र में भगवान शिव हैं।

    इस संबंध-सेतु को आदि शंकराचार्य ने भारत के चारों कोनों में पवित्र पीठ स्थापित कर आगे बढ़ाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश का यह प्रवास काशी की शिवभक्ति, प्रयागराज का संगम और अयोध्या में धर्मध्वजा आरोहण के उपरांत प्रभु श्रीराम के दिव्य दर्शन का अद्वितीय आध्यात्मिक सौभाग्य प्रदान करेगा। यह आयोजन उत्तर और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक, शैक्षिक, आर्थिक और आध्यात्मिक साझेदारी को सशक्त करते हुए भारत के उज्ज्वल भविष्य के नए द्वार खोल रहा है। इस वर्ष की थीम ‘तमिल सीखें’ प्रेरक है, जो ज्ञान, संस्कृति और भाषा के माध्यम से एक भारत-श्रेष्ठ भारत को और सुदृढ़ करेगी।

    तेनकासी से प्रारंभ कार यात्रा का उल्लेख

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस वर्ष तेनकासी (तमिलनाडु) से प्रारंभ हुई कार रैली को आयोजन का प्रमुख आकर्षण बताया। उन्होंने कहा कि दो हजार किलोमीटर की यह यात्रा काशी की पवित्र भूमि से गहरे संबंधों का स्मरण कराती है। पांड्य राजवंश के महान शासक आदिवीर पराक्रम पांडियन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह यात्रा उत्तर की दिशा में उनके प्राचीन मार्ग की पुनर्स्मृति है। शिव मंदिर और तेनकासी की कथा तमिल और भारतीय सांस्कृतिक इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखती है।

    ज्ञान, साधना और सांस्कृतिक एकता को नई ऊंचाई

    मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में चल रहा यह अभियान ज्ञान, साधना, सांस्कृतिक एकता और साझा भारतीय सभ्यता को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। यह आयोजन तीर्थ परंपरा, भावनात्मक एकता और ऐतिहासिक, सांस्कृतिक तथा आधुनिक संबंधों को प्रगाढ़ करता है। उन्होंने संस्कृत श्लोक 'अयोध्या मथुरा माया काशी कांची अवंतिका पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिकाः' का उल्लेख करते हुए भारत के सात पवित्र नगरों की महिमा बताई।

    आदित्य हृदय स्तोत्र और महान संतों का उल्लेख

    महर्षि अगस्त्य द्वारा रचित आदित्य हृदय स्तोत्र का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह वही स्तुति है जिसे महर्षि अगस्त्य ने रावण से युद्ध से पूर्व श्रीराम को सुनाया था। उन्होंने कहा कि महर्षि अगस्त्य, आदि गुरु शंकराचार्य, संत तिरुवल्लुवर, जगद्गुरु रामानुजाचार्य, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसे महान व्यक्तित्वों ने दक्षिण भारत से निकलकर पूरे देश में ज्ञान का प्रकाश फैलाया। शैव-वैष्णव भक्ति परंपराएं तमिल सभ्यता की आध्यात्मिक समृद्धि को प्रदर्शित करती हैं। उन्होंने बताया कि चेट्टियार समाज पिछले दो सौ वर्षों से काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए पूजन सामग्री उपलब्ध करा रहा है। त्रिवेणी संगम के जल से रामेश्वरम के श्रीरामनाथस्वामी और कोड़ितीर्थम् के जल से काशी विश्वनाथ के अभिषेक की परंपरा अब प्रतिमास आगे बढ़ रही है।

    काशी में तमिल परंपरा की जीवंत उपस्थिति

    मुख्यमंत्री योगी ने काशी के केदार घाट, हनुमान घाट और हरिश्चंद्र घाट का उल्लेख करते हुए कहा कि यहां तमिल संस्कृति आज भी जीवंत दिखाई देती है। उन्होंने आईआईटी मद्रास और बीएचयू की संयुक्त शैक्षिक योजनाओं को राष्ट्रीय एकता की दिशा में प्रेरक कदम बताया। उन्होंने बताया कि आगंतुक अपने प्रवास के दौरान प्रयागराज और अयोध्या भी जाएंगे। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि परिसर में महर्षि अगस्त्य का मंदिर बन चुका है और उनकी भव्य प्रतिमा स्थापित है।

    श्रीराम मंदिर का प्रवेश द्वार जगद्गुरु शंकराचार्य और जगद्गुरु रामानुजाचार्य के नाम पर है तथा अयोध्या के बृहस्पति कुंड में दक्षिण भारतीय संतों त्यागराज, पुरंदर दास और अरुणाचल कवि की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण ने देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक ऊर्जा को नई शक्ति दी है। पिछले चार वर्षों में यहां 26 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आए हैं, जिनमें सबसे बड़ी संख्या तमिलनाडु से है।

    सांस्कृतिक एकता का अद्वितीय उत्सव है काशी तमिल संगमम्

    कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने वर्चुअल माध्यम से काशी तमिल संगमम् के चौथे संस्करण पर वीडियो संदेश जारी किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान शुरू हुआ यह आयोजन अब राष्ट्रीय सांस्कृतिक मंच बन चुका है। संगमम् गंगा और कावेरी की संस्कृति को जोड़ते हुए उत्तर और दक्षिण की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। उपराष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री द्वारा हाल की मन की बात में कही गई इस टिप्पणी को याद किया कि यह संगम दुनिया की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक और सबसे प्राचीन जीवित शहर का मिलन है।

    उन्होंने प्रसन्नता जताई कि तमिल भाषा को राष्ट्रीय स्तर पर उसका उचित सम्मान मिल रहा है। उन्होंने इस वर्ष की थीम "आइए तमिल सीखें" को भाषाई और सांस्कृतिक सौहार्द बढ़ाने वाला बताया। तमिल भाषा सिखाने आए 50 हिंदीभाषी शिक्षकों की पहल की सराहना की, जो वाराणसी के 50 विद्यालयों में 1,500 छात्रों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। तेनकासी से काशी तक चल रही प्रतीकात्मक अगत्यर यात्रा को उन्होंने सांस्कृतिक संबंधों के पुनर्स्मरण का महत्वपूर्ण प्रयास बताया।

    उन्होंने यूपी के 300 छात्रों के तमिलनाडु के प्रमुख संस्थानों के शैक्षणिक दौरे का स्वागत किया, जो द्विपक्षीय सांस्कृतिक आदान-प्रदान को मजबूत करेगा। उपराष्ट्रपति ने संगमम् को एक भारत श्रेष्ठ भारत का जीवंत रूप बताते हुए इसकी सफलता और काशी–तमिल संस्कृति के अनंत काल तक सुदृढ़ होते संबंधों की कामना की।

    एक जन-आंदोलन बन गया है काशी-तमिल संगमम्

    केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कार्यक्रम में कहा कि काशी पवित्रता, ज्ञान तथा अध्यात्म की धरती है। भारत की इन दोनों संस्कृतियों के बीच सदियों पुराना नाता रहा है। आप तमिलनाडु के किसी भी मंदिर या स्थान पर जाइए तो आप पाएंगे कि वहां पर विभिन्न स्थानों पर काशी विश्वनाथ महादेव का श्री विग्रह विद्यमान हैं। जिस प्रकार रामेश्ववरम के प्रति दक्षिण भारत में श्रद्धा है, काशी विश्वनाथ के प्रति भी लोगों में उसी प्रकार आस्था है।

    यही हमारी सभ्यता व संस्कृति की पहचान है। वर्ष 2022 में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हमने उत्तर प्रदेश तथा तमिलनाडु के बीच एक ऐसा सेतु निर्मित किया है जो बौद्धिक आदान-प्रदान के साथ ही कई मायनों में विशिष्ट साबित हो रहा है। एआई टूल के माध्यम से आज जब मुख्यमंत्री योगी प्रदर्शनी का आवलोकन कर रहे थे तब एक तमिल प्रदर्शक ने तमिल में बोला जिसे एआई के माध्यम से अनुवादित कर उन्हें सुनाया गया। उन्होंने महाकुम्भ का जिक्र करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार की तारीफ की।

    उन्होंने माना कि काशी-तमिल संगमम् अब एक जन-आंदोलन बन गया है तथा उन्होंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को भी अपने वैचारिक मतभेद दूर सकते हुए काशी आकर कार्यक्रम में शामिल होने का आह्वान किया। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक और भाषायी विविधता हमारी शक्ति है। उन्होंने बीएचयू-आईआईटी मद्रास के आदान–प्रदान, तमिल शिक्षकों और विद्यार्थियों की पहल तथा काशी-तमिल कार रैली की सराहना की। महर्षि अगस्त्य का उल्लेख करते हुए उन्होंने एकता पर जोर दिया और औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर निकलने का आह्वान किया।

    काशिकापुराधिनाथ कालभैरवम् भजे' गुनगुनाते दिखे अतिथि

    वाराणसी में काशी तमिल संगमम् के चतुर्थ संस्करण के शुभारंभ समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग्रुप फोटोग्राफ भी खिंचवाई। उन्होंने प्रदर्शनी में शिरकत करते हुए विभिन्न स्टॉल्स का मुआयना किया। वहीं, मुख्य समारोह में सभी अतिथियों का शंख वादन तथा स्वस्ति वाचन से स्वागत किया गया। वेदमूर्ति देवव्रत रेखे तथा बालाजी बालू हरिदॉस को अंगवस्त्र व प्रतीक चिह्न देकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सम्मानित किया।

    कार्यक्रम में लघुफिल्म का चित्रण भी किया गया। काशी तमिल संगमम् 4.0 का थीम है 'तमिल करकला यानी आओ तमिल सीखें' तथा इसी कार्य को आगे बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा तमिल व्याकरण ग्रंथ तुलकापियम के 13 भाषा में अनुवादित प्रतियों का विमोचन किया गया। सभी अतिथियों ने पारंपरिक तमिल लोकनृत्य व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आनंद लिया, जिसमें कालभैरवाष्टकम् पर पारंपरिक नृत्य प्रमुख रहा तथा अतिथि 'काशिकापुराधिनाथ कालभैरवम् भजे' गुनगुनाते हुए दिखे।

    तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि भी रहे उपस्थित

    कार्यक्रम में तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री डॉ.एल मुरुगन, पुडुचेरी के उप राज्यपाल के कैलाशनाथन, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, श्रम व सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर, स्टाम्प एवं पंजियन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल,आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु, केंद्रीय उच्च शिक्षा सचिव डॉ. विनीत जोशी, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजीत चतुर्वेदी, आईआईटी चेन्नई के निदेशक प्रो. वी कामकोटि, आईआईटी बीएचयू के निदेशक डॉ. अमित पात्रा व अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।