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विश्व संगीत दिवसः यूनेस्को की धरोहर में काशी सिटी ऑफ म्यूजिक

भगवान शिव की नगरी काशी जिसे माना जाता है कि पुराणों से भी प्रचीन है वह यूनेस्को की धरोहर में संगीत की वजहों से शामिल है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 20 Jun 2018 07:50 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jun 2018 08:03 AM (IST)
विश्व संगीत दिवसः यूनेस्को की धरोहर में काशी सिटी ऑफ म्यूजिक
विश्व संगीत दिवसः यूनेस्को की धरोहर में काशी सिटी ऑफ म्यूजिक

वाराणसी (अभिषेक शर्मा)। भगवान शिव की नगरी काशी जिसे माना जाता है कि पुराणों से भी प्रचीन है वह यूनेस्को की धरोहर में संगीत की वजहों से शामिल है। कुछ खास तो है काशी में जो इसे विशेष बनाता है संगीत की दुनिया में। वैसे पुराणैतिहासिक मान्यताएं स्वीकारती हैं कि भगवान शिव का नटराज स्वरूप संगीत और कला को समर्पित है। शिव की नगरी काशी में उन्हीं परंपराओं ने आज भी इसकी वैश्विक पहचान बना रखी है। 

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यूनेस्को ने माना

  • संगीत विद्यालय, संगीत संस्कृति, गुरु शिष्य परंपरा और संगीत ज्ञान काशी का पुरातन है।
  • गुलाब बाड़ी, बुढ़वा मंगल, रामलीला को 350 वर्ष से संरक्षण प्राप्त है।
  • संगीत की जुगलबंदी सहित संगीत संवादों की सफलता सदियों से रही है।
  • छात्रों में संगीत योजनाओं और ज्ञान अभिवृद्धि का प्रसार सतत जारी रहा है।

ऐसे मिली काशी को वैश्विक पहचान

यूनेस्को द्वारा वर्ष 2016 में वाराणसी, सिटी ऑफ म्यूजिक के तौर पर जारी लोगो में काशी की पहचान शामिल है। इसमें वाद्य यंत्र, त्रिशूल व डमरू के साथ ही गंगा घाट और मंदिरों को भी संजोया गया है। यूनेस्को के आधिकारिक लोगो के साथ काशी की पहचान ने इसे संगीत की दुनिया में अलग मुकाम दिया है। जबकि, 11 दिसंबर 2015 को यूनेस्को की ओर से क्रिएटिव सिटी के तौर पर जयपुर को शिल्प व लोककला की श्रेणी के साथ ही वाराणसी को भी सिटी ऑफ म्यूजिक की पहचान के तौर पर शामिल किया गया था। यूनेस्को की वेबसाइट पर क्रिएटिव सिटी के तौर पर वाराणसी की उपलब्धियों को लेकर विशेष पेज भी तैयार किया गया है। वेब पेज पर ही काशी में संगीत की समृद्ध गुरु-शिष्य परंपरा का निर्वहन करते सुप्रसिद्ध ध्रुपद गायक प्रो.ऋत्विक सान्याल की तस्वीर और गंगा घाट पर सजे सुबह-ए-बनारस के मंच की तस्वीरें काशी की वैभवशाली संगीत का वैश्विक बखान करते हैं।

संगीत का अनोखा शहर

  • यूनेस्को ने काशी को भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बताते हुए इसे संगीत में अपनी समृद्ध परंपरा के साथ दर्ज किया है।
  • बनारस घराना इस शहर के नाम पर ही रखा गया है। यहां की शैली होरी, चैती, टप्पा, दादरा समृद्ध संगीत कला दर्शाती है।
  • घाट, हवेलियों एवं मंदिरों में बनारस घराने को सुना जा सकता है साथ ही बीएचयू के संगीत और नृत्य विभाग का भी महत्वपूर्ण योगदान है।

परंपरा का निर्वहन कर रहा दैनिक जागरण

काशी में गीत संगीत की परंपरा का निर्वहन 'दैनिक जागरण' परिवार कर रहा है। सिटी आफ म्यूजिक यानि काशी में 'भारत आनंद-काशी आनंद' के गंगा तट स्थित आरपी घाट पर गीत संगीत का आयोजन इस वर्ष से शुरू किया गया है। जहां शाम होते ही नियमित तौर पर गीत संगीत और सांस्कृतिक आयोजन से गंगा तट और भी वैश्विक वैभव प्राप्त कर रहा है।


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