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काशी आनंद- गंगा तट पर बिहार की लोककला व संस्कृति की बहार

'भारत आनंद-काशी आनंद' उत्सव के क्रम में शनिवार की शाम बिहार की लोककला व संस्कृति की बहार रही।

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Jul 2018 10:44 AM (IST)Updated: Sun, 15 Jul 2018 10:44 AM (IST)
काशी आनंद- गंगा तट पर बिहार की लोककला व संस्कृति की बहार
काशी आनंद- गंगा तट पर बिहार की लोककला व संस्कृति की बहार

वाराणसी : 'भारत आनंद-काशी आनंद' उत्सव के क्रम में शनिवार की शाम बिहार की लोककला व संस्कृति के नाम रही। डा. राजेंद्र प्रसाद घाट के खुले मंच पर कलाकारों ने बिहार की लोक संस्कृति के रंग बिखेरे, सुर-लय-ताल से समां बांधा। मैथिल समाज-बनारस के बैनर तले कलाकारों ने प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। कार्यक्रम का आगाज हुआ रेशमा श्रीवास्तव के सितार वादन से।

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रेशमा ने सधे अंदाज में राग पूरिया धनाश्री पेश कर तालियां बटोरी। उनके साथ तबले पर विनोद कुमार मिश्र ने कुशल संगत की।

- मंच पर सुरों की छटा

भूली-बिसरी यादें- गोल्डेन वॉयस प्रोग्राम के तहत ख्यात पा‌र्श्व गायकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने मंच पर उतरीं सारेगामा फेम नवोदित प्रतिभा तान्या तिवारी व दीक्षा सिंह ने सुरों की छटा बिखेरी। तान्या ने फिल्म मेरा साया के लोकप्रिय गीत- नयनों में बदरा छाए..और दीक्षा ने फिल्म काजल के गीत- तोरा मन दर्पण कहलाए.. सुनाकर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। इनके साथ बेस गिटार पर प्रत्यूष सिंह, एकॉस्टिक गिटार पर वैभव शर्मा व तबले पर राजीव कुमार ने संगत की। इसके बाद पटना के संजय कुमार गुप्ता ने लोक गायन से मोहित किया। संजय ने गीत- बिटिया दूसर देश जाय..से आगाज किया। फिर आयो सावन अधिक सुहावन..और वन में बोलत लागे मोर.. पेश किया। तबले पर निखिल पांडेय व हारमोनियम पर धनंजय कुशवाहा ने उनका साथ दिया।

- कथक से बांधा समा

मंच पर उतरे अमरनाथ झा ने कथक पेश कर दर्शकों को बांधा। तराना संग नृत्य की विभिन्न विधाओं का कुशल प्रदर्शन कर अपनी विशिष्ट प्रतिभा का परिचय दिया।

- रास आई देवाशीष की कजरी

देवाशीष दत्ता ने ठुमरी व कजरी पेश कर समा बांधा। देवाशीष ने गीत- का करूं सजनी आए न बालम.. सुनाकर श्रोताओं को विभोर किया। उनके साथ तबले पर दिलीप मिश्र व हारमोनियम पर निखिल कुमार ने संगत की। सहरसा की कुमारी श्यामा शैलजा ने मिथिलांचल की संस्कृति पर केंद्रित महाकवि विद्यापति की रचनाओं पर मैथिली भाषा में लोकगायन पेश किया। गीत के बोल रहे- हम मिथिले के जल से भरब गगरी.., पिया मोर बालक.. और ठुमका में झुमका..।

- नव्या के नृत्य को सराहना

मंच पर उतरी नव्या अग्रवाल ने कथक पेश कर अपनी विशिष्ट प्रतिभा का परिचय दिया। कथक की बारीकियों को नव्या ने कुशल अंदाज में पेश किया। नृत्य निर्देशन डॉ. जया राय ने किया।

- सावन में मोतिया हेराइल हो..

गायिका ज्योति के चैती व दादरा को भी श्रोताओं ने सराहा। ज्योति यादव ने गीत - तोहे ले के सावरियां. व सावन में मोतिया हेराइल हो रामा.. सुनाकर विभोर किया। इनके साथ तबले पर राकेश रोशन व हारमोनियम पर नेलेश पाडेय ने अच्छी संगत की।

- शिव तांडव से जमाया रंग

दर्शकों ने अनुष्का शर्मा, शिवानी कसेरा, सुनिश्चित आचार्य, तनिष्का शर्मा की ओर से संयुक्त रूप से पेश शिव तांडव को सराहा। देवाधिदेव महादेव के भजनों के साथ नवोदितों ने शिव तांडव की प्रस्तुति की।

- सेजल के गायन से समापन

समापन सेजल दुबे के गायन से हुआ। सेजल ने गीत- गंगा की बाकी लहरिया.. व नरहरि चंचल है.. सुनाकर श्रोताओं को विभोर किया। तबले पर अखिलेंद्र मिश्र व कीबोर्ड पर आकाश दुबे ने संगत की।

- कलाकारों का हुआ सम्मान

समापन पर मुख्य अतिथि पूर्वाेत्तर रेलवे के महाप्रबंधक राजीव अग्रवाल, विशिष्ट अतिथिद्वय आरपीएफ के आइजी राजाराम तथा डीआरएम एसके झा ने कलाकारों को प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया। संयोजन डॉ. विजय कपूर व कार्निवाल ग्रुप ऑफ आ‌र्ट्स का रहा। संचालन गौतम कुमार झा एडवोकेट, स्वागत निरसन झा एडवोकेट,नृत्य निर्देशन सुरभि सोनकर तथा आभार प्रकाश प्रेम शंकर सिंह ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से पूर्वाेत्तर रेलवे के पीआरओ अशोक कुमार, मैथिल समाज के भोगेन्द्र झा, सुधीर चौधरी, डा. वीडी तिवारी, ओपी पांडेय, नटवर झा, ज्योति झा व सोनी गुप्ता आदि मौजूद रहे। प्रस्तुतियों को कैमरे में सहेजा

भारत आनंद-काशी आनंद उत्सव को कैमरे में कैद करने में पूरी तल्लीनता से जुटे रहे दर्शक। गंगा तट पर घूमने आए बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानियों ने कलाकारों की प्रस्तुतियों को कैमरे में कैद किया और वीडियोग्राफी की। उत्सव अत्यंत सराहनीय : राजीव

मुख्य अतिथि पूर्वाेत्तर रेलवे के महाप्रबंधक राजीव अग्रवाल ने कलाकारों को सम्मानित करते हुए 'भारत आनंद-काशी आनंद' उत्सव की भरपूर सराहना की। बोले, देश के विभिन्न प्रांतों की लोककला व संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए 'दैनिक जागरण' का यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है। यह विश्वास भी दिलाया कि रेलवे इस तरह के आयोजनों के प्रचार-प्रसार में सहयोग प्रदान करेगा।


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