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कनहर परियोजना : झारखंड व छत्तीसगढ़ के भी आधा दर्जन गांव ले सकते हैं जलसमाधि

कनहर सिंचाई परियोजना को देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि आगामी कुछ वर्षों में जनपद के 13 गांव के अलावा झारखंड व छत्तीसगढ़ के आधा दर्जन गांव जलसमाधि लेंगे।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 26 Oct 2018 05:59 PM (IST)Updated: Sat, 27 Oct 2018 08:15 AM (IST)
कनहर परियोजना : झारखंड व छत्तीसगढ़ के भी आधा दर्जन गांव ले सकते हैं जलसमाधि
कनहर परियोजना : झारखंड व छत्तीसगढ़ के भी आधा दर्जन गांव ले सकते हैं जलसमाधि

सोनभद्र (जेएनएन) । कनहर सिंचाई परियोजना के कार्य की प्रगति को देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि आगामी कुछ वर्षों में जनपद के 13 गांव के अलावा झारखंड व छत्तीसगढ़ के आधा दर्जन गांव जलसमाधि ले लेंगे। जबकि विस्थापन की समस्या अभी भी सुरसा की तरह मुंह बाये खड़ी है। अब तक प्रशासनिक तौर पर सूचीबद्ध हुए 3719 विस्थापित परिवारों में से 2160 परिवारों को विस्थापन पैकेज का लाभ मिल पाया है। लाभान्वित परिवारों को भी प्रशासन विस्थापित कराने में अब तक नाकाम रहा है। ऐसे हालात में बांध का निर्माण कार्य पूर्ण होने के बावजूद उसका लाभ क्षेत्रीय किसानों को मिलने में संशय बना हुआ है। 

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अमवार में 2239 करोड़ रुपये की भारी भरकम धनराशि से निर्माणाधीन कनहर सिंचाई परियोजना के मुख्य बांध का निर्माण कार्य विभागीय दावे के मुताबिक आगामी वर्षों में भले ही पूरा हो जाय किन्तु इसका लाभ लेने के लिए क्षेत्रीय किसानों को अभी लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। महकमे के शीर्ष अधिकारी मुख्य बांध को 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। इसी को केंद्र में रखकर मुख्य बांध के साथ अन्य कार्यों को पूरा कराने के लिए महकमे के अभियंता लगे हुए हैं। दूसरी ओर की हकीकत यह है कि महकमे द्वारा सूचीबद्ध किये गये डूब क्षेत्र के तेरह गांव में आबाद 3719 विस्थापित परिवारों में से अब तक महज 2160 विस्थापितों को विस्थापन पैकेज का लाभ मिल पाया है। इसमें से महज पांच-छह दर्जन परिवार ही विस्थापित हो पाये, शेष पैकेज की धनराशि एवं आवासीय भूखंड की पत्रावली लेने के बावजूद वहीं गांव में ही पूरी तरह से आबाद है। ऐसे में तय समय सीमा के अंदर परियोजना का निर्माण कार्य पूर्ण होने के बावजूद उसका लाभ मिलने में क्षेत्रीय किसानों को संदेह होने लगा है। 

क्या बोले लाभान्वित होने वाले किसान  

परियोजना से लाभान्वित होने वाले किसानों का कहना है कि सरकार क्षेत्र के लाखों किसानों को सत्तर के दशक से ही बंजर भूमि में हरियाली का सपना दिखा रही है। गत कुछ वर्षों में लगा कि अब उनके दु:ख के दिन बहुरने वाले हैं किन्तु विभागीय एवं प्रशासनिक उदासीनता की वजह से यह मामला और लंबा खींचता दिखा रहा है। परेशान हाल किसानों ने जिला प्रशासन से मामले में रूचि लेकर विस्थापन संबंधी समस्याओं के निस्तारण यथाशीघ्र कराने की बात कही।

क्या कहते हैं विस्थापित 

कनहर डूब क्षेत्र में आबाद विस्थापितों का कहना है कि हम कही से विकास में बाधक नहीं है। हमारी जायज मांगों को पूरा करने में प्रशासनिक अधिकारी उदासीनता बरत रहे हैं। पैकेज का लाभ न मिलने से लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। परिवार में पांच सदस्य है तो किसी एक सदस्य को लाभ दे दिया गया,शेष को दौड़ाया जा रहा है। इन समस्याओं की वजह से वे कहीं के नहीं हो रहे हैं। कई मूल विस्थापित परिवारों के वर्तमान पीढ़ी का नाम सूची में जोड़ा ही नहीं गया है। प्रपत्र छह के मामले का अभी सुनवाई भी शुरू नहीं हो पाया है। 

बोले अधिशासी अभियंता 

कनहर सिंचाई खंड तीन के अधिशासी अभियंता विनय कुमार सिंह ने बताया कि महकमा जितना निर्माण कार्य के लिए गंभीर है, उतना ही विस्थापन समस्या के निस्तारण के लिए भी। छत्तीसगढ़ की समस्या का शत-प्रतिशत निस्तारण करते हुए वहां के राज्य सरकार के डिमांड के अनुसार 70 करोड़ रुपये की धनराशि का भुगतान किया जा चुका है। झारखंड को भी मांग के अनुसार धनराशि उपलब्ध कराई जा रही है जबकि यहां के अब तक चिन्हित किये जा चुके 3719 विस्थापित परिवारों में से 2160 को विस्थापन पैकेज का लाभ दिया जा चुका है। शेष की भुगतान प्रक्रिया जारी है। पर्याप्त मात्रा में धन भी उपलब्ध है। उम्मीद जताई कि आगामी कुछ माह में वंचित लोगों को भी पैकेज की राशि एवं अन्य लाभ से लाभान्वित कर दिया जायेगा। 

शीघ्र ही विस्थापितों के खाते में भेज दी जायेगी धनराशि 

उपजिलाधिकारी रामचंद्र यादव ने बताया कि शासकीय कार्यों की व्यस्तता की वजह से कुछ विलंब हुआ है। उन्होंने कहा कि चिन्हित किये गये वृद्ध, विकलांग, बीमार विस्थापित परिवारों की जांच कराई जा चुकी है। प्राथमिकता के आधार पर उनके खाते में पैकेज की धनराशि भेज दी जायेगी। इसके अलावा सूचीबद्ध तरीके से विस्थापितों का भुगतान बगैर किसी अड़चन के करने की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने विस्थापितों का आह्वान किया कि वे पैकेज की राशि जल्दी प्राप्त करने के लिए बिचौलिए के झांसे में न आयें। यदि इसके लिए उनसे किसी प्रकार की धनराशि या उपहार की मांग की जाती है तो वे इसकी शिकायत सीधे एसडीएम या उनसे ऊपर के अधिकारियों से करें।  


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