कबीरचौरा महोत्सव 2021 : जब सांसारिकता से मन हो उचाट, तो खोलें कबीर की झोपड़ी के कपाट
जब कभी मन हो म्लान तो कबीरचौरा पहुंचने का बनाएं प्लान। मन होने लगे उचाट तो खोलें कबीर की झोपड़ी के कपाट। अपूर्व शांति और आध्यात्मिकता के वातावरण में यहां पहुंच कुछ देर बैठिए कबीर के लूम पर और मंद-मंद आवाज में चल रहे कबीर के भजनों में खो जाएं।
वाराणसी [शैलेश अस्थाना]। जब कभी मन हो म्लान, तो कबीरचौरा पहुंचने का बनाएं प्लान। सांसारिकता से मन होने लगे उचाट तो खोलें कबीर की झोपड़ी के कपाट। अपूर्व शांति और आध्यात्मिकता के वातावरण में यहां पहुंच कुछ देर के लिए बैठिए कबीर के लूम पर, चलाइए कुछ देर लूम, न चलाना आता हो, तो उसे पकड़कर ही बैठें और मंद-मंद आवाज में चल रहे कबीर के भजनों में खो जाएं।
दअसल कबीर की झोपड़ी उनकी साधना स्थली पर बनी एक हाइटेक केबिन है, जो आधुनिक संयंत्रों के माध्यम से महान संत के जीवन-दर्शन को बताती है। कबीर के निवास स्थल रहे नीरू-नीमा टीले के बगल में मठ के महंत आचार्य विवेकदास के प्रयासों से इस हाइटेक झोपड़ी का निर्माण कराया गया है। लकड़ी का अहसास कराते आरसीसी खंभों पर टिकी इस झोपड़ी को बंगाल के कारीगरों ने बनाया है। झोपड़ी के एक कमरे में कबीर की आजीविका और श्रम के सम्मान का प्रतीक लूम लगा हुआ है।
बाल कबीर आपका स्वागत करेंगे, अपनी कहानी बताकर संसार की नश्वरता और दुखों के कारण बताएंगे
संत रैदास और कबीर की चर्चाओं के गवाह ऐतिहासिक कुएं के ठीक सामने बनी इस झोपड़ी के बगल मेें उनके पालक माता-पिता नीरू-नीमा की समाधि है। कुएं के बाईं तरफ संत कबीर की प्लास्टर आफ पेरिस की समाधि में लीन प्रतिमा है। झोपड़ी में पहुंचते ही एमपी3 आडियो में रिकार्ड मंत्रमुग्ध करने वाली आवाज में बाल कबीर आपका स्वागत करेंगे, अपनी कहानी बताकर संसार की नश्वरता और दुखों के कारण पर प्रकाश डालेंगे। सात मिनट का यह आडियो सुनते ही आपके दुख आधे दूर हो जाएंगे। इसके बाद मन की शांति के लिए आप झोपड़ी के लूम पर बैठकर कुछ देर उसे चलाकर कपड़ा बुनाई के माध्यम से अपना तनाव हल्का कर सकते हैं। न चलाने पर लूम में लगे सेंसर से लूम की खटपट की आवाज उस आध्यात्मिक नीरवता में अपूर्व शांति से भर देती है। मद्धम आवाज में बज रहा मधुर संगीत आके तन-मन को हल्का कर देता है।