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करवाचौथ के दिन मिला इंसाफ, सात जन्मों के साथ का वादा कर खुद ही उजाड़ दिया था पत्नी ने सुहाग

पति की हत्या करने के मामले में गुरुवार को अदालत ने मृतक की पत्नी और उसके चार परिचितों को दोषी करार देते हुए पांचों अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 08:41 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 10:36 PM (IST)
करवाचौथ के दिन मिला इंसाफ, सात जन्मों के साथ का वादा कर खुद ही उजाड़ दिया था पत्नी ने सुहाग
करवाचौथ के दिन मिला इंसाफ, सात जन्मों के साथ का वादा कर खुद ही उजाड़ दिया था पत्नी ने सुहाग

वाराणसी, जेएनएन। पति की हत्या करने के मामले में गुरुवार को अदालत ने मृतक की पत्नी और उसके चार परिचितों को दोषी करार देते हुए पांचों अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अपर्णा सिंह के अलावा वैष्णव नगर कालोनी, सुसुवाही निवासी कुमार यश वर्धन सिंह, जंसा थाना क्षेत्र के हरसोस गांव के धर्मेंद्र पटेल,अनिल प्रजापति व दिनेश सिंह पटेल को उम्रकैद की सजा दी गई है। विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण) रामचंद्र की अदालत ने साक्ष्य मिटाने के अपराध में भी दंडित किया है। अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी विनय कुमार सिंह ने पैरवी की। 

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अभियोजन पक्ष के अनुसार चंदौली के सेरुका गांव निवासी विनोद सिंह ने 21 दिसंबर 2015 को रोहनिया थाने में इस आशय का रिपोर्ट दर्ज था कराया कि उसका छोटा भाई सच्चिदानंद सिंह अपने परिवार के साथ चितईपुर स्थित विश्वकर्मा नगर कालोनी में रहता था। पराये पुरुषों से दोस्ती रखने के कारण उसका अपने पत्नी अपर्णा सिंह व पुत्री दिव्यांशी से अक्सर वाद विवाद होता था। उसने सच्चिदानंद के मोबाइल पर 18 दिसंबर 2019 को फोन किया तो वह स्विच ऑफ था। शक होने पर वह 19 दिसंबर 2015 को चितईपुर स्थित उसके आवास पर गया तब ताला बन्द मिला। वहीं गौतम नगर कॉलोनी, चितईपुर निवासी यशवर्धन सिंह मिला और कहा मुझसे गलती हो गई है, हमें बचा लीजिये। वहीं पत्नी अपर्णा सिंह और पुत्री दिव्यांश फरार थी। इस बीच अगले दिन रोहनियां थाना क्षेत्र में शव मिलने की सूचना पर जब वह वहां पहुंचा तो पता चला कि शव बीएचयू पोस्टमार्टम हाउस में रखा है। वहां उसके भाई की ही शव रखी थी। इस मामले में पुलिस ने मृतक की पत्नी अपर्णा सिंह, पुत्री दिव्यांशी, कुमार यशवर्धन सिंह, धर्मेंद्र पटेल,अनिल प्रजापति व दिनेश सिंह पटेल के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। विवेचना के दौरान यह तथ्य प्रकाश में आया कि मफलर से गला कसकर हत्या की गई थी। मामला तब गहराया जब घटना के दौरान पत्नी और उसके साथी फरार हो गए। हत्या का साक्ष्य मिटाने के लिए अभियुक्तों ने अन्यत्र फेंक दिया था। अदालत में मुकदमे की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से 13 गवाहों को परीक्षित कराये गए थे। अदालत ने गवाहों के बयान तथा पत्रावलियों पर उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर पांचों अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई। वहीं इस मामले में मृतक की पुत्री के नाबालिग होने के चलते उसका मामला किशोर न्याय बोर्ड में लंबित है।


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