जूनियर डाक्टरों की हड़ताल, मरीज बेहाल
वाराणसी : काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल की सर्जरी ओपीडी में मंगलवार को छ
वाराणसी : काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल की सर्जरी ओपीडी में मंगलवार को छात्र व चिकित्सकों के बीच मारपीट को लेकर जेआर (जूनियर रेजीडेंट) तीसरे दिन शुक्रवार को भी हड़ताल पर रहे। हड़ताल के दूसरे दिन जहां सीनियर डाक्टरों ने मरीजों को देखा वहीं तीसरे दिन सीनियरों ने भी मरीज देखने से परहेज रखा। इसके कारण दूर दराज से आए मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी। इलाज कराने आए मरीजों को सलाह देकर कबीरचौरा स्थित मंडलीय अस्पताल भेज दिया गया।
बिहार के भभुआ जिले से आए संजय का कहना था कि वे वाहन रिजर्व करके अपने माता-पिता को अस्पताल लाए। यहां आना उनका व्यर्थ हो गया उन्होंने आरोप लगाया कि हड़ताल का हवाला देकर सीनियरों ने भी मरीज देखने से मना कर दिया। मोतिहारी के मनोज भी अपने बच्चे का यहां इलाज कराने आए थे। उनका कहना था कि यहां पर आने पर पता चला कि डाक्टर हड़ताल का हवाला देकर इलाज नहीं कर रहे हैं। अब घर जा रहे हैं और बाद में आएंगे या प्राइवेट में दिखाएंगे।
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जेआर की मांग, एमपीए के तहत दर्ज हो मुकदमा
हड़ताल कर रहे जूनियर डाक्टरों की माग है कि एमपीए (मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट) के तहत डाक्टरों से मारपीट करने वालों पर मुकदमा दर्ज किया जाए। साथ ही स्पेशल सुरक्षा की भी उनकी माग है। उनका आरोप है कि प्रशासन अगर मुकदमा दर्ज कर लेता है तो वे तुरंत हड़ताल खत्म कर काम पर लौट आएंगे और पूर्व की भांति मरीजों को देखना और चिकित्सा सुविधा बहाल कर दी जाएगी। उनका कहना है कि उनकी मंशा मरीजों को परेशान करने की कतई नहीं है, लेकिन हमारी मागें नहीं मानने पर ही वे मजबूरन हड़ताल कर रहे हैं। शाम को डाक्टर लाउंज में प्रेसवार्ता कर बताया कि अस्पताल प्रशासन ने गुरुवार की रात ही लंका थाने में तहरीर दे दी, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। ऐसे में अगर हड़ताल चल रही है तो इसकी जिम्मेदारी पुलिस की भी है। उनकी मांग नहीं मानी गई तो आपात चिकित्सा भी ठप कर सकते हैं।