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जौनपुर जेल 23 दिन से जेलर विहीन, नए जेलर की तैनाती के लिए अधीक्षक ने डीजी कारागार को लिखा पत्र

सूबे की सबसे संवेदनशील जेलों में शामिल जिला कारागार जौनपुर 23 दिन से बिना जेलर के है। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़ा हो गया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 10 Oct 2019 08:13 PM (IST)Updated: Fri, 11 Oct 2019 12:51 PM (IST)
जौनपुर जेल 23 दिन से जेलर विहीन, नए जेलर की तैनाती के लिए अधीक्षक ने डीजी कारागार को लिखा पत्र
जौनपुर जेल 23 दिन से जेलर विहीन, नए जेलर की तैनाती के लिए अधीक्षक ने डीजी कारागार को लिखा पत्र

जौनपुर, जेएनएन। सूबे की सबसे संवेदनशील जेलों में शामिल जिला कारागार जौनपुर 23 दिन से बिना जेलर के है। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़ा हो गया है। जेल अधीक्षक एके मिश्र ने कारागार मुख्यालय को पत्र लिखकर जेलर की तैनाती का आग्रह किया है। जेलर विहीन इस जेल में क्षमता से चार गुना से भी ज्यादा बंदी रखे गए हैं। ऐसे में जेल प्रशासन के लिए व्यवस्था संभालना किसी चुनौती से कम नहीं है।

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 गतवर्ष जुलाई में जेलर का पदभार संभालने वाले संजय 17 सितंबर को स्टेशन छोडऩे की अनुमति के साथ 23 सितंबर तक पारिवारिक कारणों से छुट्टी पर चले गए थे। इसी दौरान उनके स्थानांतरण के संबंध में महानिदेशक कारागार को लिखे गए आग्रह पत्र पर विचारोपरांत उन्हें फर्रूखाबाद के फतेहगढ़ सेंट्रल जेल से संबद्ध कर दिया। यहां तैनाती के दौरान ही संजय सिंह ने रिपोर्ट भेजकर जमालापुर तिहरा हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे विजय प्रताप उर्फ आलम सिंह समेत 18 बंदियों को प्रदेश की विभिन्न जेलों में स्थानांतरित करा दिया था। इसके बाद उन्होंने डीजी कारागार को पत्र लिखकर अपनी हत्या की प्लानिंग फतेहगढ़ सेंट्रल जेल से रचे जाने की बात कहते हुए कहीं और तबादला किए जाने का आग्रह किया था। बता दें, जमालापुर तिहरा हत्याकांड में अदालत से बरी हो गए प्रेम प्रकाश ङ्क्षसह उर्फ मुन्ना बजरंगी की नौ जुलाई 2018 को बागपत जेल में गोली मारकर हत्या की गई थी तो संजय ङ्क्षसह वहीं तैनात रहे। यह बात और है कि घटना के कुछ दिनों पहले से वह छुट्टी पर चल रहे थे। 

 उल्लेखनीय है कि करीब दो दशक पहले कुख्यात जय प्रकाश ङ्क्षसह जेपी की हत्या के प्लान से जेल में एके-47 से लैस हमलावर ने गोलियां तड़तड़ाईं थीं। जेपी तो बच गया था लेकिन एक अन्य बंदी को जान गंवानी पड़ी थी। इसके बाद बगावत के दौरान बंदियों ने कारागार के एक सिपाही को ईंट-पत्थर से कूंचकर मार डाला था। इसी जेल में श्रमजीवी एक्सप्रेस बम विस्फोट कांड के दो बांग्लादेशी सजायाफ्ता आतंकी भी रखे गए हैं। अतीत की हिंसक घटनाओं और आतंकियों समेत कई कुख्यात अपराधियों के निरुद्ध होने से जिला कारागार को वर्षों पहले प्रदेश की सबसे संवेदनशील जेलों की फेहरिश्त में डाला जा चुका है। ऐसे में जेल के जेलर विहीन होने से लाजमी है कि व्यवस्था चाक-चौबंद रखना परेशानी भरा है। फिर भी कारागार प्रशासन ने अब तक जेलर की तैनाती नहीं की है।

बोले अधीक्षक : संजय सिंह के स्थानांतरण से रिक्त जेलर के पद पर तैनाती के लिए मैंने कारागार मुख्यालय को चिटठी लिखी है। जल्द ही जेलर की तैनाती हो जाने की उम्मीद है। फिलहाल उपलब्ध संसाधनों से ही जेल की व्यवस्था दुरुस्त रखने के प्रयास किए जा रहे हैं।

-एके मिश्र, अधीक्षक जिला कारागार।


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