Move to Jagran APP

रथारूढ़ भगवान जगन्नाथ निकले सैर सपाटे पर

वाराणसी में नाथों के नाथ भगवान जगन्नाथ शनिवार की भोर सपरिवार रथारूढ़ होकर भ्रमण करने निकले।

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Jul 2018 08:33 PM (IST)Updated: Sat, 14 Jul 2018 08:33 PM (IST)
रथारूढ़ भगवान जगन्नाथ निकले सैर सपाटे पर
रथारूढ़ भगवान जगन्नाथ निकले सैर सपाटे पर

वाराणसी : नाथों के नाथ भगवान जगन्नाथ शनिवार की भोर सपरिवार रथारूढ़ हुए। सूरज की किरणों के धरती पर आने और छाने से पहले भइया बलभद्र व बहन सुभद्रा संग अष्टकोणीय रथ पर से ही भक्तों को दर्शन दिए। दिव्य मनमोहक पीत श्रृंगार झांकी के दर्शन के साथ उल्लास के साथ आगे बढ़े हाथ और देवोपम रथ पांच डग खींच कर श्रद्धालुगण निहाल हुए। करबद्ध, श्रद्धा के भावों में आबद्ध और विह्वल मन से मंगल कामना की गुहार-जुहार लगाई। 'हे नाथों के नाथ स्वामी जगन्नाथ, इन नेत्रों के जरिए हमारे ह्रदय में पधारिए और हमें कृत कृत्य करिए।' जैसे शब्दों से पुरी पुराधिपति की आराधना की और तीन दिनी लक्खा मेला रथयात्रा का श्रीगणेश हो गया।

loksabha election banner

मान्यता व लोकाचार के अनुसार स्वास्थ्य लाभ बाद मनफेर के लिए सैरसपाटे पर निकले प्रभु जगन्नाथ परिवार की बेनीराम बाग में भोर तीन बजे पीतांबर झांकी सजाई गई। कमल व बेला के फूलों से श्रृंगारित देवोपम अष्टकोणीय रथ पर देव विग्रहों को विराजमान कराया गया। ठीक 5.11 बजे पुजारी पं. राधेश्याम पांडेय ने मंगला आरती की। पट खुले और इस शुभ बेला के इंतजार में खड़े भक्तों ने जयकार से पूरा क्षेत्र गुंजा दिया। झांकी दर्शन पूजन के लिए सुबह से रात तक श्रद्धालुओं का रेला उमड़ता रहा।

प्रभु के रथ स्पर्श व परिक्रमा कर भक्तों ने भक्ति भाव को प्रगाढ़ किया। मंदिर के आकार के अष्टकोणीय रथ की छतरी व शिखर को प्रणाम किया। इस 14 पहिए वाले 20 फीट चौड़े, 18 फीट लंबे व इतने ही ऊंचे रथ को शिखर तक पूरी भव्यता से सजाया गया।

भक्ति के भाव यह कि पीत श्रृंगार झांकी के दर्शन कर भक्तों ने प्रभु जगन्नाथ को अन्य फूलों के साथ तुलसी दल की माला अर्पित की। पीले रंग की फल मिठाई भी चढ़ाई। इसमें परवल की मिठाई, केशरिया पेड़ा, राजभोग, आम व नानखटाई थी।

स्वास्थ्य कारणों से एक पखवारे विश्राम के बाद मनफेर के लिए निकले भगवान के खानपान का इंतजाम भी तद्नुसार किया गया। सुबह नौ बजे छौंका मूंग चना, पेड़ा, गुड़ व देशी चीनी की शरबत नैवेद्य रुप में अर्पित किया गया। दोपहर में मंदिर के भंडारे में तैयार पूड़ी, कोहड़े की मसाला रहित सब्जी, दही, देशी चीनी, कटहल व आम के अचार का भोग लगाया गया।

भोर में मंगला आरती, दोपहर 12 बजे भोग आरती, विश्राम के बाद दर्शन आरंभ से पहले तीन बजे, फिर रात आठजे और रात 12 बजे शयन आरती। सचिव आलोक शापुरी समेत ट्रस्टीगण, स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती, सुरेन्द्र खन्ना, राजीव अग्रवाल, अखिलेश खेमका, प्रेम मिश्रा, श्रीनारायण खेमका, वाराणसी उड़ीसा सोसायटी के महासचिव डा. अमीय सामल आदि ने पूजन-आरती में भाग लिया।

सुबह से दर्शनार्थियों की भीड़ तो थी ही शाम से मानो रेला उमड़ पड़ा। लोगों ने दर्शन पूजन किया और मेला का भी आनंद लिया। चरखी-झूला और मौत मस्ती की तो दुकानों पर लजीज पकवान चखे। बच्चों ने खिलौनों की खरीदारी भी की। इस दौरान लोगों ने खासतौर पर नानखटाई खरीदी। मेले में विभिन्न संस्थाओं ने शिविर भी लगाए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.