आंखों से छलकी पुरी पुराधिपति से विछोह की पीड़ा
वाराणसी में: नाथों के नाथ भगवान जगन्नाथ की मनफेर यात्रा के अंतिम दिन भक्तों ने प्रभु का रथ खींचा।
वाराणसी : नाथों के नाथ भगवान जगन्नाथ की मनफेर यात्रा के अंतिम दिन भक्तों ने प्रभु का रथ खींचने के लिए पवित्र रस्सियों को हाथ लगाया तो उनसे विदा लेने का दर्द आंसुओं की शक्ल में पलकों की कोरों से छलक आया। प्रभु नयनों की राह हमारे हृदय में विराजें की कातर प्रार्थना 'जगन्नाथ स्वामी नयन पथगामी भवतु मे' सबके होठों पर थी। सोमवार की दोपहर भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने के लिए भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। उमस के कारण पसीने से तर-बतर होने के बाद भी आस्था व श्रद्धा से सराबोर पुरुषों-महिलाओं व बच्चों में रथ स्पर्श करने और परिक्रमा की होड़ मची रही।
बनारस के पहले लक्खा मेला के रूप में ख्यात रथयात्रा महोत्सव के तीसरे दिवस भोर में पूजन-अनुष्ठान और सुबह 5.11 बजे मंगला आरती के विधान पूरे किए गए। पट खुलते ही रथारूढ़ जगन्नाथ स्वामी, भइया बलभद्र व बहन सुभद्रा की श्वेत-धवल झांकी के दर्शन हुए और पूरा मेला क्षेत्र जयघोष से गूंज उठा। श्वेत परिधान और बेला की कलियों से सज्जित प्रभु दरबार और रथ के पृष्ठ भाग व पाटन गुलाब तो शिखर व छतरी हरी पत्तियों व सफेद फूलों से अनुपम छटा निखरी। सुबह के साथ भक्तों का रेला उमड़ा तो दूसरे पहर चौराहे व आसपास की सड़कों का दायरा कम पड़ने लगा। ठीक दोपहर 12 बजे ट्रस्ट श्रीजगन्नाथ जी के पदाधिकारियों के नेतृत्व में श्रद्धालुओं ने रथ खींचकर चौराहे के समीप पहुंचाया। दोपहर में प्रभु ने सपरिवार विश्राम किया। तीसरे पहर फिर पुरीपुराधिपति की दिव्य श्रृंगारित झांकी निखरी और चहुंओर आस्था-भक्ति की सुवास बिखरी। इसे निरखने के लिए मानो समूची काशी ही उमड़ आई। देर रात तक दर्शन-पूजन जारी रहा लेकिन इस पर विछोह का दर्द भी तारी रहा। रात 12 बजे शयन आरती के साथ प्रभु को तीन बजे उनके धाम के लिए विदा करने की तैयारियां भी चलती रहीं।
प्रभु को खिलाई मक्खन-मिश्री,
मालपुआ और पंचमेल मिठाई
प्रभु की सेहत का ख्याल रखते हुए श्रृंगार रंग के मान अनुसार भक्तों ने प्रभु को मक्खन मिश्री व नानखटाई अर्पित किया। भोग विधान के तहत सुबह नौ बजे छौंका मूंग-चना, पेड़ा के साथ ही गुड़-खांड़सारी, नींबू और तुलसीयुक्त शर्बत का भोग लगाया गया। दोपहर में आरती के बाद पूड़ी-कटहल की मसाला रहित सब्जी, दही, खांड़सारी, सूजी का हलवा, मालपुआ व पंचमेल मिठाई का भोग लगाया गया।