IUCTI Webinar आज की हर समस्या का हल प्राचीन ज्ञान परंपरा, यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने व्यक्त किया विचार
बीएचयू के अंतर विश्वविद्यालयीय अध्यापक शिक्षा केंद्र (आइयूसीटीआइ) द्वारा कोविड-19 प्राचीन ज्ञान परम्परा एवं आधुनिक शिक्षा पर वेबिनार का आयोजन हुआ।
वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू के अंतर विश्वविद्यालयीय अध्यापक शिक्षा केंद्र (आइयूसीटीआइ) द्वारा कोविड-19: प्राचीन ज्ञान परम्परा एवं आधुनिक शिक्षा पर वेबिनार का आयोजन हुआ। मुख्य अतिथि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने कहा कि प्राचीन ज्ञान मानव कल्याण के लिए सदैव श्रेयस्कर रहा है। चाहे पर्यावरण की समस्या हो या जीवनशैली की या फिर व्यवहारिक स्तर पर जीवन यापन की, इन सबका समाधान भारतीय ज्ञान परंपरा में समाहित है। उन्होंने कहा कि प्राचीन विज्ञान एवं अनुसंधानों को आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के मानकों के साथ ज्यादा से ज्यादा शोध करने की आवश्यकता है। उन्होंने संस्था को इस कार्य हेतु विद्वानों का एक समूह गठन कर कार्य करने का सुझाव दिया।
शुभारंभ करते हुए संस्था के निदेशक प्रो. विनोद कुमार त्रिपाठी ने प्राचीन ज्ञान के शाश्वत मूल्यों का उल्लेख करते हुए आधुनिक शिक्षा को प्राचीन शिक्षा से अभिसिंचित करने की आवश्यकता बताई। संस्कृत प्रमोशन फाउंडेशन के प्रो. चंद्रकिरण सलूजा ने प्राचीन ज्ञान परंपरा की उपयोगिता को गिनाई। दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रो. जगबीर सिंह ने बताया कि प्राचीन भारतीय ज्ञान में किसी धर्म या समुदाय विशेष के लिए नहीं बल्कि पूरे मानव समाज के कल्याण की भावना है। जेएनयू स्थित संस्कृत अध्ययन केंद्र के प्रो. संतोष कुमार शुक्ला ने बताया कि प्राचीन ज्ञान में सब कुछ बहुत ही विस्तृत एवं विशिष्ट रूप में वॢणत है, जिसे आज के आधुनिक ज्ञान के साथ जोडऩे की महती आवश्यकता है। आइआइटी कानपुर के प्रो. डी पी मिश्रा ने वर्तमान ज्ञान परंपरा को प्राचीन ज्ञान से अभीसिंचित करने की अवधारणा पर अपनी प्रस्तुति दी।