Move to Jagran APP

International Women's Day 2020 : माथे पर चढ़ेगा, कहीं हवा में उड़ेगा 'हुनर का रंग'

सबकी चाहत का शुद्ध देसी रंग। अबकी किसी के माथे पर तिलक लगेगा तो कहीं हवा में उड़ेगा आदिवासी जनसंख्या बाहुल्य सोनभद्र की आधी आबादी के हुनर का रंग।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 08 Mar 2020 08:10 AM (IST)Updated: Sun, 08 Mar 2020 09:06 PM (IST)
International Women's Day 2020 : माथे पर चढ़ेगा, कहीं हवा में उड़ेगा 'हुनर का रंग'
International Women's Day 2020 : माथे पर चढ़ेगा, कहीं हवा में उड़ेगा 'हुनर का रंग'

सोनभद्र [सुजीत शुक्ल]। न आंख में जलन न त्वचा को नुकसान। सबकी चाहत का शुद्ध देसी रंग। अबकी, किसी के माथे पर तिलक लगेगा तो कहीं हवा में उड़ेगा आदिवासी जनसंख्या बाहुल्य जिले की आधी आबादी के हुनर का रंग। जी हां, केमिकल रंगों से होने वाले नुकसान को देखते हुए आदिवासी महिलाओं ने विभिन्न तरह के फल व फूलों से प्राकृतिक रंग बनाकर बाजार में उतारा है। डिमांड को देखते हुए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन विभाग (एनआरएलएम) इन महिलाओं के हुनर को आनलाइन बाजार देने को जेल पोर्टल पर पंजीकरण कराकर सोन एप नाम से ऐप भी बन चुका है।

loksabha election banner

म्योरपुर ब्लाक के खैराही गांव की अंजु, सीमा व लक्ष्मी करीब डेढ़ साल पहले आजीविका मिशन के गठित समूह के संग जुड़ीं। हर्बल रंग बनाने को प्रशिक्षण लिया। कड़ी मेहनत के बाद प्रयोग जब सार्थक हुआ तो आराधना समूह की छांव में पालक, चुकंदर, गेंदा का फूल, सेम की पत्ती आदि को आरा रोट में मिलाकर विभिन्न कॅलर का प्राकृतिक रंग बनाया। तारीफ खूब हुई लेकिन कीमत कोई चुकाने को तैयार नहीं हुआ। महिलाएं स्वयं बाजार में बेचने को निकल पड़ी। कमोवेश, बाजार ने इसे तरजीह दी। अब जिले के सभी ब्लाकों, विकास भवन, निजी औद्योगिक कंपनियों के परिसर में इस वक्त इस रंग की धूम है।

इस तरह से बनाती हैं रंग-गुलाल

अंजू बताती हैं कि हर्बल रंग बनाना बेहद आसान है। 10 किलो अरारोट बाजार से लेंगे और 15 किलोग्राम गाजर या चुकंदर। चुकंदर को कद्दूकस करें। फिर उसका पानी निकाल लेंगे। बचे हुए हिस्से को पीस लेते हैं। फिर उबालने के बाद ठंडा कर अरारोट में मिलाते हैं। पुन: अरारोट को सुखा लेंगे। अब रंग-गुलाल तैयार है। इसी तरह अन्य रंग भी। एक किलो गुलाल बनाने में लगभग 130 रुपये खर्च आता है। बाकी 200 रुपये किलो बाजार में बिक जाता है। सब मिलाकर एक किलो में 70 रुपये का फायदा होता है।

सोन एप बनवाया दिया गया

समूह से जुड़ी महिलाएं प्राकृतिक रंग बनाती हैं। ऑनलाइन बाजार दिलाने के लिए जेम पोर्टल पर पंजीकरण कराकर सोन एप नाम से एप बनवाया दिया गया है।

-एमजी रवि, जिला प्रबंधक, एनआरएलएम।

त्वचा, आंख सब सुरक्षित

अरारोट खाने के रूप में इस्तेमाल होता है, गाजर, चुकंदर, पालक की पत्ती आदि को मिलाकर बना रंग कोई नुकसान नहीं कर सकता है। त्वचा, आंख सब सुरक्षित रहती है।

- डा. नेम सिंह, वरिष्ठ परामर्शदाता, जिला संयुक्त चिकित्सालय, सोनभद्र।     


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.