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International Plastic Bags Free Day : युवाओं की टोली प्लास्टिक बैग से मुक्ति के लिए करती हैं लोगों को जागरूक

International Plastic Bags Free Day वाराणसी में कई युवाओं की टोली समय-समय पर खुद के खर्च से कागज का ठोंगा ठेले खोमचे सब्जी मुंगफली बेचने वालों को देती है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Fri, 03 Jul 2020 09:41 AM (IST)
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International Plastic Bags Free Day : युवाओं की टोली प्लास्टिक बैग से मुक्ति के लिए करती हैं लोगों को जागरूक

वाराणसी, जेएनएन। International Plastic Bags Free Day प्लास्टिक का बैग पर्यावरण एवं स्वास्थ्य के लिए जहर से कम नहीं है। बावजूद इसके लोग इसका उपयोग करने से बाज नहीं आ रहे। हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पर्यावरण संरक्षण के लिए प्लास्टिक के बैग से मुक्ति दिलाने के लिए समय-समय पर अभियान चलाते रहते हैं। बीएचयू के पूर्व छात्र रवि प्लास्टिक के बैग को कागज के ठोंगा से ठेंगा दिखाते हैं। लीड संस्था की ज्योति कुमारी सहित कई युवाओं की टोली समय-समय पर खुद के खर्च से कागज का ठोंगा ठेले, खोमचे, सब्जी, मुंगफली बेचने वालों को देती है और उन्हें प्लास्टिक के बैग का इस्तेमाल नहीं करने के लिए जागरूक करती है। इसी प्रकार बेस इंडिया संस्था के सदस्य भी कपड़े के झोले वितरित कर लोगों को प्लास्टिक के बैग से बचने की सलाह देते हैं।

रवि बताते हैं कि वे उनकी सहयोगी छात्राएं अक्सर ही दुकानदारों को मना करते रहते हैं कि पालिथीन का उपयोग नहीं करें। ज्योति तो अक्सर ही पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण सहित तमाम सामाजिक कार्य करती रहती हैं। इसे लेकर कई बार उनको सम्मानित भी किया जा चुका है। बताया कि इसका लोग एवं दुकानदारों पर फर्क भी पड़ा है।

सिंगल यूज प्लास्टिक पर कपड़े के झोले से वार

हम बात करते हैं वेस इंडिया संस्थान के निदेशक डा. राजेश कुमार श्रीवास्तव की। पर्यावरण के क्षेत्र का एक जाना पहचाना नाम, जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण को अपना जुनून बना लिए हैं। इन्होंने पर्यावरण और समाज सेवा के लिए उच्च शिक्षित होने के बावजूद प्रबंधन और इंजीनियरिंग संस्थान के रजिस्ट्रार के पद से अपनी नौकरी का परित्याग कर दिया और पूरी तरह से पर्यावरण को संरक्षित करने में जुट गए।

पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन में भी कोई एक मुद्दा नहीं बल्कि तमाम ऐसे मुद्दे जैसे प्लास्टिक इस्तेमाल को हतोत्साहित करना हो, गंगा संरक्षण या पौधरोपण हो, कार्बन उत्सर्जन कम करने की विधा हो, जल संरक्षण हो, वेस्ट मैनेजमेंट हो, डॉलफिन संरक्षण हो, गौरैया संरक्षण हो, क्लाइमेट एजुकेशन हो आदि ऐसे मुद्दों पर निरंतर कार्य करते रहते हैं। वे संस्था की तरफ से विभिन्न स्कूलों के लगभग 50 हजार युवा और किशोर डॉलफिन क्लब के जरिये जोड़े। शहर-देहात हर जगह वे पर्यावरण के प्रति अलख जगाते गए। इसी कार्य पर तमाम राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने जोड़ा, जिसमें प्रमुख रूप से वाशिंगटन की संस्था अर्थ डे नेटवर्क और भारत सरकार की सेंटर ऑफ एक्सीलेंस सेंटर फॉर एन्वायरनमेंट एजुकेशन रही। सिंगल यूज प्लास्टिक ही पर्यावरण और मानव शरीर के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदेह है इसलिए वे कपड़े का झोला भी वितरित कर सिंगल यूज प्लास्टिक पर वार करते हैं।

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