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शबरी की छांव में गढ़ रहे सितारे, बच्चों के स्वभाव में परिवर्तन व इनोवेशन पर जोर दे रहे माधव कृष्ण

अमेरिका के चर्चित सिटी बैंक सिंगापुर शाखा के वाइस प्रेसिडेंट की जॉब छोड़ गाजीपुर में द प्रेसिडियम इंटरनेशल स्कूल की नींव रखी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 01 Jan 2020 09:10 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jan 2020 12:40 PM (IST)
शबरी की छांव में गढ़ रहे सितारे, बच्चों के स्वभाव में परिवर्तन व इनोवेशन पर जोर दे रहे माधव कृष्ण
शबरी की छांव में गढ़ रहे सितारे, बच्चों के स्वभाव में परिवर्तन व इनोवेशन पर जोर दे रहे माधव कृष्ण

गाजीपुर [अविनाश सिंह]

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'तूने पैसा बहुत कमाया..,

पंछी पिंजरा तोड़ के आजा

आजा उमर बहुत है छोटी

अपने घर में भी है रोटी.....

पंकज उधास के यह चर्चित गीत नगर के अष्टभुजी कालोनी निवासी माधव कृष्ण पर पूरी तरह सटीक बैठती है। अपनी माटी से यह लगाव ही था कि वह 2014 में सिंगापुर से 10 हजार डालर (करीब छह लाख रुपये महीने) की पगार की नौकरी छोड़ अपने शहर लौट आए। अमेरिका के चर्चित सिटी बैंक सिंगापुर शाखा के वाइस प्रेसिडेंट की जॉब छोड़ गाजीपुर में द प्रेसिडियम इंटरनेशल स्कूल की नींव रखी। उद्देश्य था बच्चों को नए ढंग से शिक्षित करना। नौकरी छोडऩे का मलाल भले ही माधव कृष्ण को नहीं था पर उनके उद्देश्य पर तंज कसने वाले पीछे नहीं रहे। यह बात उन्हें रास नहीं आई और शबरी सत्यकाम संस्थान स्थापित किया। साथ ही डुगडुगी पिटवाई कि यह पूरी तरह गरीबों बच्चों के लिए होगा। यह सेंटर एन केन प्रकारेण स्कूल न जाने वाले या परिषदीय स्कूलों की पढ़ाई से असंतुष्ट बच्चों के नाम है। शुरू में शबरी संस्थान में तीन-चार बच्चे ही आते थे अब यह संख्या 40 से अधिक हो चुकी है। शिक्षा पूरी तरह से निश्शुल्क है। इतना ही नहीं किताब, ड्रेस, बैग आदि भी दिया जाता है। संस्थान के होनहार बच्चों की कोई सानी नहीं। बच्चे ही नहीं गार्जियन भी इसकी प्रशंसा करते नहीं अघाते हैं।

जब टूटी उम्मीद तो मित्र का साथ

विद्यालय की नींव रखने के बाद आर्थिक दबाव में आ चुके माधव कृष्ण को स्कूल व घर चलाना मुश्किल हो गया। संकट की घड़ी में एक दिन अमेरिका में कार्यरत उनके मित्र वैभव त्यागी ने फोन किया। मित्र ने वस्तुस्थिति जानने के बाद धन एकत्र करके भेजा। यह धनराशि संस्थान के लिए एक संजीवनी सरीखा रहा।

अध्यापन के तरीके अलग

माधव कृष्ण के पढ़ाई के तरीके बिल्कुल अलग हैं। वह बच्चों के स्वभाव का एक माह तक अध्ययन करते हैं। काउंसिलिंग करते हैं। संंस्थान में विषय की पढ़ाई संग देश दुनिया में नित हो रहे बदलाव की जानकारी के साथ ही संस्कृति, योगा, ज्ञान, विज्ञान व रोजगारपरक शिक्षा पर विशेष बल दिया जाता है। इतना ही नहीं बच्चों की रुचि व मेधा को देखते हुए उसी दिशा में प्रवाहमान करने की कोशिश होती है।

कुछ हटकर

- इस स्कूल में सबसे पहले एक माह

 तक बच्चों के स्वभाव का अध्ययन

-प्रतिदिन सूर्य नमस्कार के बाद बच्चों

 की फिटनेस की भी चलती है क्लास 

-काउंसिलिंग पर रहता है जोर, किताबों की संख्या और बस्ते का बोझ भी कम


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