सूचना क्रांति की वजह से पत्रकारिता के मिजाज में आया है बदलाव : एसपी सिंह
समय के साथ-साथ पत्रकारिता के आयाम भी बदलते। पहले जहां नैतिक मूल्यों को तरजीह दी जाती थी वहीं अब बाजारवाद हावी होने लगा है।
वाराणसी, जेएनएन। समय के साथ-साथ पत्रकारिता के आयाम भी बदलते। पहले जहां नैतिक मूल्यों को तरजीह दी जाती थी, वहीं अब बाजारवाद हावी होने लगा है। अच्छी बात यह है कि सूचना क्रांति की वजह से पत्रकारिता के मिजाज में बदलाव आया है। यह बातें दैनिक जागरण-नई दिल्ली के उप-मुख्य ब्यूरो चीफ एवं राज्यसभा के मीडिया सलाहकार सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने कही। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ स्थित शिक्षा संकाय के सेमिनार हाल में पत्रकारिता एवं जन-संचार विभाग, पत्रकार प्रशिक्षित एसोसिएशन व एसआर फाउंडेशन की ओर से हिंदी पत्रकारिता दिवस पर आयोजित 'हिंदी पत्रकारिता : कल और आज' विषयक गोष्ठी में वह बतौर मुख्य अतिथि अपने विचार रख रहे थे।
खबरों के कंटेंट और उसके स्वरूप की चर्चा करते हुए उन्होंने कई उदाहरण दिए। कहा कि खबरों की भाषा सरल व सहज होनी चाहिए। वहीं पत्रकारों को इस क्षेत्र में समाहित तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा का ज्ञान भी जरूरी है। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. टीएन सिंह ने पत्रकारिता के क्षेत्र की चुनौतियों पर चिंता व्यक्त की। कहा वर्तमान पत्रकारिता विश्वसनीयता के संकट से जूझ रहा है। वहीं मुख्य अतिथि दिव्य प्रेम सेवा मिशन-हरिद्वार के आचार्य शांतनु महाराज ने पत्रकारिता के क्षेत्र में हुए व्यवहारिक परिवर्तनों को रेखांकित किया।
विशिष्ट अतिथि प्रो. वंदना पांडेय ने वर्तमान पत्रकारिता को राजनीति केंद्रित बताया। स्वागत मानविकी संकायाध्यक्ष एवं पत्रकारिता एवं जनसंचार विभागाध्यक्ष प्रो. उमा रानी त्रिपाठी, संचालन डा. रमेश सिंह व धन्यवाद ज्ञापन डा. अरुण कुमार शर्मा ने किया। इस अवसर पर डा. विनोद कुमार सिंह, प्रो. अरविंद पांडेय, प्रो. आरपी सिंह, प्रो. अनुराग, प्रो. निरंजन सहाय, डा. नलिनी श्याम कामिल, डा. रंजन, डा. राजेंद्र प्रसाद, डा. सुमन ओझा, डा. अमरेंद्र सिंह, डा. प्रभाशंकर मिश्र, डा. मनोहर लाल, डा. रूद्रानंद तिवारी आदि थे।
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