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पूर्वांचल की सियासत में बढ़ा गाजीपुर का प्रभाव, जिले में सफलता नहीं मिलने पर अन्य जनपदों में तलाश ली राजनीतिक जमीन

आजमगढ़ लोकसभा सीट से दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ के जीत दर्ज करते ही पूर्वांचल की सियासत में जनपद का दबदबा और बढ़ गया। इसकी सबसे अधिक धूम इंटरनेट मीडिया पर दिख रही है। चंदौली मऊ और अब आजमगढ़ का सांसद भी गाजीपुर के ही रहने वाले हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 27 Jun 2022 05:20 AM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2022 05:20 AM (IST)
पूर्वांचल की सियासत में बढ़ा गाजीपुर का प्रभाव, जिले में सफलता नहीं मिलने पर अन्य जनपदों में तलाश ली राजनीतिक जमीन
चंदौली, मऊ और अब आजमगढ़ का सांसद भी गाजीपुर के ही रहने वाले हैं।

गाजीपुर, अविनाश सिंह : आजमगढ़ लोकसभा सीट से दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ के जीत दर्ज करते ही पूर्वांचल की सियासत में जनपद का दबदबा और बढ़ गया। इसकी सबसे अधिक धूम इंटरनेट मीडिया पर दिख रही है। चंदौली, मऊ और अब आजमगढ़ का सांसद भी जिले के ही रहने वाले हैं। इसके अलावा जिले के कई अन्य दिग्गज नेता हैं जिन्होंने यहां सफलता नहीं मिलने पर अन्य जनपदाें में अपनी सियासी जमीन तलाश ली और अब वहां की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

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चंदौली के सांसद व केंद्रीय उद्योग मंत्री डा. महेंद्रनाथ पांडेय सादात के पखनपुरा के रहने वाले हैं। वर्ष 1991 और 1996 में सैदपुर विधानसभा से विधायक और दो बार मंत्री भी रहे। इसके बाद अचानक जिले की सियासत से दूर हो गए और चंदौली की राजनीति में सक्रिय हो गए। 2014 से लगातार यहां से सांसद चुने जा रहे हैं। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र सैदपुर के मलिकपुरा के रहने वाले हैं। यह तीन बार राज्यसभा सांसद रहे। 2012 में लखनऊ विधानसभा चुनाव लड़कर विजयी हुए और फिर 2014 में देवरिया से सांसद चुने गए। कलराज मिश्र ने भी जिले की सियासत से दूरी बनाए रखा। यह क्रम नहीं रुकता, मनोज सिन्हा वर्ष 2014 में गाजीपुर से सांसद चुने गए और रेल व संचार राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार की उन्हें जिम्मेदारी मिली।

जिले के विकास के साथ ही दोनों मंत्रालय को सुदृढ़ करने में उन्होंने बेहतर काम किया, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में करारी हार मिली। इसके बाद भी उनका राजनीतिक कद कम नहीं हुआ। कुछ ही दिन बाद उन्हें जम्मू कश्मीर का उपराज्यपाल बना दिया गया। इस समय जम्मू कश्मीर में वह गर्वनर की भूमिका निभाते हुए अपनी प्रशासनिक क्षमता भी साबित कर रहे हैं। मऊ से वर्तमान बसपा सांसद अतुल राय भी जिले के वीरपुर के रहने वाले हैं। वर्ष 2017 में वह जमानियां विधानसभा चुनाव लड़े, लेकिन हार मिलने के बाद 2014 में मऊ चले गए।

लोकसभा चुनाव जीत कर सांसद निर्वाचित हुए। वर्तमान में वह दुष्कर्म के आरोप में जेल में हैं। प्रदेश सरकार के आयुष राज्यमंत्री दयाशंकर मिश्र भी सैदपुर के सिधौना के रहने वाले हैं, लेकिन इन्होंने अपनी राजनीति कर्मभूमि जिले को नहीं चुना। कांग्रेस के टिकट पर वाराणसी दक्षिणी सीट से दो बार चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। 2014 में भाजपा में शामिल होने के बाद 2018 में इन्हें पूर्वांचल विकास बोर्ड के अध्यक्ष चुने गए। वर्तमान सरकार में आयुष राज्यमंत्री बनने के बाद एमएलसी मनोनित किए गए। इतना ही नहीं मऊ सदर सीट से निर्वाचित विधायक अब्बास अंसारी भी मुहम्मदाबाद के रहने वाले हैं। रविवार को निरहुआ के जीत दर्ज करने के बाद इससे संबंधित पोस्ट इंटरनेट मीडिया पर खूब चले, लोग अपने-अपने अंदाज में निरहुआ की जीत और गाजीपुर की सियासत को लेकर विचार प्रकट करते रहे।


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