Move to Jagran APP

Lok Sabha 2019 : सात समुंदर पार के प्रवासी भारतीयों को आस, पीएम पर विश्वास

पीएम नरेंद्र मोदी को दोबारा वाराणसी से लोकसभा चुनाव के लिए टिकट मिलने के बाद से उनके समर्थकों में जितना जोश है प्रवासी भारतीयों में उत्साह उससे कम कतई नहीं है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 22 Mar 2019 09:25 PM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 09:03 AM (IST)
Lok Sabha 2019 : सात समुंदर पार के प्रवासी भारतीयों को आस, पीएम पर विश्वास
Lok Sabha 2019 : सात समुंदर पार के प्रवासी भारतीयों को आस, पीएम पर विश्वास

वाराणसी [अभिषेक शर्मा]। पीएम नरेंद्र मोदी को दोबारा वाराणसी से लोकसभा चुनाव के लिए टिकट मिलने के बाद से उनके समर्थकों में जितना जोश है प्रवासी भारतीयों में भी उत्साह उससे कम कतई नहीं है। जनवरी माह में प्रवासी भारतीय दिवस वाराणसी में आयोजित किया गया था। जिसमें ऐतिहासिक रूप से पहली बार भारत वंशियों ने अपनी हजारों की संख्या में मौजूदगी दर्ज कराई थी। पीएम से उस समय का जुड़ाव ऐसा कि लोस टिकट फिर से मिलने की जानकारी होने पर दैनिक जागरण को उन प्रवासियों ने अपने अनुभव प्रेषित किए। 

loksabha election banner

काशी के रहने वाले आशुतोष मिश्र फिलहाल आस्ट्रेलिया में शिक्षण संस्थान में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पर आस्ट्रेलिया से आए भारतवंशियों के दल के साथ उन्होंने भी बदलती हुई काशी देखी थी। उनका कहना है कि - ''जो अफवाह फैला रहे थे कि वाराणसी से कोई और लड़ेगा उनको जवाब मिल चुका है। प्रवासी भारतीय दिवस के दौरान मैने स्वयं महसूस किया था कि काशी ने बाबा विश्वनाथ की नगरी में किसी को यदि अतुल्य सम्मान और स्नेह दिया है तो वह सिर्फ पीएम मोदी ही हैं। देश के साथ ही उन्होंने काशी को पर्याप्त समय दिया है, इसका अंदाजा स्वयं काशीवासियों को भी नहीं था। किसी भी सांसद ने इतनी कर्मठता और परिश्रम अपने क्षेत्र में आज तक नही किया होगा। 

पिछले पांच वर्षों के दौरान काशी और आस पास में जो विकास हुआ है वह जमीनी है। मैं स्वयं काशी के विकास को देख कर मंत्रमुग्ध था। उम्मीद है अब अगले पांच वर्षों में विकास के और भी नये आयाम काशी के लिए खुलेंगे। टिकट एक बार फिर से मिलना काशीवासियों के विश्वास और स्नेह पर मुहर की तरह है।''

वहीं ब्रिसबेन में क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी की श्वेता मानती हैं कि मोदी मैजिक जमीन पर भी दिख रहा है। वाराणसी दुर्गाकुंड में मेरे पिता माता और बहन सब रहते हैं सभी से काशी के विकास के साथ ही काशी संग पीएम के संबंधों की जानकारी मिलती रहती है। 

आस्ट्रेलिया में पर्थ के निवासी परितोष मिश्र कहते हैं कि काशी को ऐसा कर्मठ सांसद और भारत को ऐसा कर्मयोगी प्रधनमंत्री मिला है जिसकी बानगी काशी में मिली है। बनारस का समुचित विकास और देश की सुरक्षा तक उनकी सक्रियता उनकी मेहनत का परिणाम है।

ऑस्ट्रेलिया में ही बसी 84 वर्षीय प्रतिभा मिश्रा जो पहले बनारस की ही निवासी थीं वह बताती हैं कि 40 सालों तक बनारस की दुर्दशा की वह  गवाह हैं। जनवरी में प्रवासी भारतीय दिवस पर बदला हुआ बनारस देख कर वह भावुक हो गयीं। बताती हैं कि देश और काशी को समृद्ध होते देखने से सुखद और कुछ भी नहीं है।

सिडनी के डा. प्रियब्रत बताते हैं कि 2014 में काशी में विकास की इबारत शुरु हुई जो आज तक जारी है। मेगा परियोजनाओं ने काशी में नागरिक सुविधाओं के साथ ही इसके वैश्विक स्वरूप को भी निखारा है। जिससे काशी का जो आधुनिक स्वरूप सामने आया है वह विकास की ही कहानी कह रहा है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.