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India-Nepal में विवाद चीन की चाल, ऑनलाइन परिचर्चा में राजनयिकों व रक्षा विशेषज्ञों ने रखे विचार

भारत और नेपाल के रिश्तों में आई खटास अस्तित्व की लड़ाई की वजह से नहीं बल्कि पहचान बनाने की कवायद से उत्पन्न हुई है। वर्तमान हालात के लिए काफी हद तक चीन जिम्मेदार है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 07:00 AM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 02:34 PM (IST)
India-Nepal में विवाद चीन की चाल, ऑनलाइन परिचर्चा में राजनयिकों व रक्षा विशेषज्ञों ने रखे विचार
India-Nepal में विवाद चीन की चाल, ऑनलाइन परिचर्चा में राजनयिकों व रक्षा विशेषज्ञों ने रखे विचार

वाराणसी, जेएनएन। भारत और नेपाल के रिश्तों में आई खटास अस्तित्व की लड़ाई की वजह से नहीं बल्कि पहचान बनाने की कवायद से उत्पन्न हुई है। वर्तमान हालात के लिए काफी हद तक चीन जिम्मेदार है। अपने हितों की वजह से वह दक्षिण एशिया में मजबूती से पैर जमाना चाहता है। ऐसे में नेपाल के न चाहते हुए भी चीन उसके मामले में हस्तक्षेप करता है।

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डीएवी पीजी कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभाग की ओर से शनिवार को आयोजित 'भारत-नेपाल संबंधों की समस्या एवं संभावनाएं' विषयक राष्ट्रीय वेबिनार का यह निष्कर्ष रहा। मुख्य अतिथि नेपाल में भारत के राजदूत रहे मंजीव ङ्क्षसह पुरी ने कहा कि नेपाल को बार-बार कमतर आंकना भी विवाद की एक वजह बन रहा है। नेपाल के लिए लिपुलेख, कालापानी का विषय भौगोलिक स्थिति के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। यह 30,000 वर्ग किमी का मसला है। नेपाल हाइड्रो पावर का मजबूत गढ़ बनता जा रहा है। इसके बाद उसकी आकांक्षाओं में व्यापक बदलाव आया है। अब हमें उस लिहाज से नेपाल को देखना होगा। इस वर्ष फरवरी तक नेपाल में राजदूत का पद संभालने वाले मंजीव ङ्क्षसह ने नेपाल में कोरोना के प्रसार के लिए भारत को जिम्मेदार बताने वाले नेपाली प्रधानमंत्री के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए इसे राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश करार दिया।

विशिष्ट अतिथि पूर्व राजदूत व विदेश मामलों के जानकार प्रो. एसडी मुनि ने कहा कि भारत-नेपाल के बीच कुछ गलतफहमी है जो सीमा विवाद से जुड़ी हैै। ये समस्या अंग्रेजों के समय से चली आ रही है। अब समय आ गया है जब दोनों देश साथ बैठ कर समस्याओं का समाधान ढूंढें। कहा कि सार्क जैसी संस्थाएं अब आइसीयू में जा चुकी हैैं, इनका औचित्य दक्षिण एशियाई देशों के लिए नहीं रहा। रक्षा विशेषज्ञ, मेजर जनरल (रिटायर्ड) ध्रुव कटोच ने कहा कि हालिया विवाद पूरी तरह से चीन की शह पर हो रहा है। मुख्य वक्ता नेपाल के पूर्व राजदूत रंजीत रे ने कहा कि यह समय दोनों देशों के बीच उत्पन्न गलतफहमी को दूर करने का है। भारत, नेपाल का दुश्मन है यह भावना नेपाल के लोगों में राजशाही व माओवादियों ने प्रारंभ से भर दी है। हम पड़ोस में नया दुश्मन नहीं खड़ा कर सकते।

अध्यक्षीय संबोधन में प्राचार्य डा. सत्यदेव सिंह ने कहा कि भारत-नेपाल दोनों देश मानवीय संबंधों के आधार पर एक-दूसरे से जुड़े हुए है। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बीपी कोइराला का जिक्र करते हुए कहाकि नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना में वाराणसी का बड़ा योगदान रहा है। आइडीएसए के रिसर्च फेलो डॉ. निहार नाइक, प्रताप बहादुर ङ्क्षसह, पुलकित श्रीवास्तव सहित अन्य लोगों ने भी विचार व्यक्त किए। स्वागत डा. शिवबहादुर सिंह, संचालन प्रियंका सिंह, डा. राकेश कुमार मीणा और धन्यवाद ज्ञापन प्रबंधक अजीत सिंह यादव, डा. स्वाती व सुचरिता नंदा ने किया।


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