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वाराणसी में 11 अक्टूबर से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में होगा इंडिया कारपेट एक्सपो का आयोजन

38 वां चार दिवसीय इंडिया कारपेट एक्सपो वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में 11 अक्टूबर से शुरू होगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 27 Aug 2019 07:42 PM (IST)Updated: Wed, 28 Aug 2019 08:39 AM (IST)
वाराणसी में 11 अक्टूबर से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में होगा इंडिया कारपेट एक्सपो का आयोजन
वाराणसी में 11 अक्टूबर से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में होगा इंडिया कारपेट एक्सपो का आयोजन

भदोही, जेएनएन। जैसी आशंका जताई जा रही थी, ठीक वैसा ही हुआ। 38 वां चार दिवसीय इंडिया कारपेट एक्सपो वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में 11 अक्टूबर से शुरू होगा। कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) ने मंगलवार को प्रेसवार्ता के दौरान इसकी घोषणा कर दी। परिषद के चेयरमैन सिद्धनाथ सिंह ने बताया कि भदोही में दो सौ करोड़ की लागत से बनकर मेगा मार्ट का आज तक परिषद को हैंडओवर नहीं किया गया। ऐसे में भदोही में मेला आयोजन करना संभव नहीं है।

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पत्रकारों से बातचीत में परिषद के चेयरमैन सिद्धनाथ ङ्क्षसह ने बताया कि वह भदोही में मेला आयोजन के पक्ष में हैं लेकिन जब उन्हें मार्ट सौंपा ही नहीं गया तो फिर मेले का आयोजन कैसे किया जा सकता है। बताया कि अब मेले में काफी कम समय रह गया है ऐसे में परिषद का ध्यान आयोजन की तैयारियों पर लगा हुआ है। बताया कि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के परिसर में 6000 वर्ग मीटर स्थान मेला आयोजन के अधिग्रहित किया गया है। मेले में भागीदारी के लिए 181 निर्यातकों ने स्टाल बुक करा लिया जबकि कुल 270 निर्यातकों के प्रतिभाग की संभावना है। बताया कि मेले का शुभारंभ केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति इरानी द्वारा किया जाएगा। इस दौरान परिषद के वरिष्ठ प्रशासनिक सदस्य उमेश गुप्ता मुन्ना, संजय गुप्ता, ओएन मिश्रा, बच्चा, वासिफ अंसारी, राजेंद्र मिश्रा, श्रीराम मौर्या, परिषद क्षेत्रीय निदेशक वीके सिन्हा आदि थे। 

इस बार निर्यातकों को मिलेगा अवार्ड

कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) इस बार कालीन मेले के दौरान लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड के साथ निर्यातकों को इक्स्पोर्ट अवार्ड से नवाजेगी। श्री सिंह ने बताया कि पांच श्रेणियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले पहले से तीसरे स्थान रहने वाले उत्पादकों को पुरस्कृत किया जाएगा। बताया कि इस पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 2007-08 में शुरू की गई थी जिसे बाद में किन्ही कारणों से बंद कर दिया गया था।


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