R Zero मानक अपनाकर भारत जीत सकता है कोरोना वायरस से जंग, BHU के जंतु विज्ञान विभाग में शोध
बीएचयू के जंतु विज्ञान विभाग में प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे के नेतृत्व में हुआ एक शोध बताता है कि भारत में एक व्यक्ति 1.3 से ज्यादा लोगों में संक्रमण फैला रहा है।
वाराणसी [हिमांशु अस्थाना]। भारत आर जीरो मानक (आरओ या आर नॉट) जो बताने का प्रयास करता है कि एक संक्रमित व्यक्ति से इंफेक्शन कितने लोगों तक फैल सकता है।) को अपनाकर कोरोना महामारी से जंग जीत सकता है। बीएचयू के जंतु विज्ञान विभाग में प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे के नेतृत्व में हुआ एक शोध बताता है कि भारत में एक व्यक्ति 1.3 से ज्यादा लोगों में संक्रमण फैला रहा है। इसका मतलब भारत में आर जीरो का मान एक से बढ़कर 1.3 (वर्तमान दर) के पार जा चुका है।
जबकि चीन व जर्मनी जैसे देशों में यह दर तीन से पांच के बीच थी, उस दशा में तब तक उन्होंने लॉकडाउन नहीं खोला, जब तक कि यह दर एक से नीचे नहीं आ गई। जब जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने आर जीरो के आधार पर देश में लॉकडाउन हटाने से इन्कार कर दिया, तो दुनिया भर में हलचल मच गई। लिहाजा उनका यह प्रयोग सफल रहा, जिसका अनुसरण समस्त यूरोपीय और पूर्वी एशियाई देशों ने किया। इसी आधार पर इस शोध में यह स्पष्ट किया गया है कि भारत में तब तक लॉकडाउन लगाना उचित था, जब तक कि आर जीरो का मान एक से नीचे नहीं आ जाए।
बीएचयू के जीन विज्ञानी प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे द्वारा अप्रैल में किया गया यह शोध स्वीट्जरलैंड के प्रतिष्ठित जर्नल फ्रंटियर्स में जुलाई के अंक में प्रकाशित हो चुका है। इस शोध के मुताबिक हर पांच दिन में अब कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या दो गुनी हो रही है।
दुनिया में सबसे ज्यादा गैर लक्षण वाले संक्रमित हैं भारत में
शोध के अनुसार गैर लक्षण (ए सिंप्टोमैटिक) वाले मरीजों की भागीदारी 28 फीसद हो चुकी है, जो कि विश्व में सर्वाधिक है। ये अब अनजाने में दूसरों को संक्रमित कर रहे हैं। इसके लिए सरकार को एंटीजन टेस्ट पर जोर देना होगा और गैर लक्षण वाले संक्रमितों की पहचान कर अलग करना होगा।
कोरोना को हराने वालों को नहीं है कोई खतरा
प्रो. चौबे ने बताया कि कोरोना को परास्त कर चुके लोगों में अब इस वायरस के खिलाफ इम्युनिटी विकसित हो चुकी है, इसलिए इन ठीक हुए मरीजों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रशिक्षित कर रोजगार दिया जा सकता है। वहीं मृत्युदर को कम करने के लिए उच्च जोखिम वाले यानी कि डायबिटीज के आठ करोड़ और हृदय संबंधी बीमारी 5.5 करोड़ लोगों को हरसंभव हमें संक्रमण की चपेट में आने से बचाना होगा।