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शिव की नगरी काशी में जल-थल-नभ तक पर्यटन के इंद्रधनुषी रंग

देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी सदा से देश दुनिया के आकर्षण का केंद्र रही है। यही वजह है इसे देखने दूर दूर से पर्यटक आते हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Dec 2018 03:22 PM (IST)Updated: Fri, 14 Dec 2018 03:22 PM (IST)
शिव की नगरी काशी में जल-थल-नभ तक पर्यटन के इंद्रधनुषी रंग
शिव की नगरी काशी में जल-थल-नभ तक पर्यटन के इंद्रधनुषी रंग

वाराणसी, जेएनएन। देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी सदा से देश दुनिया के आकर्षण का केंद्र रही है। खुद बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ और उनकी दुलारी गंगा समेत 33 कोटि देवों की उपस्थिति के कारण इसे धर्म नगरी का रुतबा तो प्राप्त है ही सर्वधर्म सद्भाव भी सहज नजर आता है। धर्म-अध्यात्म, संगीत-कला और कण-कण धरोहरों के साथ सबसे खास बनारस का मन मिजाज, इन सबसे मिल कर तैयार हुए सांस्कृतिक गुलदस्ते की खुश्बू देश-दुनिया को बार- बार अपनी ओर खींच ले आती है। धार्मिक पर्यटन का वैश्विक केंद्र अब अपनी थाती को सहेजे हुए पर्यटन के आधुनिक केंद्र के रूप में आकार पा रहा है। जल-थल-नभ तक समान रूप से विस्तार पाते हुए यह इंद्रधनुषी रंग पा रहा है।

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धर्म-अध्यात्म, 33 कोटि देवों का धाम और संचालन का जिम्मा खुद देवाधिदेव महादेव के नाम उस शहर बनारस की सुबह और शाम का भी क्या कहना। दुनिया की प्राचीनतम धर्म नगरी जिसने गले में धारण किया गंगा का गहना। इसका अहसास गंगा के अब लगभग नब्बे तक हो चुके घाट कराते हैं जो आदिकेशव से लेकर गड़वाघाट तक जाते हैं। ऋषियों -संतों, खासकर कबीर की अनूठी श्रम साधक परंपरा और समभाव की थाती को जीतीं गलिया और मोहल्ले के मोहल्ले दिखाई देते हैं। इनमें अपनी संस्कृति-संस्कार के साथ बनारसी हुए प्रात के प्रात सहज ही नजर जाते हैं। श्रम साधना, बाबा की आराधना, अल्हड़ मौज मस्ती, पहनावा और खानपान की फक्कड़ी तान के साथ इंद्रधनुषी रंगों से संपूर्ण बनारस बनाते हैं।

पुराणों में उल्लेखित धर्म नगरी काशी ने हर दौर में देश-दुनिया को दिशा दी तो बदलते समय के हिसाब से खुद को तब्दील भी किया। इसमें साधन-संसाधन के लिहाज से बहुत कुछ बदला लेकिन नहीं बदली तो उसकी धार्मिकता, संस्कृति प्रियता, थातियों को सहेजे रखने का अंदाज, जिंदगी जीने का अपना खास रंग-ढंग और मन-मिजाज। केवल यह अंदाज देखने-समझने लाखों -लाख देसी-विदेशी हर साल खींचे चले आते हैं। गलियों-घाटों पर टहलते, अपनी मस्ती में मचलते विदेशियों पर कभी नजर दौड़ाइए तो इन घुमक्कड़ों में जिज्ञासु और ज्ञानपिपासु कहीं अधिक दिख जाएंगे। यह सब उनके लिए यहीं बस जाने या एक-दो दिन ठहर कर खिसक जाने की बात थी लेकिन अपनी पहचान को बरकरार रखते हुए धरोहरों का शहर हर पल बदल रहा है। थाती को अकवार में सहेजे आधुनिकता की राह पर चल रहा है। तैयारियों पर गौर करें तो कह सकेंगे कि इसमें पर्यटन का समंदर मचल रहा है। बस, कुछ महीनों का इंतजार और, आप तफरी के लिए मेट्रो सिटीज या पहाड़ों का रुख करना तो दूर इस शहर से निकलने का सपना तक भूल जाएंगे। वह सब कुछ यहां पाएंगे जिसके बारे में बड़े शहर या पर्यटन स्थल सोच तक नहीं पाएंगे।

काशी के गले में चंद्रहार सी सजी उत्तर वाहिनी गंगा की धार में नित उतरती सूरज की किरणों से सजी सुबह-ए-बनारस की झाकी के बीच क्रूज की सैर का सपना पूरा हो चुका है। इससे नित्य की सांध्य गंगा आरती की झांकी के साथ ही घाटों की छटा पर्यटकों को दीवाना बना रही है। गंगा में राष्ट्रीय जलमार्ग व मल्टीमाडल टर्मिनल उद्घाटित होने के बाद अब रो-रो व फेरी सर्विस की घड़ी नजदीक आ रही है। देव दीपावली पर लेजर शो का नजारा नजर आ चुका है तो संगीत के शहर में घाटों पर विशेष पर्वो के बहाने ही सजी सजती विभिन्न प्रांतों की झांकी लघु भारत को निखारने के साथ इंद्रधनुषी रंग बिखरा रही है। अब तक श्रीकाशी विश्वनाथ, गंगा के घाट और सारनाथ तक सिमटा हाट स्पाट के विस्तार पाने से सालाना लगभग 60 लाख तक सिमटे सैलानियों की संख्या बढ़ाने के साथ ठहराव ट्रिप का दायरा भी बढ़ा रही है। उन्हें बाबतपुर से शहर की सड़कों की छटा रिझा रही है जो जल्द ही फुलवरिया होते बीएचयू तक विस्तार पाएगी। जल्द ही श्रीकाशी विश्वनाथ गंगा दर्शन कॉरीडोर, हेलीकाप्टर सेवा, सारनाथ में लेजर-लाइट, मान महल में देश का पहला वर्चुअल म्यूजियम, पावन पथ और पंचक्रोशी रूट विस्तार योजना भी इस नगर की रौनक बढाएगी। फिलहाल पर्यटन के केंद्र : सारनाथ, श्रीकाशी विश्वनाथ दरबार समेत अन्य देवालय, गंगा के घाट और सुबह ए बनारस की छटा व अन्य धरोहर।

निखरते इनके भी रंग : ट्रेड फैसीलिटेशन सेंटर, फोरलेन हवाई अड्डा रोड, लालबहादुर शास्त्री स्मृति संग्रहालय, ¨रग रोड, रामनगर मल्टी मॉडल टर्मिनल, श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरीडोर, मान महल वर्चुअल म्यूजियम, रो-रो व फेरी सर्विस, डोमरी में हेलीकाप्टर सेवा, पावन पथ, पंचक्रोशी रूट विस्तारीकरण योजना, लेजर लाइट शो, नगर निगम रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर, पड़ाव पर दीनदयाल कन्वेंशन सेंटर, पिंडरा में कन्वेंशन सेंटर। आकर्षित हर देश : यूके, यूएसए, श्रीलंका, फ्रांस, जर्मनी, जापान, इटली, मलेशिया, सउदी अरब, कनाडा, आस्ट्रेलिया, सिंगापुर, यूएई, स्वीट्जरलैंड, ईरान, पाकिस्तान, बाग्लादेश, नीदरलैंड, साउथ कोरिया, स्पेन, नेपाल, चीन व अन्य।

मेडिकल टूरिज्म भी : ईएसआइ हास्पिटल में सुपर स्पेशिलिटी, बीएचयू परिसर में टाटा कैंसर सेंटर, शताब्दी सुपर स्पेशिएलिटी काम्प्लेक्स, बीएचयू व महिला अस्पताल एमसीएच विंग, बीएचयू आइएमएस को एम्स जैसी सुविधाएं, बीएचयू में वायरल बीमारियों की जांच को लैब। रेल ट्रैक का दोहरीकरण व विद्युतीकरण, कैंट के साथ ही सिटी व काशी स्टेशन का विस्तार।

संरक्षा के लिहाज से अभी प्रयास की जरूरत : पर्यटकों और कारोबारियों की भीड़ वाले शहर में बढ़ती आबादी के सापेक्ष अभी संरक्षा व सुरक्षा के लिहाज से कार्य होने बाकी हैं। हालांकि हाल के दिनों में कई स्थानों पर कैमरे लगाए गए। बनारस में एनडीआरएफ की बटालियन स्थायी रूप से तैनात की गई। अभी चार थाने बढ़ने वाले है। पर्यटक थाना स्थापित किया जाना है।

विकास में आड़े वाली चुनौतिया : केंद्र व प्रदेश सरकार की ओर से सरोकार दिखाने के बाद यातायात, अतिक्रमण और सफाई नगर की समस्याओं में आड़े आ रही हैं। इसके पीछे कारणों पर भी गौर करें तो स्पष्ट तौर पर प्रशासनिक समन्वय की कमी और सिविक सेंस की कमी ही नजर आएगी। आज तक प्रशासन सड़कों की खोदाई का मानक नहीं तय कर सका तो आम शहरी नियमों की सड़क पर कदम नहीं धर सका।


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