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वाराणसी में सफाई कर्मियों ने असि घाट पर फैलाया कूड़ा, दो माह से वेतन न मिलने पर जताया विरोध

असि से लगायत राजघाट तक की सफाई के लिए लगाए निजी सफाई कर्मी गुरुवार की सुबह अचानक भड़क गए। उन्होंने घाट सफाई के लिए अनुबंधित एक निजी कम्पनी पर दी महीने का वेतन न देने और शोषण का आरोप लगाया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 13 Jan 2022 02:20 PM (IST)Updated: Thu, 13 Jan 2022 02:20 PM (IST)
वाराणसी में सफाई कर्मियों ने असि घाट पर फैलाया कूड़ा, दो माह से वेतन न मिलने पर जताया विरोध
वेतन न मिलने के विरोध में नगर निगम कर्मियों ने असि घाट पर इस कदर फैला दिया कूड़ा

वाराणसी, जागरण संवाददाता। असि से लगायत राजघाट तक की सफाई के लिए लगाए निजी सफाई कर्मी गुरुवार की सुबह अचानक भड़क गए। उन्होंने घाट सफाई के लिए अनुबंधित एक निजी कम्पनी पर दी महीने का वेतन न देने और शोषण का आरोप लगाया। सैकड़ों की संख्या में महिला और पुरुष सफाई कर्मी असि घाट पर नारेबाजी करते हुए धरना पर बैठ गए। उन्होंने चेतावनी दी कि जबतक दो महीने के वेतन का भुगतान नहीं होगा तबतक वे सफाई बंद कर धरने पर बैठे रहेंगे। इसबीच नगर निगम के अधिकारियों ने घाट पर पहुंचकर वेतन दिलाने का आश्वासन देकर धरना समाप्त कर काम शुरू करने को कहा है।

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बताया जाता है कि असि से लेकर राजघाट तक एक निजी कंपनी को घाट सफाई के लिए अनुबंधित किया गया है।।कर्मचारियों का आरोप है निजी कंपनी दो महीने से वेतन नहीं।दे रही है जिससे रोज कमाने- खाने वाले कर्मियों पर भुखमरी का संकट आ गया है। आरोप लगाया कि उक्त कम्पनी पूर्व की कम्पनी से एक हजार कम 7500 रुपये मासिक वेतन दे।रही है। वर्दी के बाबत 15 00 रुपये की भी कटौती कर ली गयी। जब कोई कर्मी बीमार पड़ने से छुट्टी लेता है तब वेतन काट लिया जाता है। धरना में प्रमुख रूप से पप्पू, मनोज, लक्ष्मण, रामजी, वृजेश शामिल है।

संवर रही काशी की गलियों में थूक रहे गुटका पान

पांच वर्षो में पूरे देश को स्वच्छ बनाने का सपना संजोए पीएम नरेन्द्र मोदी के अभियान को स्थानीय जनता ने शुरुआती दौर में चौपट करना सुरु कर दिया है। शहर के गली-मोहल्ले हों या सरकारी दफ्तर हर जगह कचरा, गंदगी और दीवारों पर गुटखा-पान थूकने के दाग नजर आते हैं। जबाब मांगने पर अधिकारी कहते हैं कि लोग खुद गंदगी करते हैं लेकिन इनके खिलाफ कार्रवाई के अधिकार होने के बावजूद आज तक एक भी मामले में किसी व्यक्ति पर जुर्माना तक नहीं किया गया। चेतावनी भरे नोटिस बोर्ड लगाकर अधिकारी यह नहीं देखते कि इन नियमों का कितना पालन हो रहा है। कार्रवाई का खौफ न होने से लापरवाह जनता भी गंदगी फैलाने से बाज नहीं आ रही है।


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