वाराणसी में आदेश ध्वस्तीकरण का और हो रहा धड़ल्ले से निर्माण, बीते एक साल से शिकायतकर्ता लगा रहा गुहार
अजब हाल है अवैध निर्माण को लेकर प्रदेश स्तर पर हुई रैंकिंग में वाराणसी विकास प्राधिकरण की किरकिरी के बाद भी हालात नहीं सुधर रहे हैं। आदेश ध्वस्तीकरण का कर दिया गया है लेकिन इसके क्रियान्वयन को लेकर लापरवाही बरती जा रही है।
वाराणसी, जेएनएन। अजब हाल है, अवैध निर्माण को लेकर प्रदेश स्तर पर हुई रैंकिंग में वाराणसी विकास प्राधिकरण की किरकिरी के बाद भी हालात नहीं सुधर रहे हैं। आदेश ध्वस्तीकरण का कर दिया गया है, लेकिन इसके क्रियान्वयन को लेकर लापरवाही बरती जा रही है जिसका फायदा मकान निर्माण करने वाले उठा रहे हैं। धड़ल्ले से एक के बाद दूसरा व तीसरा तल बनवाते जा रहे हैं।
यह लापरवाही तब है जब शिकायतकर्ता फ्रंट पर है। बीते एक साल से अफसर-दर-अफसर गुहार लगा रहा है। बुधवार को उसने कमिश्नर दरबार में भी अर्जी दे दी है, लेकिन ध्वस्तीकरण के आदेश पर क्रियान्वयन कब होगा, यह भरोसा उसकी माथे पर पड़ी लकीरें गवाही दे रहीं हैं। बेहद निराशा के भाव उभर आए हैं। यह अवैध निर्माण कहीं दूर नहीं, बल्कि वीडीए कार्यालय से महज दो किमी दूर ताजपुर महावीर मंदिर अर्दली बाजार में हो रहा है। शिकायतकर्ता अशोक कुमार ङ्क्षसह ने बताया कि अवैध निर्माण पड़ोस में हो रहा है। निर्माणकर्ता देवेंद्र वर्मा के नाम से शिकायत की गई है। बिना नक्शा के भूतल के बाद दो तल बनाया जा रहा है। इसकी शिकायत आठ अक्टूबर 2019 में की गई जिसके बाद निर्माण अवैध पाते हुए वीडीए ने ध्वस्तीकरण का आदेश दिया। निर्माण नहीं कराने के लिए चेताया भी, लेकिन सभी कार्रवाई बौनी साबित हुई। वर्तमान में यह मामला अवर अभियंता आरके ङ्क्षसह के पास है जिन्होंने दो दिन में कार्रवाई की बात कही, लेकिन जरूरी कार्य से अवकाश पर चले गए। वहीं इसके पूर्व जिस अवर अभियंता के पास ध्वस्तीकरण की फाइल थी, वे मामले को टालते हुए सेवानिवृत्त हो गए। वीडीए की लापरवाही तब है जब शिकायतकर्ता बिना भय के फ्रंट पर है। अमूमन देखा गया है कि वीडीए को मिलने वाली शिकायतें गलत पते से की जाती है ताकि विभाग के संज्ञान में मामला पहुंच जाए और उन पर कोई आंच भी न आए। हालांकि वीडीए ने ऐसा प्रावधान बनाया है कि शिकायतकर्ता का नाम उजागर नहीं किया जाता।
शिकायतें बहुत हैं, कार्रवाई होगी न
इस मामले में जब जोनल अधिकारी परमानंद यादव से बात की गई तो उनकी बातें फाइलों में अवैध निर्माण के दबे होने की गवाही दे रहे थे। उनका कहना था कि अवैध निर्माण की तो ढेरों शिकायतें हैं, कार्रवाई होगी न। इसके लिए प्राथमिकता तय की जाती है। अब सवाल है कि एक साल से शिकायत हो रही है और प्राथमिकता की कतार में यह फाइल कहां गुम हो गई है कि इसका नंबर ही नहीं आ रहा है। फिलहाल जोनल अधिकारी ने प्रकरण को संज्ञान में होने की बात स्वीकार करते हुए अविलंब कार्रवाई का भरोसा दिया है।