वाराणसी में अब रेलवे कालोनी में पीएनजी से बनेगा खाना, एमओयू को लेकर चल रही प्रक्रिया
बीएचयू व डीरेका कैंपस के बाद रेलवे कालोनी भी भी पीएनजी (पाइप्ड नेचुरल गैस) की लाइन पहुंचेगी। कालोनी के चूल्हे अब पीएनजी से जलेंगे और खाना पकेगा।
वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू व डीरेका कैंपस के बाद रेलवे कालोनी भी भी पीएनजी (पाइप्ड नेचुरल गैस) की लाइन पहुंचेगी। कालोनी के चूल्हे अब पीएनजी से जलेंगे और खाना पकेगा। इसे लेकर सोमवार को गेल इंडिया लिमिटेड के अधिकारियों ने डीआरएम से मुलाकात की। ताकि आगे की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा सके।
गेल की ओर से आठ सीएन स्टेशन भी खोले जा चुके हैं। उम्मीद है इस माह के अंत या अगस्त में दो और सीएनजी स्टेशन खुल जाएंगे। इसे अलावा एक बड़ा स्टेशन करखियांव में बन रहा है। इसके साथ ही शहर के करीब साढ़े तीन हजार घरों में पीएनजी की लाइन पहुंचा दी गई। सबसे अधिक डीएलडब्ल्यू परिसर में लगभग दो हजार घरों में पीएनजी से ही खाना पक रहा है। एईएन कालोनी, लोको व आरएमएस कालोनी में पीएनजी के प्रस्ताव भी सौंपा चुका है। वैसे यह प्रक्रिया दो साल से चल रही है। इसी कड़ी में गेल के उप महाप्रबंधक गौरीशंकर मिश्रा, मुख्य प्रबंधक सुरेश तिवारी ने संजय त्रिपाठी, डीआरएम लखनऊ मंडल उत्तर रेलवे से मुलाकात की। मिश्रा ने बताया कि डीआरएम से एमओयू के संबंध में बातचीत हुई। रेलवे विभाग की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
10 सैटेलाइट सीएनजी स्टेशन स्थापित किए जाएंगे
गेल के मुख्य महाप्रबंधक एसएन यादव ने बताया कि वाराणसी के आसपास करीब 10 सैटेलाइट सीएनजी स्टेशन स्थापित किए जाएंगे, जिससे संपूर्ण वाराणसी के साथ-साथ वाराणसी से सटे अन्य इलाकों को भी सीएनजी नेटवर्क में सम्मिलित कर लिया जाएगा। परियोजना इंचार्ज एनके द्विवेदी ने बताया कि इस सीएनजी स्टेशन के खुलने के साथ ही अब वाराणसी में एक लाख किलो सीएनजी भरे जाने की क्षमता हो गई है। यानी लगभग 25000 वाहनों में प्रतिदिन सीएनजी भरी जा सकती है जबकि इसकी तुलना में मात्र 4000 वाहनों में ही फिलहाल सीएनजी भरी जा रही है। यह पूरी क्षमता का मात्र 20 फीसद ही है।