वाराणसी में रिश्वतखोरी में लेखपाल को तीन साल कारावास की सजा, एक हजार रुपये रिश्वत लेते हुई थी गिरफ्तारी
जमीन की नापी करने के एवज में एक हजार रुपए रिश्वत लेते पकड़े गए गाजीपुर जिले की सदर तहसील के लेखपाल ओंकार लाल श्रीवास्तव को दोषी करार देते हुए अदालत ने उसे दंडित किया। एडीजीसी रोहित मौर्य तथा शिकायतकर्ता की ओर से अधिवक्ता मुन्ना लाल यादव ने पैरवी की।
वाराणसी, जेएनएन। जमीन की नापी करने के एवज में एक हजार रुपये रिश्वत लेते पकड़े गए गाजीपुर जिले की सदर तहसील के लेखपाल ओंकार लाल श्रीवास्तव को दोषी करार देते हुए अदालत ने उसे दंडित किया। विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) लोकेश राय की अदालत ने ओंकार लाल श्रीवास्तव को तीन साल के सश्रम कारावास तथा 13 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया। अदालत ने लेखपाल के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई के लिए वहां के जिलाधिकारी को फैसले की प्रति भेजने का आदेश दिया है। अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी रोहित मौर्य तथा शिकायतकर्ता की ओर से अधिवक्ता मुन्ना लाल यादव ने पैरवी की।
अभियोजन के अनुसार मरदह (गाजीपुर) थानांतर्गत पिपनार क्षेत्र निवासी रमेश चंद्र शर्मा के चक से सटी संरक्षित जमीन पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया था। आवश्यक कार्रवाई के लिए रमेश ने 21 मई 2004 को एसडीएम सदर को प्रार्थना पत्र दिया। एसडीएम के निर्देश पर तहसीलदार ने मौके पर जाकर जमीन की नापी कर अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई का राजस्व निरीक्षक व लेखपाल ओंकार लाल श्रीवास्तव को आदेश दिया। ओंकार लाल ने नापी के नाम पर पांच हजार रुपये खर्चा बताया।
ओंकार लाल ने जमीन की नापी नहीं की तो रमेश ने तीन मार्च 2006 को पुन: एसडीएम को प्रार्थना पत्र दिया तो राजस्व निरीक्षक बिरनों ने नापी की जिम्मेदारी ओंकार लाल श्रीवास्तव को सौंप दी। ओंकार लाल ने रमेश से इस कार्य के एवज में एक हजार रुपए की मांग की। परेशान रमेश ने 28 अप्रैल 2006 को इसकी शिकायत भ्रष्टाचार निवारण संगठन, वाराणसी के तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक से की। शिकायत की पुष्टि होने के बाद ट्रैप टीम ने योजना बनाई। थाना दिवस पर मरदह थाना परिसर में रमेश से एक हजार रुपये रिश्वत लेते ट्रैप टीम ने ओंकार लाल श्रीवास्तव को गिरफ्तार कर लिया था।