वाराणसी में 70 फीसद खेतों में जीवांश कार्बन की कमी, अत्यधिक रासायनिक खादों का किया गया प्रयोग
कलेक्टरी फार्म स्थित क्षेत्रीय भूमि परीक्षण प्रयोगशाला में दो वित्तीय वर्ष के दौरान किए गए मृदा परीक्षण में वाराणसी के 70 फीसद से अधिक खेतों में जीवांश कार्बन की कमी सामने आई है। इसका कारण विशेषज्ञ खेतों में अत्यधिक रासायनिक खादों का प्रयोग करना बता रहे हैं।
वाराणसी [सचिंद्र श्रीवास्तव पंकज] । कलेक्टरी फार्म स्थित क्षेत्रीय भूमि परीक्षण प्रयोगशाला में दो वित्तीय वर्ष के दौरान किए गए मृदा परीक्षण में वाराणसी के 70 फीसद से अधिक खेतों में जीवांश कार्बन की कमी सामने आई है। इसका कारण विशेषज्ञ खेतों में अत्यधिक रासायनिक खादों का प्रयोग करना बता रहे हैं। उनका कहना है कि जिस तरह शरीर में खून की जरूरत होती है, ठीक उसी प्रकार फसलों के लिए जीवांश कार्बन की आवश्यकता होती है। इसकी कमी से पैदावार प्रभावित होने के साथ ही उत्पादन भी गिर रहा है।
चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में नेशनल मिशन सस्टनेबल एग्रीकल्चर योजना के तहत मृदा स्वास्थ्य कार्ड कार्यक्रम में शासन की ओर से जनपद के आठ विकास खंडों में निश्शुल्क 34 हजार 325 नमूनों के परीक्षण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए 21-21 ग्राम पंचायतों का चयन किया गया है, जिसमें ककरहिया, परनापुर, बीरापट्टी, सातो, मुलका, अमिलो, परागडीह, कचहरिया समेत 168 ग्राम पंचायत शामिल हैं। इस लक्ष्य के सापेक्ष प्रयोगशाला को क्षेत्रीय कृषि कर्मियों ने जोत आधारित 18,713 नमूने जांच के लिए उपलब्ध कराए हैं। जिनमें अबतक 870 मृदा नमूने की जांच कर मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण किया गया है, जो सभी सेवापुरी के हैं। नीति आयोग के चलते सेवापुरी को प्राथमिकता पर रखा गया है।
वित्तीय वर्ष 2019-20 में आठों विकास खंडों में एक-एक माडल गांव बनाकर जोत आधारित मृदा नमूने लिए गए थे। 1584 नमूनों की जांच में औसतन जीवांश कार्बन की कमी ही सामने आई। सभी माडल गांवों में मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण किया जा चुका है। इसमें रमसीपुर (काशी विद्यापीठ), बभनियांव (आराजीलाइन लाइन), पनिहरी (चिरईगांव), मुरली (चोलापुर), चमरू (ङ्क्षपडरा), फुलवरिया (बड़ागांव), गोसाईंपुर (सेवापुरी) व मोधोपुर (हरहुआ) शामिल हैं।
ऐसे दूर करें कमी :
जीवांश कार्बन की कमी दूर करने के लिए खेतों में हरी खाद, ढैंचा, वर्मी कंपोस्ट, नैडम कंपोस्ट, गोबर की खाद आदि खेतों में डालने की सलाह किसानों को दी गई है।
मृदा नमूने क्षेत्रीय कृषि कर्मियों के माध्यम से मंगाए जा रहे
वर्ष 2020-21 में लक्ष्य के सापेक्ष शेष बचे मृदा नमूने क्षेत्रीय कृषि कर्मियों के माध्यम से मंगाए जा रहे हैं। तीन माह में लक्ष्य के सभी नमूनों की जांच कर मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित कर दिए जाएंगे। प्रतिदिन करीब 300 नमूनों की जांच प्रयोगशाला में की जाती है।
- रामा प्रसाद सिंह, मंडलीय अध्यक्ष, क्षेत्रीय भूमि परीक्षण प्रयोगशाला।