पूर्वांचल में बरसात ने नदियों को दोबारा दी उफान की सौगात, तटवर्ती इलाकों में बढ़ी समस्या
पूर्वांचल में बीते सप्ताह रह रहकर हुई बरसात के बाद से ही प्रमुख नदी और नालों के साथ ही छोटी नदियों और बांधों में दोबारा बढ़ाव की स्थिति है। जिन निचले इलाकों से बाढ़ का पानी निकल गया था वहां बाढ़ का पानी बारिश के साथ असर दिखा रहा है।
वाराणसी, जेएनएन। पूर्वांचल में बीते सप्ताह रह रहकर हुई बरसात के बाद से ही प्रमुख नदी और नालों के साथ ही छोटी नदियों और बांधों में दोबारा बढ़ाव की स्थिति है। जिन निचले इलाकों से बाढ़ का पानी निकल गया था वहां बाढ़ का पानी बारिश के साथ दोबारा असर दिखा रहा है। निचले इलाकों में धान की फसल तो पहले ही बाढ़ की भेंट चढ़ चुकी अब पानी उतरने के बाद जिन किसानों ने सब्जी की खेती की थी वह पौधे भी अब बारिश और बाढ़ में डूबकर खत्म हो गए। किसानों के अनुसार उलट पलट कर बाढ़ और बारिश से सर्वाधिक नुकसान खेती को हुआ है जबकि निचले इलाकों में हरे चारे का संकट अब भी बरकरार है। वहीं गंगा और सरयू नदी की तल्ख होती लहरें तटवर्ती इलाकों में कटान कर रही हैं। इससे खेती योग्य जमीनें नदियों की भेंट चढ़ रही हैं।
सोमवार की सुबह केंद्रीय जल आयोग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार बलिया में सरयू नदी एक बार फिर से खतरा बिंदु से ऊपर पहुंच गई है। नदी का रुख इस समय बढ़ाव की ओर बना हुआ है। नदी का जलस्तर खतरा बिंदु 64.01 मीटर के सापेक्ष इस समय 64.14 मीटर है। इस लिहाज से नदी 0.13 मीटर खतरा बिंदु से ऊपर बह रही है। नदी में बढ़ाव के बीच तटवर्ती इलाकों में कटान भी जारी होने से किसानों में चिंता और भय का माहौल बना हुआ है।
दोपहर में केंद्रीय जल आयोग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार मीरजापुर, वाराणसी, गाजीपुर और बलिया जिले में गंगा नदी का जलस्तर स्थिर है। जौनपुर में गोमती नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है वहीं सोनभद्र में बाण सागर बांध और रिहंद बांध सहित सोन नदी का जलस्तर भी लगातार बढ़ रहा है। वहीं बलिया के तुर्तीपार में सरयू नदी का जलस्तर लगातार बढ़ने से खतरा बिंदु पार करने के बाद तटवर्ती लोगों के लिए समस्या दे रही है।
नदियों का कटान बदल सकता है भूगोल
बलिया में काफी समय गंगा और सरयू नदी के कटान से कई इलाकों का भूगोल बदल सकता है। किसानों के खेत और मकान दोनों नदी में समाते जा रहे हैं और वे उस स्थान को छोड़ कहीं और बसते जाते हैं। ऐसे में हजारों तटवर्ती लोगों के पंचायत और तहसील भी बदल गए हैं। बचाव के नाम पर हर साल सरकार की ओर से करोड़ों खर्च भले ही हुए लेकिन कहीं भी लोगों को कटान से निजात नहीं मिल सकी।