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नई शिक्षा नीति में बीच में छोड़ दी पढ़ाई तो भी मिलेगा सर्टिफिकेट, 20 हजार विद्यार्थी छोड़ देते हैं पढ़ाई

अब स्नातक स्तर के विद्यार्थी किन्हीं कारण वश बीच में पढ़ाई छोड़ देते हैं तो भी उनका नुकसान नहीं होगा। नई शिक्षा नीति में चार वर्षीय स्नातक में छात्रों को तमाम सहूलियत दी गई है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 06:10 AM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 02:48 PM (IST)
नई शिक्षा नीति में बीच में छोड़ दी पढ़ाई तो भी मिलेगा सर्टिफिकेट, 20 हजार विद्यार्थी छोड़ देते हैं पढ़ाई
नई शिक्षा नीति में बीच में छोड़ दी पढ़ाई तो भी मिलेगा सर्टिफिकेट, 20 हजार विद्यार्थी छोड़ देते हैं पढ़ाई

वाराणसी, जेएनएन। अब स्नातक स्तर के विद्यार्थी किन्हीं कारण वश बीच में पढ़ाई छोड़ देते हैं तो भी उनका नुकसान नहीं होगा। नई शिक्षा नीति में चार वर्षीय स्नातक में छात्रों को तमाम सहूलियत दी गई है। अब एक वर्ष की परीक्षा पास करने वाले स्नातक के छात्रों सर्टिफिकेट, दो वर्ष में डिप्लोमा, तीन वर्ष में डिग्री व चार वर्ष में आनर्स की उपाधि देने का निर्णय लिया गया है। वहीं चार वर्षीय आनर्स की उपाधिधारक छात्र एक वर्ष में स्नातककोत्तर की डिग्री हासिल कर सकेंगे।

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महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ व इससे संबद्ध पांच जिलों के महाविद्यालयों में प्रतिवर्ष एक लाख से विद्यार्थी स्नातक के विभिन्न कोर्सों में दाखिला लेते हैं। इसमें से करीब बीस हजार विद्यार्थियों का किन्हीं न किन्हीं कारणवश बीच में पढ़ाई ब्रेक हो जाती है। कुछ प्रथम खंड तो कुछ द्वितीय खंड की परीक्षा में अटक जाने के कारण भी स्नातक की डिग्री नहीं हासिल कर पाते हैं। वर्तमान व्यवस्था में विद्यार्थियों क अधिकतम पांच वर्षों के भीतर स्नातक तीनों खंड की परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य है। कई विद्यार्थी किसी एक खंड में अटक जाने के कारण उनका पांच साल का समय बर्बाद हो जाता था। यही नहीं किसी भी वर्ष किसी कारण से पढ़ाई छूटने के बाद निर्धारित अंतराल में पुन: शिक्षा शुरू करने पर पिछले साल के अंक एकेडिमिक बैंक आफ क्रेडिट में जमा हो जाएंगे जो दोबारा शिक्षा शुरू करने पर अंतिम वर्ष में डिग्री में अपने आप जुड़ जाएंगे। हजारों छात्र ऐसे होते हैं जो किसी कारणवश बीच में पढ़ाई छोड़ देते हैं। अब उनके लिए दोनों ही एकमात्र विकल्प खुले हुए हैं। विश्वविद्यालयों के अध्यापकों का कहना है कि नई शिक्षा नीति में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट (बहु स्तरीय प्रवेश एवं निकासी) व्यवस्था लागू किया गया है। आज की व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरंग पढऩे या छह सेमेस्टर पढऩे के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा और 3-4 साल के बाद डिग्री मिल जाएगी। यह छात्रों के हित में एक बड़ा फैसला है। पांच साल का संयुक्त ग्रेजुएट-मास्टर कोर्स लाया जाएगा। वहीं एमफिल को खत्म किया जाएगा और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में एक साल के बाद पढ़ाई छोडऩे का विकल्प होगा। ऐसे में नई शिक्षा नीति में छात्रों को तनावमुक्त बनाने का भी प्रयास किया गया है। साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता व उच्च स्तरीय शोध पर विशेष बल दिया गया है। वहीं नेशनल मेंटरिंग प्लान के जरिये शिक्षकों का उन्नयन करने की भी बात की गई है। कुल मिलाकर नई शिक्षा नीति में विद्यालयी शिक्षा, बोर्ड परीक्षा, स्नातक डिग्री में बड़े बदलाव किए गए हैं।


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