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गाजीपुर में एमएलसी चुनाव में टूट गया सपा के धुरंधर विधायकों का तिलिस्म, भाजपा ने कर लिया हिसाब चुकता

विधानसभा चुनाव में सपा विधायकों के करीबी ब्लाक प्रमुखों जिला पंचायत सदस्य बीडीसी सदस्य इस चुनाव में भाजपा के साथ खड़े हो गए थे। प्रमुख न खुद साथ थे बल्कि भाजपा प्रत्याशी विशाल सिंह चंचल के लिए वोट मांग रहे थे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 12 Apr 2022 07:17 PM (IST)Updated: Tue, 12 Apr 2022 07:17 PM (IST)
गाजीपुर में एमएलसी चुनाव में टूट गया सपा के धुरंधर विधायकों का तिलिस्म, भाजपा ने कर लिया हिसाब चुकता
गाजीपुर: अपने पैतृक गांव तेतारपुर में पूजा करते एमएलसी विशाल ङ्क्षसह चंचल।

गाजीपुर, शिवानंद राय : एक दस मार्च की तारीख थी, जिस दिन गाजीपुर जिले की सातों विधानसभा चुनाव के आए परिणाम ने भाजपा के लिए बड़ा सबक दिया था। इसके ठीक एक माह तीन दिन बाद 12 अप्रैल को आए एमएलसी चुनाव के नतीजे ने अब सपा हाईकमान को न सिर्फ संदेश दिया बल्कि जिले में सपा-सुभापसा के दिग्गज विधायकों का तिलिस्म को तोड़ दिया।

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विपक्ष के सांसद व विधायकों की मजबूत किलेबंदी में भाजपा प्रत्याशी की सेंधमारी जनप्रतिनिधियों के चुनावी रणनीति पर भी सवाल खड़ा करती है। यहीं नहीं विधानसभा चुनाव की तरह इस बार किसी सांसद-विधायक ने जीत-हार की भविष्यवाणी नहीं की।

विधानसभा चुनाव में सातों सीटों पर भाजपा की करार हार के ठीक बाद हुए विधान परिषद सदस्य का चुनाव सपा और भाजपा दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल था। दरअसल, जिले की सात विधानसभा सीटों में से पांच पर सपा और दो पर सुभासपा के विधायकों का कब्जा हैं।

यहां से सुभासपा (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष, जमानियां से सपा के पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह, जंगीपुर से डा. वीरेंद्र यादव व मुहम्मदाबाद से सुहेब अंसारी विधायक हैं। इतना ही नहीं जिले से बसपा के सांसद अफजाल अंसारी हैं। जिले में एक तरफ जिला पंचायत अध्यक्ष को छोड़कर भाजपा का कोई जनप्रतिनिधि नहीं था। वहीं विपक्ष की मजबूत किलेबंदी रहीं।

सभी विधायक व सांसद विपक्ष के हैं। सपा प्रत्याशी भोला नाथ शुक्ला के नामांकन के बाद पर्चा वापस लेने के बाद सपा के विधायकों ने ही निर्दल मदन यादव को हाथों हाथ ले लिया। यहीं नहीं जब प्रशासन प्रधान संघ के जिलाध्यक्ष मदन यादव के गांव जमीन पैमाइश के लिए पहुंची तो सपा के विधायकों ने पहुंचकर प्रशासन की कार्रवाई का विरोध किया था।

बीच में भूमिगत मदन की तलाश में पुलिस ने विधायक सुहेब अंसारी का भी घर खंगाला था। आरोप था कि मदन को विधायक के यहां छिपाया गया है। इसके बाद सभी सपा के विधायकों ने मदन यादव को पार्टी मुखिया अखिलेश यादव से मिलवाया था। सपा हाईकमान ने विधायकों से साफ कहा था कि यह मदन यादव का नहीं उनका चुनाव है। बावजूद इसके मदन यादव को करारी हार का मुंह देखना पड़ा।राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सही मायने में यह करारी हार मदन की नहीं सपा-सुभासपा विधायकों की मानी जाएगी।

विधानसभा चुनाव में विधायकों के करीबी प्रमुख व बीडीसी ने बदल दिया पाला

विधानसभा चुनाव में सपा विधायकों के करीबी ब्लाक प्रमुखों, जिला पंचायत सदस्य, बीडीसी सदस्य इस चुनाव में भाजपा के साथ खड़े हो गए थे। प्रमुख न खुद साथ थे, बल्कि भाजपा प्रत्याशी विशाल सिंह चंचल के लिए वोट मांग रहे थे। करीबियों के भाजपा खेमे में जाने का पता होने के बावजूद विधायक चुप्पी साधे रहे। वह अपने करीबियों का भी वोट सपा को नहीं दिलवा पाए।

मदन ने खूब बटोरी सुर्खियां

समाजवादी पार्टी ने पहले भोलानाथ शुक्ला अपना प्रत्याशी घोषित किया था, लेकिन नामवापसी के दिन उन्होंने बड़े ही नाटकीय अंदाज में विशाल सिंह चंचल के साथ राइफल क्लब सभागार पहुंचे और अपना नाम वापस ले लिया। इसको लेकर खूब हो-हल्ला मचा। इसी बीच निर्दल प्रत्याशी मदन सिंह यादव कहीं गायब हो गए। प्रशासन ने भी उन्हें खूब खोजने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहे।


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