संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में नियुक्ति में ठगी के शिकार युवकों की निगाहें पुलिस पर टिकी
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में नियुक्ति के नाम पर ठगी के शिकार हुए युवकों की निगाहें पुलिस पर टिकी हुई है।
वाराणसी, जेएनएन। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में नियुक्ति के नाम पर ठगी के शिकार हुए युवकों की निगाहें पुलिस पर टिकी हुई है। वहीं पर्याप्त साक्ष्य होने के बावजूद पुलिस की जांच तफ्तीश से आगे नहीं बढ़ पा रही है। दूसरी ओर विश्वविद्यालय प्रशासन भी पूरी प्रकरण मुख्यमंत्री, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक व चेतगंज थाने को सौंप कर अब मौन हो गई है। चीफ प्रॉक्टर प्रो. आशुतोष मिश्र का कहना है कि जांच कर जालसालों के खिलाफ कार्रवाई करना पुलिस प्रशासन के हाथ में है।
तथाकथित जालसाजों ने विश्वविद्यालय में फर्जी तरीके से 23 कर्मचारियों की नियुक्ति कर दी थी। वहीं नियुक्ति के नाम पर बेरोजगार युवकों से छह लाख से दस लाख रुपये तक वसूले गए। खास बात यह कि जालसाजों ने बेरोजगार युवकों से ज्यादातर पैसा नकद ही लिया है। बैंकों के माध्यम से महज 20 से 25 हजार रुपये ही वसूले गए हैं। ऐसे में ठगी के शिकार युवकों के पास इतनी बड़ी रकम देने का कोई साक्ष्य भी नहीं हैं। हालांकि मोबाइल फोन द्वारा जालसाजों से बातचीत की रिकार्डिंग कई युवकों के पास मौजूद है। ठगी के शिकार युवक सभी साक्ष्य विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंप चुके हैं। दूसरी ओर विश्वविद्यालय प्रशासन ने ठगी के शिकार को बनारस आने को कहा था। उन्होंने विश्वविद्यालय आने का समय भी दिया लेकिन अब तक वह बनारस नहीं आए। समझा जा रहा है कि ठगी के शिकार कुछ युवक शिकायत करने से डर रहे हैं कि उनका पूरा फंस न जाय। ऐसे में वह पहले जालसाजों से पैसा निकलवाने के चक्कर में पड़े हुए हैं।