Move to Jagran APP

महज 50 रुपये में सुधारें मिट्टी की सेहत, एक एकड़ के लिए 100 एमएल बायो फर्टिलाइजर

खेतों की बिगड़ती दशा और सूक्ष्म पोषक तत्वों के लिए उर्वरकों की निर्भरता कम करने के लिए राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव ब्यूरो के वैज्ञानिकों ने कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीवों को मिलाकर कल्चर आधारित पोषक तत्व तैयार किया है। इस मिश्रण का नाम दिया है बायोग्रो।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 08:50 AM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 09:36 AM (IST)
महज 50 रुपये में सुधारें मिट्टी की सेहत, एक एकड़ के लिए 100 एमएल बायो फर्टिलाइजर
वैज्ञानिकों ने कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीवों को मिलाकर कल्चर आधारित पोषक तत्व तैयार किया है।

मऊ [शैलेश अस्थाना]। खेतों की बिगड़ती दशा और सूक्ष्म पोषक तत्वों के लिए उर्वरकों की निर्भरता कम करने के लिए राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव ब्यूरो के वैज्ञानिकों ने कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीवों को मिलाकर कल्चर आधारित पोषक तत्व तैयार किया है। इनमें ऐसे सूक्ष्मजीवों को शामिल किया गया है जो मिट्टी में नाइट्रोजन, पोटाश और फास्फोरस की मात्रा को संतुलित कर दें। इस मिश्रण का नाम दिया है बायोग्रो। 100 एमएल की शीशी एक एकड़ खेत के लिए पर्याप्त है। इसकी कीमत है महज 50 रुपये। वैज्ञानिकों का दावा है कि पहले वर्ष के इस्तेमाल में ही यह मिश्रण किसानों को 30 से 40 फीसद रासायनिक खादों और कीटनाशकों से मुक्ति दिला देता है। इस तरह खाद और कीटनाशक का काफी खर्च बच जाता है। तीन-चार वर्षों तक इसके उपयोग से मिट्टी में पर्याप्त खनिज तत्वों प्रचुरता हो जाएगी और किसान रासायनिक खादों से पूरी तरह से मुक्ति तो पा ही लेंगे, बशर्ते मिट्टी में कार्बन तत्वों की मात्रा 1.3 से 2.00 फीसद तक हो।

loksabha election banner

ऐसे करें इस्तेमाल : ब्यूरो के प्रधान वैज्ञानिक डा.आलोक श्रीवास्तव बताते हैं कि बायोग्रो की 100 एमएल शीशी को एक लीटर पानी में घोल दें, इसमें दो चम्मच चीनी या गुड़ डाल दें ताकि विलयन लिसलिसा हो जाय। इस घोल को एक एकड़ में बोए जाने वाले बीज पर छिड़क कर उसे अच्छी तरह से मिला लें, ताकि घोल प्रत्येक बीज पर अच्छी तरह से चिपक जाय। इसके बाद 15-20 मिनट बाद बीज की खेत में सामान्य तरीके से बोआई कर दें। बायोग्रो में मौजूद सूक्ष्मजीव पौधे की जड़ों में कालोनी बना लेते हैं वातावरण में व्याप्त नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम यानि एनपीके के अलावा अन्य पोषक पदार्थों को अवशोषित कर उसे पौधे को उपलब्ध कराते हैं।

यह होगा फायदा : ब्यूरो के वैज्ञानिक डा.आदर्श बताते हैं कि इस विलयन से खेत में एक फसल में दी जाने वाली खाद की मात्रा 35 से 40 फीसद पहले वर्ष में ही कम कर देते हैं। यदि खेत में कार्बनिक पदार्थ यानि जीवाश्म की मात्रा है या किसान गोबर की खाद, हरी खाद आदि का प्रयोग करते हैं तो तीन-चार वर्ष में रासायनिक खादों और कीटनाशकों पर से निर्भरता पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी। एक हेक्टेयर खेत में 250 एमएल बायोग्रो की जरूरत होगी। यानि 125 रुपये खर्च करके किसान 2000 रुपये तक की बचत कर सकते हैं।

संस्थान ने बनाए हैं और भी सूक्ष्मपोषक तत्व : ब्यूरो के निदेशक डा.एके सक्सेना बताते हैं कि ब्यूरो प्रकृति में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों में से कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीवों पर शोध कर उन्हें कृषि के विकास के योग्य बनाता है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए इसी इसी तरह के अन्य उत्पाद भी बनाए गए हैं। संस्थान सभी उत्पादों के 100 एमएल की मात्रा महज 50 रुपये में उपलब्ध कराता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.