IIT BHU के प्रोफेसर ने बनाया दुनिया का सबसे स्मार्ट वर्चुअल लैब, लाकडाउन में अकेले ही तैयार की प्रोग्रामिंग
नाम भले ही इसका वर्चुअल हो मगर प्रयोग बिलकुल असली प्रयोगशाला के समान ही छात्र कर रहे हैं। प्रोजेक्ट के टापिक को हल करने में आने वालीं त्रुटियां और मान बिलकुल एक्चुअल होंगी। बनारस में इस वर्चुअल लैब की प्रोग्रामिंग खुद से तैयार की।
वाराणसी [हिमांशु अस्थाना]। कोविड -19 महामारी में चल रहा आनलाइन पढ़ाई का दौर थ्योरी और कापियों के मूल्यांकन तक ही सीमित रहा। विगत दस माह से मेधावी अपने प्रयोगशालाओं और व्यावहारिक ज्ञान से काफी दूर हो चुके हैं। महामारी का दास बनकर संस्थान के खुलने का इंतजार किए बगैर ही आइआइटी-बीएचयू स्थित केमिकल इंजीनियरिंग से इस साल रिटायर हुए प्रोफेसर एके वर्मा ने दुनिया का सबसे स्मार्ट वर्चुअल लैब( इंटीग्रेटेड ई-लर्निंग प्लेटफार्म) बना दिया। केमिकल इंजीनियरिंग में काम आने वाले तमाम उपकरण व मशीनें जैसे आसवन स्तंभ, रोटामीटर, प्रेसरगेज, नैनोमीटरी, थर्मोमीटर, पंप, वाल आदि के डिजिटल रूप इस वर्चुअल लैब में दिखेंगे।
अब नाम भले ही इसका वर्चुअल हो, मगर प्रयोग बिलकुल असली प्रयोगशाला के समान ही छात्र कर रहे हैं। प्रोजेक्ट के टापिक को हल करने में आने वालीं त्रुटियां और मान बिलकुल एक्चुअल होंगी। छात्र घर बैठे केमिकल इंजीनियरिंग के सभी मशीनों व उपकरणों को लैपटाप या मोबाइल में एक्सेस कर संपूर्ण प्रायोगिक कार्य मैनुअली आपरेट कर सकेंगे।
यानी कि असल लैब में किसी समस्या को हल करने में जितनी दुविधाएं हम छात्रों के सामने आती हैं, वह सब इस डिटिजल लैब में भी मिलेंगी, नमूनों का मान ज्ञात करने में बार-बार आने वालीं त्रुटियां भी इसमें आएंगी, जिससे आसानी से रीडिंग नोट नहीं कर सकेंगे। वहीं दुनिया का सबसे स्मार्ट लैब इसलिए भी, क्योंकि इसमें जितने भी प्रयोग होंगे, उनकी त्रुटियां और परिणाम उतने ही बार बदलेंगे। ऐसे में बार-बार प्रैक्टिस करने के बाद ही अपेक्षानुरूप परिणाम मिलेंगे।
लाकडाउन में अकेले ही तैयार की प्रोग्रामिंग
लैब को तैयार करने वाले प्रो. एके वर्मा ने बताया कि लाकडाउन शुरू होते ही, उन्होंने बनारस में इस वर्चुअल लैब की प्रोग्रामिंग खुद से तैयार की। इसके बाद इसे वेबसाइट पर लगाया गुरुग्राम की आइटी कंपनी में काम कर रहे उनके पुत्र अनुपम श्रीवास्तव ने। प्रो. वर्मा ने बताया कि यह मशीन एक्सपर्ट सिस्टम पर काम करता है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से एक चरण पहले आता है। इस लैब में किए गए प्रायोगिक कार्यों का चार्ट व ग्राफ भी स्वत: तैयार हो जाता है, जिससे डाटा आसानी से प्राप्त किया जा सके।
छात्रों ने कहा, हर केमिकल साल्यूशन का डाटा है फीड
लैब पर प्रयोग करने वाले आइआइटी-बीएचयू के पूर्व छात्र डा. सुधाकर सरोज ने बताया कि हमारे पास केमिकल के एक साल्यूशन का डाटा था, जिसे इसके आभासी उपकरण से गुजारा गया। इस दौरान वही गलतियां व रीडिंग मिलीं, जो वास्तविक लैब में मिलती थी।
नमक और पानी का घोल बना रहे हैं, तो उसकी हर प्रक्रिया आभासी आसवन उपकरण में देखी जा सकती है। आइआइटी की ही शोधार्थी रहीं डा. विनीता सिंह ने बताया कि इस स्मार्ट लैब में एथेनाल, प्रोपेनाल और पानी के घोल को वर्चुअल डिसिटलेशन कालम उपकरण में जांच करने पर सभी के मान अलग-अलग आसानी से निकल रहे थे बिलकुल वास्तविकता की तरह। कहा कि इस लैब के साफ्टवेयर में हर केमिकल साल्यूशन का डाटा फीड किया गया है, जो कि बिलकुल वास्तविकता का अहसास कराता है।