IIT-BHU के इंजीनियर्स ने सड़क के मलबे से बनाई बारिश के पानी को सहेजने वाली विशेष ईंट
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) बीएचयू के इंजीनियर्स ने पोरस पेवर ब्लॉक के रूप में वर्षाजल को सहेजने का बेहतरीन उपाय ढूंढा है।
वाराणसी [मुहम्मद रईस]। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) बीएचयू के इंजीनियर्स ने पोरस पेवर ब्लॉक के रूप में वर्षाजल को सहेजने का बेहतरीन उपाय ढूंढा है। सड़कों के बेकार मलबे से तैयार यह ईंट गलियों में बिछाई जा सकेंगी। आवागमन में सुविधाजनक होने के साथ ही बारिश की बूंदें भी सहेजेगी। वर्षा का जल सड़कों-गलियों से होता हुआ व्यर्थ बह जाता है। इन ईंटों से अब बारिश का पानी भूजल स्तर बढ़ाने में सहायता मिलेगी। इसे भूजल स्तर बढ़ाने में अहम माना जा रहा। सड़कों के बेकार मलबे का इस्तेमाल होने से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कम होगा, जो आत्मनिर्भर भारत के लिए जरूरी है।
संस्थान के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के डॉ. निखिल साबू के निर्देशन में शोध छात्रों ने खराब सड़कों से निकले मलबे, सीमेंट व सुपर प्लास्टिसर्जर लिक्विड का प्रयोग कर पोरस पेवर ब्लॉक (ऐसा ब्लॉक जिससे पानी छन जाता हो) तैयार किया है। हालांकि, पोरस ब्लॉक पहले भी तैयार किए जा चुके हैं, लेकिन पेवमेंट मैटेरियल यानी सड़कों की खराब गिट्टियों का पहली बार इस तरह उपयोग किया गया है। इस पहल से पहाड़ों की खोदाई पर अंकुश लगने के साथ प्राकृतिक संसाधनों को सहेज सकेंगे।
इस तरह किया जा सकता है उपयोग
डॉ. निखिल ने बताया कि पहले गिट्टियों की सतह फिर उसके ऊपर बालू की परत बिछाने के बाद ब्लॉक लगाना होगा। इसका स्वरूप थोड़ा ढालू बनाने पर वर्षा जल पूरी तरह छनकर किनारे आ जाएगा। नालियों के जरिए इस पानी को कहीं भी संचित किया जा सकता है। सिंचाई में प्रयोग के साथ ही ट्रीटमेंट के बाद इसका उपयोग पेयजल के रूप में भी किया जा सकेगा। यही नहीं इन ईंटों को यदि उद्यानों, बाजारों, सोसाइटी व सड़कों के फुटपाथ और गलियों में बिछाया जाए तो यह रेन वाटर हार्वेस्टिंग के तौर पर काम करेगा। इससे वर्षा जल का बहुत बड़ा हिस्सा संचित किया जा सकता है।