तालाबों की तलहटी में ठहरा पानी तो भूगर्भ जल बढ़ा पांच फीट, मीरजापुर में जल संचयन का प्रयास
जल संचयन का प्रयास रंग लाने लगा है। जून के महीने में हरसाल भूगर्भ जल नीचे चला जाता है लेकिन इस बार पांच फीट यानी करीब डेढ़ मीटर बढ़ा है।
मीरजापुर [मनोज द्विवेदी]। जल संचयन का प्रयास रंग लाने लगा है। लॉकडाउन ने इसे और संजीवनी प्रदान की है। जून के महीने में हरसाल भूगर्भ जल नीचे चला जाता है लेकिन इस बार पांच फीट यानी करीब डेढ़ मीटर बढ़ा है। इसके पीछे मुख्य वजह मौसम के साथ देने के संग ही तालाबों की खोदाई, कुओं की सफाई, जल संचयन के अन्य उपाय रहे हैं।
पांच सौ तालाबों की हुई खोदाई
केंद्र व प्रदेश सरकार के आह्वान पर पिछले वर्ष बारिश के पूर्व जिले के 809 ग्राम पंचायतों में करीब पांच सौ तालाबों को प्रशासन ने अपनी देखरेख में खोदाई करवाया। पानी भरा गया और इनके बचाव के लिए तालाब के भीटों पर पौधारोपण किया गया। वन रेंज में भी जगह-जगह तालाब खोदकर बारिश के पानी को बचाने का प्रयास किया गया। इसी कारण भूगर्भ जलस्तर में रिकार्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई।
बड़े पैमाने पर जल संरक्षण की तैयारी
प्रशासन की ओर से इस बार सरकारी भवनों के छतों का पानी पाइप के माध्यम से जमीन पर बनी टंकियों में सहेजना अनिवार्य किया गया है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी वर्षा जल संचयन के लिए जागरुकता बढ़ाने की तैयारी है।
जहां थी किल्लत, वहां स्थिति सामान्य
भूगर्भ जल के अवर अभियंता विक्रांत सिंह का कहना है कि जलस्तर बढऩे की वजह से पानी की किल्लत वाले ब्लाकों मेें स्थिति सामान्य है। बीते मानसून के बाद छानबे, कोन, लालगंज, हलिया, मडि़हान, राजगढ़, पहाड़ी, मझवां, सीखड़, नरायनपुर, जमालपुर ब्लाकों में औसतन डेढ़ से दो मीटर तक भूगर्भ जल की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अबकी पानी को लेकर हायतौबा की स्थिति नहीं रहेगी।
इस वर्ष 01.42 मीटर की वृद्धि दर्ज की गई
पिछले वर्ष जलस्तर में 00.14 मीटर की कमी आई थी वहीं इस वर्ष 01.42 मीटर की वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2019 में मानसून से पहले जलस्तर जहां 06.83 फीट था वहीं मानसून के बाद यह बढ़कर 11.70 फीट पहुंच गया था। यह जिले के लिए शुभ संकेत है।
-अनुपम श्रीवास्तव, वरिष्ठ जैव भौतिकविद।
इस वर्ष जनपद में भूगर्भ जलस्तर कम होने की बजाय बढ़ा
इस वर्ष जनपद में भूगर्भ जलस्तर कम होने की बजाय बढ़ा है। बारिश के ज्यादा से ज्यादा बूंदों को इस बार भी सहेजने की कोशिश होगी। जल सरंक्षण से ही पेयजल की किल्लत दूर होगी वहीं खेती बाड़ी को भी संजीवनी मिलेगी। पौधे भी खूब लगेंगे। तैयारी पूरी है।
-सुशील कुमार पटेल, जिलाधिकारी, मीरजापुर।