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स्वास्थ्य केंद्र पर मिल जाता इलाज तो नहीं जाती जौनपुर के मासूम की जान, मुंह में फंस गया था कंचा

मुंह में कंचा फंसे मासूम को गोद में लेकर इलाज के लिए मां डाक्टरों के पास गिड़गिड़ाती रही लेकिन डाक्टरों का दिल नहीं पसीजा। आधे घंटे तक बच्चे को स्वास्थ्य केेंद्र पर इलाज नहीं मिल सका। आखिरकार मडिय़ाहूं ले जाते समय रास्ते में मासूम ने तड़प कर दम तोड़ दिया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 12:47 PM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 12:47 PM (IST)
स्वास्थ्य केंद्र पर मिल जाता इलाज तो नहीं जाती जौनपुर के मासूम की जान, मुंह में फंस गया था कंचा
मुंह में कंचा फंसने से मासूम की मौत हो गया।

जौनपुर, जेएनएन। मुंह में कंचा फंसे मासूम को गोद में लेकर इलाज के लिए मां डाक्टरों के पास गिड़गिड़ाती रही, लेकिन डाक्टरों का दिल नहीं पसीजा। आधे घंटे तक बच्चे को स्वास्थ्य केेंद्र पर इलाज नहीं मिल सका। आखिरकार मडिय़ाहूं ले जाते समय रास्ते में मासूम ने तड़प कर दम तोड़ दिया। घटना रामपुर थाना क्षेत्र के औरा कोट गांव की है।

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मंगलवार को दोपहर बाद लगभग साढ़े तीन बजे गांव निवासी शिव कुमार यादव का पुत्र प्रेम (4) कंचे (कांच की गोली) से खेल रहा था। थोड़ी देर में वह किसी बात पर रोने लगा तो कामकाज में लगे स्वजन उसे चुप कराने के लिए मोबाइल फोन दे दिए। बच्चा बेड पर लेटकर कार्टून देखने लगा। इसी दौरान उसने कंचा मुंह में डाल लिया जो उसके गले में फंस गई। इससे उसे तेज खांसी आने लगी। वह किसी तरह अपनी मां नीलम तक पहुंचकर मुंह में कंचा फंसने की बात बताई। यह बात सुनते ही स्वजनों के होश उड़ गए। वे आनन-फानन में उसको लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। यहां डाक्टरों ने मासूम को देखा तक नहीं। मां गिड़गिड़ाती रही, लेकिन डाक्टरों का कलेजा नहीं पसीजा। मिन्नतों के बाद भी डाक्टरों के न देखने पर घरवाले एक-एक कर तीन निजी डाक्टरों के पास गए, लेकिन सभी ने हाथ खड़े कर दिए। बदहवास स्वजन प्रेम को लेकर मडिय़ाहूं अस्पताल के लिए चले, लेकिन रास्ते में ही उसने तड़प कर दम तोड़ दिया। पिता का आरोप है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर यदि समय रहते उसके बच्चे को देख लिया गया होता तो उसके बच्चे की जान बच जाती। मौत की खबर सुनते ही परिवार में कोहराम मच गया। मां बेसुध है और पिता का रो-रोकर बुरा हाल। आस-पास के लोग भी एकाएक घटी इस घटना से स्तब्ध हैं। मृतक भाइयों में बड़ा था। एक छोटा भाई अभी छह माह का है।

इस तरह का कोई मामला संज्ञान में नहीं आया

इस तरह का कोई मामला संज्ञान में नहीं आया। अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों की हरसंभव इलाज की कोशिश की जाती है।

-डा. प्रभात यादव, प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामपुर।


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